Thursday, September 19, 2024
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राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के इलाकों को रूस में क्यों मिलाया?

राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के कई इलाकों को रूस में मिलाने का फैसला ले लिया है! रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन रूस के कब्जे वाले चार यूक्रेनी क्षेत्रों को अपने देश में मिलाने वाले हैं। इसके लिए वे थोड़ी ही देर में औपचारिक दस्तावेज पर हस्ताक्षर भी कर देंगे। पुतिन के इस कदम को यूक्रेन के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। पहले यह दावा किया जा रहा था कि यूक्रेनी सेना रूसी सैनिकों को पीछे ढकेल रही है। लेकिन, पुतिन ने यूक्रेनी इलाकों को रूस का हिस्सा घोषित कर पश्चिमी मीडिया के दावों की हवा निकाल दी है। पुतिन के कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता पेसकोव ने कहा कि पुतिन शुक्रवार को दोपहर 3 बजे क्रेमलिन में एक समारोह में भाषण देंगे। इस खुशी में मॉस्को के रेड स्क्वायर में एक रॉक कॉन्सर्ट आयोजित होने वाला है, जहां विशाल वीडियो स्क्रीन वाला एक मंच पहले ही स्थापित किया जा चुका है। इस मंच पर लगी होर्डिंग में यूक्रेन के उन क्षेत्रों का नाम लिखा गया है, जिसे रूस अपने में मिला रहा है।

रूस यूक्रेन के कब्जा किए गए इलाकों को अपने देश में मिलाने जा रहा है। इससे पहले रूसी अधिकारियों ने कब्जाए गए यूक्रेनी क्षेत्र में एक जनमत संग्रह भी करवाया था। इस जनमत संग्रह को लेकर यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने रूस की कड़ी निंदा की थी। रूस समर्थक अधिकारियों ने घोषणा करते हुए कहा कि स्व-घोषित लुहान्स्क पीपुल्स रिपब्लिक और डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक में 98 प्रतिशत से अधिक, खेरसॉन में 87 प्रतिशत से अधिक और जापोरिजिया में 93 प्रतिशत से अधिक ने रूस का हिस्सा बनने के लिए मतदान किया था। कीव और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन के 15 फीसदी इलाके को रूस में मिलाने को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया।

यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्र को रूस में शामिल करना वर्तमान संघर्ष को और ज्यादा भड़काने का प्रतीक माना जा रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम पश्चिम को यह दिखाने के लिए है कि रूस का यूक्रेन पर अपने आक्रमण में अपने राजनीतिक और सैन्य उद्देश्यों से पीछे हटने का कोई इरादा नहीं है। पश्चिमी मीडिया ने हाल ही में बड़े जोर-शोर से दावा किया था कि रूसी सेना पूर्वी यूक्रेन में कई मोर्चों से पीछे खदेड़ी जा चुकी है। यूरेशिया डेमोक्रेसी इनिशिएटिव के निदेशक पीटर जाल्मेयेव ने अल जजीरा को बताया कि पुतिन को अपने लोगों को दिखाना होगा कि यह युद्ध किसी उद्देश्य के लिए है और उम्मीद कर रहे हैं कि यूक्रेनी क्षेत्र के अपने देश में विलय से उनका घटता जनसमर्थन तेजी से बढ़ेगा।

रूस भी उन आलोचकों के मुंह को बंद करना चाहता है, जो बार-बार दावा कर रहे हैं कि यूक्रेनी सेना अब भी युद्ध में बढ़त हासिल कर रही है। यूक्रेनी सेना धीरे-धीरे डोनेट्स्क प्रांत में रूस के मुख्य गढ़ लाइमैन शहर को घेर रही है। अगर इस शहर पर यूक्रेन का कब्जा हो जाता है तो यूक्रेनी सेना के लिए बाकी हिस्सों पर आक्रमण करने का रास्ता खुल जाएगा। इससे रूस की सैन्य साजोसामान और रसद आपूर्ति बंद होने के अलावा उनके मनोबल पर भी नकारात्मक असर होगा।का लक्ष्य रखता है। पिछले हफ्ते एक भाषण में, पुतिन ने चेतावनी दी कि यदि आवश्यक हो तो वह रूसी क्षेत्र की रक्षा के लिए परमाणु हथियारों का उपयोग कर सकते हैं। रूसी सरकार के अधिकारियों ने कहा है कि औपचारिक रूप से रूस में शामिल होने के बाद ये चारों क्षेत्र मास्को के परमाणु रक्षा कवच के अंतर्गत आ जाएंगे।

रूस के लिए सबसे बड़ी चुनौती यूक्रेनी क्षेत्र को अपने देश में शामिल करने के बाद इसे कानूनी मान्यता दिलाने की है। रूस के करीबी सहयोगियों में शुमार चीन, भारत, कजाकिस्तान और सर्बिया ने संकेत दिया है कि वे जनमत संग्रह या विलय के परिणामों को मान्यता नहीं देंगे। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और यूक्रेनी अधिकारियों ने इस प्रक्रिया को एक “दिखावा” बताया है। कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका के एक अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक गठबंधन ग्रुप ऑफ सेवन (जी 7) ने भी रूस के जनमत संग्रह को “नाजायज” के रूप में निंदा की।

दूसरे राज्य के कब्जे वाले क्षेत्र पर एकतरफा कब्जा करने की रूस की रणनीति नई नहीं है। फरवरी 2014 में, रूस ने आक्रमण किया और बाद में यूक्रेन से क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया। इसके बाद बिना किसी विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के क्रीमिया में जनमत संग्रह करवाया गया। रूस ने इसका परिणाम घोषित करते हुए दावा किया था कि क्रीमिया के 96.7 प्रतिशत लोगों ने रूस में शामिल होने के लिए मतदान किया। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण से पहले ही, लुहान्स्क और डोनेट्स्क क्षेत्रों के कुछ हिस्सों पर पुतिन की सेना का कब्जा हो चुका था। क्रेमलिन ने 2014 से इस क्षेत्र में दो अलगाववादी सरकारों का समर्थन और सशस्त्र किया है, जिन्हें डोनबास के नाम से जाना जाता है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने रूस के खिलाफ बहुत कठोर प्रतिक्रिया की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर मॉस्को यूक्रेनी क्षेत्रों के विलय की योजना पर आगे बढ़ता है तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं G7 नेताओं और अमेरिका ने रूस पर और कड़े प्रतिबंध लगाने का वादा किया है। यूरोपीय संघ ने कहा कि वह क्रेमलिन को संघर्ष की नवीनतम वृद्धि के लिए “भारी कीमत” चुकाने के लिए तैयार है।

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