राजस्थान में है सचिन पायलट कैसे बनते जा रहे हैं मजबूत नेता?

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हाल के दिनों में राजस्थान में सचिन पायलट के साथ राजनैतिक उठापटक हुई है! राजस्थान में पांच साल विपक्ष की भूमिका में सड़कों पर संघर्ष कर कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने वाले पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट को इन दिनों कांग्रेस में ‘गद्दार’ कहा जा रहा है। सरकार के मुखिया अशोक गहलोत इससे पहले नकारा, निकम्मा तक कह चुके हैं। लेकिन अपनी ही पार्टी में इतनी ज़लालत के बाद भी संयमित रहने वाले पायलट का कद बढ़ रहा है। भले ही सत्ता हासिल करने की जीतोड़ मेहनत के बाद भी उन्हें सीएम की कुर्सी नहीं मिली। भले ही दो साल पहले साल 2020 में उनके हक की आवाज को पार्टी के दूसरे गुट ने बगावत करार दिया हो। लेकिन तब और अब में बहुत कुछ बदला भी है। तब सत्ता तक पहुंचाने वाले कार्यकर्ताओं को हक दिलाने के पायलट के बगावती फैसले में 18 विधायक उनके साथ थे। उनकी आवाज में आवाज मिलाने वालों की यह संख्या अब बढ़ी है। उनकी तरफदारी करने वालों के कुनबे में आधा दर्जन से ज्यादा विधायक और शामिल हो रहे हैं। ये वो विधायक हैं जो कभी अशोक गहलोत खेमे में थे, लेकिन हालिया सियासी संकट में उनका रुख बदला बदला नजर आ रहा है। वो बात कांग्रेस पार्टी के उसूलों की करते हैं और बिना पायलट का जिक्र किए उनकी तरफदारी भी। हालांकि कुछ विधायक और मंत्री तो खुलकर पायलट के समर्थन में गहलोत गुट से बगावत पर उतर आए।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अशोक गहलोत ने पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने और सीएम पद छोड़ने के मामले में कांग्रेस आलाकमान के विश्वास को तोड़ा है। गहलोत समर्थक विधायकों की ओर से विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करना भी पार्टी की अनुशासनहीनता था। आलाकमान ने इस मसले पर भले ही अशोक गहलोत को क्लीनचिट दे दी हो, लेकिन पार्टी के कई विधायकों की नजर में यह खिलाफत है। जोधपुर से ओसियां विधायक दिव्या मदरेणा, उदयपुरवाटी से विधायक और मंत्री राजेंद्र गुढ़ा जैसे नेता लगातार गहलोत के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। जिसका गहलोत को कोई नुकसान हो या न हो, पायलट को फायदा जरूर हो रहा है। ऐसे दो विधायक या मंत्री नहीं हैं, ऐसे नेताओं की संख्या आधा दर्जन से अधिक है। इन बगावती तेवरों के चलते ही यह भी कहा जा रहा है कि गहलोत के चलते पायलट पहले ये ज्यादा मजबूत हुए हैं।

गहलोत के समर्थन में खड़े कई विधायक अब पायलट के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। रविवार को जिन विधायकों ने शांति धारीवाल और महेश जोशी के कहने पर इस्तीफे दिए थे उनमें से ही कुछ विधायक अब गहलोत गुट से छिटकने लगे हैं। शांति धारीवाल के घर बगावत की बैठक में शामिल होने वाले विधायक इंदिरा मीणा, जितेन्द्र सिंह, मदन प्रजापत और संदीप यादव भी अब सचिन पायलट की तरफदारी करते दिख रहे हैं। इनका कहना है कि वे हाईकमान के फैसले के साथ हैं। मदन प्रजापत तो यहां तक कह चुके हैं कि सचिन पायलट को अगर मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

ताजा घटनाक्रम में गहलोत के अपने विधायक उनके फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। सचिन पायलट भले ही संयमित रहने और किसी भी प्रतिक्रिया से बच रहे हैं लेकिन मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और विधायक दिव्या मदेरणा लगातार हमलावर हैं। कांग्रेस की तेज तर्रार नेता दिव्या मदेरणा लगातार गहलोत गुट की ओर से उठाए गए कदम को गलत करार देते हुए ट्वीट कर रही हैं। हालांकिन उन्होंने साफ किया कि वे न तो गहलोत गुट के साथ हैं और न ही पायलट गुट के साथ। वे किसी गुट में नहीं है। वे तो सिर्फ हाईकमान के फैसले के पक्ष में है। उधर, मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा का कहना है कि धारीवाल के सरकारी बंगले पर जो नौटंकी हुई उसका नतीजा बहुत बुरा होगा।

गुढ़ा ने कहा कि सिर्फ तीन-चार लोगों ने सारे विधायकों को कब्जे में कर रखा है।शांति धारीवाल के घर बगावत की बैठक में शामिल होने वाले विधायक इंदिरा मीणा, जितेन्द्र सिंह, मदन प्रजापत और संदीप यादव भी अब सचिन पायलट की तरफदारी करते दिख रहे हैं। इनका कहना है कि वे हाईकमान के फैसले के साथ हैं। मदन प्रजापत तो यहां तक कह चुके हैं कि सचिन पायलट को अगर मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। जिन विधायकों ने धारीवाल और महेश जोशी के बहकावे में आकर इस्तीफे दिए हैं। उनमें कोई भी विधायक बिना टिकट के सरपंच का चुनाव भी नहीं जीत सकते। इससे पहले वो कह चुके हैं कि गहलोत से कही बेस्ट सीएम होंगे पालयट।