भारत में पीएफआई को बैन करने के क्या है मुख्य कारण?

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भारत में पीएफआई को पूरी तरह से बैन करने की कवायद चल रही है! गृहमंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि मशहूर हस्तियों पर हमले करने, विभिन्न जगहों और सार्वजनिक संपत्तियों को नष्ट करने के लिए विस्फोटक जमा करने के भी साक्ष्य मिले। इसमें नृशंस गतिविधियों के शिकार कुछ लोगों के नाम हैं, जिनमें अधिकतर केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के थे।

पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का गृह मंत्रालय का सवा दो पृष्ठों का नोटिफिकेशन इस संगठन की आतंकी, हिंसक और मजहबी कट्टरता फैलाती गतिविधियों और अवैध तरीकों से जुटाई रकम पर काफी कुछ बताता है। इससे साफ होता है कि पीएफआई ने लगभग हर वो देश-विरोधी काम किया जो भारत को कमजोर कर सकता है। इन गतिविधियों से समझा जा सकता है कि पीएफआई न केवल समाज को नुकसान पहुंचा रहा था, बल्कि खुद को तेजी से बढ़ा कर मजबूत भी कर रहा था!

यूएपीए यानी विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 1967 की धारा 3(1) के तहत 5 साल के लिए यह प्रतिबंध लगा हैं।धारा कहती है, ‘यदि केंद्रीय सरकार की यह राय हो कि कोई संगठन विधि-विरुद्ध है तो अधिसूचना द्वारा उसे विधि विरुद्ध घोषित कर सकेगी।

यूएपीए में 2019 के संशोधन के अनुसार किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित किया जा सकता है, ताकि वह प्रतिबंधित संगठन के सदस्यों या पदाधिकारियों को जोड़कर नये नाम से संगठन न बना ले। संगठन के मामले में केंद्र सरकार ऐसा कदम उठाती है जब संगठन आतंकी गतिविधि में शामिल रहा हो।

ऐसी आतंकी सूची में फरवरी 2022 तक 42 संगठन शामिल थे… इनमें बब्बर खालसा इंटरनेशनल व सीपीआई माओवादी से लेकर एलटीटीई, लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन तक शामिल हैं।भारत के सांविधिानिक ढांचे और सत्ता के प्रति पीएफआई असम्मान दर्शाता है। उसके सहयोगी संगठन भी देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के प्रति दुराग्रह रखते हैं, गैर-कानूनी काम करते हैं, आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं और लोगों में मजहबी नफरत को बढ़ाकर शांति भंग करना चाहते हैं।

कुछ मुस्लिम संगठनों और उनके नेताओं ने भी पीएफआई पर प्रतिबंध का समर्थन किया है। ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चेयरमैन सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, कानून का अनुपालन और आतंकवाद की रोकथाम के लिए अगर यह कार्रवाई की गई है तो इस पर सभी को धीरज से काम लेना चाहिए, क्योंकि अगर देश सुरक्षित है तो हम सुरक्षित हैं।

ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन ने कहा, पीएफआई की देश विरोधी गतिविधियों की खबरें आ रही हैं। इस पर प्रतिबंध देश हित में है।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, भारत कट्टरपंथी विचारधारा की सरजमीं नहीं है और न यहां ऐसी कट्टरपंथी विचारधारा पनप सकती है

मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया ने कहा, पीएफआई जिन खतरनाक मंसूबों पर काम कर रहा था, उन्हें उचित नहीं कह सकते।

शिया धर्मगुरू मौलाना सैफ अब्बास ने रोक का स्वागत करते हुए कहा, देश में रहकर देश का विरोध करने वालों के लिए सबक जरूरी है। माहौल बिगाड़ने की इजाजत किसी को नहीं दे सकते।एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, अगर कुछ लोगों की गलत गतिविधि की वजह से संगठन को बैन किया जाता है तो यह खतरनाक है। उन्होंने इस फैसले को तानाशाही करार दिया है। कहा, कट्टरपंथी सोच का हम हमेशा से विरोध करते आए हैं लेकिन इस तरह का प्रतिबंध बिल्कुल गलत है।

राजद नेता लालू यादव ने कहा, पीएफआई की तरह जितने भी संगठन हैं सभी पर प्रतिबंध लगे। सबसे पहले आरएसएस को बैन करिए। यह उससे भी बदतर संगठन है।

यूपी के संभल से सपा सांसद शफीक उर रहमान बर्क ने कहा, यह संगठन मुस्लिमों का हितैषी है, इसलिए इसके खिलाफ यह कार्रवाई की गई है। पीएफआई में जो गिरफ्तारियां हुई हैं, वो भी गलत हैं।

महाराष्ट्र, कर्नाटक व मध्य प्रदेश में पीएफआई पर रोक के साथ ही सख्ती शुरू हो गई है। महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस को संगठन के कार्यालयों को सीज करने और बोर्ड हटाने के निर्देश दिए हैं। कर्नाटक के डीजीपी प्रवीण सूद ने चेतावनी दी कि पीएफआई पर प्रतिबंध के खिलाफ प्रदेश में कोई भी प्रदर्शन हुआ तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने कहा, पुलिस व जिला अधिकारी सरकार के आदेशों के अनुसार प्रतिबंध लागू करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगे। सूद ने कहा, केंद्र के प्रतिबंध के बाद, राज्य सरकार जल्द ही जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस आयुक्त को जमीनी स्तर की कार्रवाई को लेकर आदेश जारी करेगी। पुलिस सतर्क है और संगठन के कार्यकर्ताओं व उसका समर्थकों पर कड़ी नजर रख रही है।

मध्य प्रदेश पुलिस ने पीएफआई से जुड़े चार और लोगों को गिरफ्तार किया है। प्रदेश पुलिस अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पीएफआई पर प्रतिबंध को आंतरिक सर्जिकल स्ट्राइक बताया है। वहीं, पुलिस के मुताबिक खरगोन में रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसा भड़काने में पीएफआई का हाथ था। संगठन ने दंगा पीड़ितों की मदद के नाम पर 55 लाख रुपये का चंदा भी जुटाया था।

गृह मंत्रालय के मुताबिक, पीएफआई के सदस्य आतंकी साजिश के लिए हवाला व चंदों के रूप में विदेश से  पैसे जुटाते हैं। इस रकम को अलग-अलग चैनलों के माध्यम से सफेद किया जाता है।

पीएफआई की राजनीतिक इकाई सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया को 2018-19 से अब तक तीन साल में 11 करोड़ रुपये का चंदा मिला।गृहमंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया, पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के नेता हैं। इस संगठन के तार जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से भी जुड़े हैं। सिमी और जेएमबी दोनों ही भारत में प्रतिबंधित हैं।

पीएफआई के वैश्विक आतंकी संगठन आईएस से जुड़े होने के कई साक्ष्य मिले हैं। पीएफआई, उसके सहयोगी संगठन या मोर्चे देश में असुरक्षा की भावना को बढ़ावा देकर एक समुदाय के कट्टरपंथ को बढ़ाने के लिए गुप्त रूप से काम कर रहे हैं। इसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि कुछ पीएफआई सदस्य अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों में भी शामिल हो गए हैं।

इन परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र सरकार की राय है कि पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों व फ्रंट एसोसिएशन को तत्काल प्रभाव से गैरकानूनी घोषित करना बेहद जरूरी है। इसलिए यूएपीए की धारा 3 की उपधारा (3) के प्रावधानों के तहत इसे गैरकानूनी घोषित किया गया है।