Saturday, March 15, 2025
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जानिए टाइगर की प्रजातियों के बारे में खास बातें!

हाल ही के दिनों में भारत में टाइगर की रिएंट्री हुई है! देश में 70 साल बाद भारतीय धरती पर चीतों की वापसी हुई है। चीतों के देश में आने के बाद जंगल और घास के मैदान के पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली होगी। पीएम मोदी ने शनिवार को नामीबिया से लाए गए पांच नर और तीन मादाओं को मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान के बाड़ों में रिहा कर दिया। इसे पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में सराहनीय प्रयास करार दिया जा रहा है। भले ही भारत की धरती पर 70 साल बाद चीता की वापसी हुई है लेकिन इन बिग कैट फैमिली की पांच प्रजातियां पहले से ही भारत में मौजूद हैं जानते हैं इनके बारे में।

नामिबिया से जो चीते लाए गए हैं, वह एशियाई चीते ( एसिनोनिक्स जुबेटस वेनाटिकस)हैं। इन्हें एशियाई महाद्वीप के भारत, ईरान, ईराक, इजरायल, अफगानिस्तान, जॉर्डन, ओमान, पाकिस्तान, चीन, सऊदी अरब, सीरिया और रूस जैसे देशों में पाया जाता है। एशियाई चीते के शरीर की लंबाई 112 से 135 सेमी तक हो सकती है। इसका वजन करीब 34 से 54 किलोग्राम के बीच होता है। नर चीता मादा से थोड़ा बड़ा होता है। इसके शरीर पर बहुत अधिक फर होते हैं। इनका सिर छोटा और लंबी गर्दन होती है। इनकी आंखें लाल होती हैं। यह देखने में बिल्ली जैसे लगते हैं। एशियाई चीते छोटे हिरणों का शिकार करते हैं। ईरान में, जेबीर गजेली (चिंकारा भी कहा जाता है), ग्वाइटर्ड गजेली, जंगली भेड़ें, जंगली बकरी और खरहा इनका मुख्य भोजन हैं। एशियाई चीता 120 किमी/ घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है। वर्तमान में पूरी दुनिया में 7000 चीते हैं। इनमें से 4500 चीते अकेले साउथ अफ्रीका में हैं।

बाघ को बिग कैट भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम पैंथेरा टाइग्रिस है। दुनिया में बाघ की लगभग 11 प्रजातियां पाई जाती थीं। इसमें से ट्राइनिल और जापानी दो प्रजातियां प्रागैतिहासिक काल में ही विलुप्त हो गई थीं। बीसवीं सदी में इसमें से तीन और प्रजातियां बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर और जैवन टाइगर विलुप्त हो गईं। फिलहाल दुनिया में बाघ की 6 प्रजातियां अभी भी पाई जाती हैं। भारत में बाघों की 5 प्रजातियां पाई जाती हैं। ये पांचों हैं साइबेरियन, बंगाल टाइगर, इंडोचाइनीज, मलयन व सुमत्रन। विश्व में सर्वाधिक बाघ भारत में पाए जाते हैं। दुनिया भर में जंगली बाघों की स्थिति खतरे में बनी हुई है। इसके विपरित बाघ गणना के अनुसार भारत में बाघ की संख्या 2,967 हैं। यह विश्व की संख्या का लगभग 75 प्रतिशत से अधिक है। सबसे बड़े बाघ गणना के रूप में भारत का नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में भी दर्ज कराया गया है। देश में 29 जुलाई 2022 को ‘अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस’ के रूप में मनाया गया था। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अथक प्रयासों से पिछले आठ सालों में बाघों की संख्या दोगुनी हो गई है। साल 1973 में भारत में सिर्फ 9 टाइगर रिजर्व थे, जबकि आज की तारीख में इनकी संख्या बढ़कर 52 हो गई है। भारत में सबसे ज्यादा टाइगर मध्य प्रदेश (526), कर्नाटक (524), उत्तराखंड (442) टाइगर है। अगर इन तीनों राज्य को मिला दिया जाए तो 50% टाइगर इन्हीं राज्य में है।

लॉयन का वैज्ञानिक नाम पैंथेर लियो है। शेर को दो उप-प्रजातियों में बांटा गया है। अफ्रीकी शेर (पैंथेरा लियो लियो) और एशियाई शेर (पैंथेरा लियो पर्सिका)। लगभग 30 लाख साल पहले शेर एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूरोप में स्वतंत्र रूप से घूमते पाए जाते थे। पिछले 100 वर्षों में शेरों की आबादी में 80% की कमी हुई है। देश में साल 2020 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल 674 शेर हैं, जबकि वर्ष 2015 में यह संख्या 523 से अधिक थी। एशियाई शेरों की ऊंचाई लगभग 110 सेमी होती है। वयस्क नर शेर का वजन 160 से 190 किलोग्राम के बीच होता है। जबकि मादा का वजन 110 से 120 किलोग्राम के बीच होता है। 2020 में, गुजरात के गिर जंगलों में एशियाई शेरों की संख्या में लगभग 29% की बढ़ोतरी हुई है। शेरों के फैलाव क्षेत्र में भी 36% की वृद्धि हुई है। आज गुजरात, देश में एशियाई शेरों का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है।

तेंदुआ मुख्य रूप से दक्षिण एशिया और अफ्रीका में पाया जाने वाला स्तनधारी जीव है। भारतीय में तेंदुआ लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। बड़ी बिल्ली की इस प्रजाति का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा पारडस है। देश में ‘तेंदुए’ की सर्वाधिक संख्या मध्य प्रदेश में पाई जाती है। राजस्थान के पाली जिले में जवाई नदी के समीप स्थित जवाई पहाड़ी ‘भारतीय तेंदुआ पहाड़ी’ के नाम से मशहूर है। तेंदुए बहुत ताकतवर जानवर होते हैं। यह अपने शिकार को मार कर पेड़ पर ले जाते हैं। तेंदुआ अपना ज्यादातर समय पेड़ों पर बिताता है। नर तेंदुआ का वजन 70 किलोग्राम तक होता है। मादा तेंदुए का वजन 50 किलोग्राम तक होता है। तेंदुए की औसतन उम्र 12 से 17 वर्षों तक होती है। तेंदुआ ज्यादातर पीली चमड़ी के होते हैं, जिसपर गहरे रंग के धब्बे होते हैं। तेंदुआ बाघ और शेर से छोटा होता है। हालांकि, ताकत के मामले में यह बाघ और शेर से ज्यादा फुर्तीला होता है। यह पेड़ पर बैठे पक्षियों का भी शिकार कर लेता हैं।

क्लाउडेड तेंदुआ घास के मैदान, झाड़ियों, घने उष्ण कटिबंधीय जंगलों में रहना पसंद करते हैं। ये जंगल 7,000 फीट की ऊंचाई तक हिमालय की तलहटी से चीन की मुख्य भूमि के साथ दक्षिण-पूर्व एशिया तक फैला हुआ है। क्लाउडेड लेपर्ड भारत में सिक्किम, उत्तरी पश्चिम बंगाल, मेघालय उपोष्ण कटिबंधीय जंगलों, त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर, असम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में पाया जाता है। इसकी त्वचा पर बादल की तरह पैटर्न बने होने के कारण इसका नाम क्लाउडेड लेपर्ड रखा गया है। इस साल जनवरी में भारत-म्यांमायर बॉर्डर पर करीब 3700 मीटर की ऊंचाई पर क्लाउडेड तेंदुआ देखा गया था। एक्सपर्ट के अनुसार ये तेंदुआ पेड़ पर चढ़ने में माहिर होता है। इसके पैरों में काफी ताकत होती है। ये पलक झपकते ही पेढ़ पर चढ़ जाता है। ये पेड़ पर उल्टा भी लटक सकता है। ये जमीन पर ही अपना शिकार करते हैं। एक स्टडी के अनुसार नौ देशों (भूटान, नेपाल, भारत, प्रायद्वीपीय मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, लाओस, म्यांमार) में से केवल 9.44% क्षेत्र ही क्लाउडेड लेपर्ड (नियोफेलिस नेबुलोसा) के लिये उपयुक्त है।

हिंद तेंदुआ का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा अनकिया है। भारत में हिम तेंदुए सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और पूर्वी हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। हिम तेंदुए लगभग 3000 से 5000 फीट की ऊंचाई वाले इलाकों में पाए जाते हैं। यह चीता पहाड़ी और ठंड़े इलाको में पाया जाता है। इन चीतों को ‘पहाड़ों के भूत’ भी कहा जाता है। इसकी वजह है कि इनको रंग और रूप से इन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है। ये ज्यादातर हिमालय की बर्फीली चोटियों में ही रहते हैं। इनकी लंबाई करीब 1.5 मीटर होती है। हिम तेंदुए की पूंछ लंबी और फरदार होती है। पूंछ की लंबाई करीब 100 सेंटीमीटर की होती है। इनकी खाल पर सफेद और ग्रे रंग के फर होते हैं। यह बहुत लंबे और मोटे होते हैं। ये फर ही इन्हें सर्दी से बचाकर रखते हैं। वहीं इनके पैरों की बनावट ऐसी होती है कि इन्हें बर्फ पर चलने में भी परेशानी नहीं होती है।

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