क्या संघ वापस ला सकता है पीएम मोदी को सत्ता में?

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संघ पीएम मोदी को वापस सत्ता में लाने के लिए काफी है यह सवाल कई मायनों में उठाया जा रहा है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिनों के अंतराल के बाद एक बार फिर मध्यप्रदेश के दौरे पर थे। प्रदेश के राजनीतिक हलकों में इस दौरे के कई मायने निकाले जा रहे हैं। मालवा-निमाड़ अंचल में पीएम मोदी का यह दौरा भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगा। क्योंकि इस इलाके से ही सत्ता का रास्ता तय होता है। पिछले पांच वर्ष के चुनावी नतीजे कहते हैं कि यह क्षेत्र प्रदेश का किंगमेकर बनकर उभरा है। जिस पार्टी को इस अंचल में कामयाबी मिली, प्रदेश की कमान उसके हाथ ही रही। हालांकि यह क्षेत्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक ‘संघ की नर्सरी’ के तौर पर भी जाना जाता है। इधर, नवंबर के अंतिम सप्ताह में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के एमपी पहुंचने की उम्मीद है। राहुल की यात्रा मालवा-निमाड़ के सात जिलों की 25 विधानसभा सीटों से होकर गुजरेगी।

230 सीटों वाली प्रदेश विधानसभा में मालवा-निमाड़ अंचल की 66 सीटें शामिल हैं। मालवा-निमाड़ में 15 जिले और 2 संभाग आते हैं। इस क्षेत्र में इंदौर, धार, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी, झाबुआ, अलीराजपुर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, देवास, नीमच और आगर मालवा शामिल हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार की वजह मालवा-निमाड़ ही रहा था। 66 सीटों में से 35 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। वहीं भाजपा को 28 सीटें मिली थी। इसके सहारे ही कांग्रेस प्रदेश की सत्ता पर लौटने में सफल रही थी। जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मालवा-निमाड़ में 57 सीटों पर अपना कब्जा किया था, कांग्रेस को महज नौ सीटें हासिल हुई थीं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का यह दबदबा कायम रहा।

भाजपा 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां चूक गई थी, ऐसे में वह पुरानी गलती दोबारा नहीं करना चाहती और अभी से इस खास क्षेत्र पर अपनी पकड़ फिर मजबूत करना चाहती है। अमर उजाला से चर्चा में प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार अनिल गुप्ता कहते हैं, विधानसभा चुनाव में अभी सालभर का वक्त है, लेकिन पीएम के इस कार्यक्रम का इंदौर-उज्जैन समेत पूरे मालवा क्षेत्र में असर देखने को मिलेगा। हालांकि पीएम के भविष्य में कई और दौरे भी संभावित हैं। समय-समय पर इसका असर भी पूरे प्रदेश में देखने को मिलेगा। आगामी चुनाव को देखते हुए मालवा और निमाड़ में संगठन पूरी ताकत के साथ लगा हुआ है, ताकि पार्टी का प्रदर्शन यहां जबरदस्त हो सके। ऐसे में पीएम मोदी उज्जैन की यह रैली भाजपा को बढ़त दिलाने का काम करेगी। 

प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मालवा-निमाड़ को ‘संघ की नर्सरी’ माना जाता है। इसलिए संघ का सबसे ज्यादा फोकस यहीं होता है। आए दिन संघ के कई राष्ट्रीय पदाधिकारी यहां प्रवास पर आते हैं। छोटे या बड़े आयोजनों में शामिल होते हैं। प्रदेश के कई बड़े नेता इसी अंचल से निकले हैं। लेकिन सीएम शिवराज सिंह के इस क्षेत्र से न होते हुए भी उनकी लोकप्रियता यहां मानी जाती है, जबकि कैलाश विजयवर्गीय इस क्षेत्र में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस क्षेत्र में तगड़ा झटका लगा था। इसलिए पार्टी यहां पुरानी गलती नहीं दोहराना चाहती। इसलिए पार्टी सालभर पहले से ही इस अंचल में अपनी पकड़ फिर से मजबूत करना चाहती है। मालवा-निमाड़ पश्चिमी मध्यप्रदेश के इंदौर और उज्जैन संभागों में फैला है और इस अंचल में आदिवासी और किसान तबके के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है।

जानकार आगे कहते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भी भाजपा में आने से मालवा-निमाड़ में पार्टी की ताकत बढ़ी है। जबकि भाजपा नेतृत्व ने मालवा-निमाड़ क्षेत्र से भाजपा नेता सत्यनारायण जटिया को संसदीय बोर्ड में शामिल किया है। ऐसे में पार्टी एससी/एसटी के साथ अब ओबीसी वर्ग को भी साधने की पूरी तैयारी में नजर आ रही है। प्रदेश की 47 विधानसभा सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जिनमें सबसे ज्यादा मालवा-निमाड़ में आती हैं। लेकिन अभी भी पार्टी के लिए जयस संगठन परेशानी का कारण बना हुआ है। क्योंकि यह संगठन तेजी से इस इलाके में अपनी पकड़ बना रहा है। पिछले साल जयस ने कांग्रेस का समर्थन किया था। इससे भाजपा को काफी नुकसान हुआ था और सत्ता भी गंवानी पड़ी थी। ऐसे में आदिवासी वर्ग का साथ छूटने की कमी को भाजपा फिर से पूरा करने की तैयारी में नजर आ रही है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के नवंबर के अंतिम सप्ताह में मध्यप्रदेश पहुंचने की उम्मीद है। यात्रा प्रदेश के जिन क्षेत्रों से होकर गुजरेगी, इनमें आदिवासी क्षेत्रों को प्राथमिकता के आधार पर शामिल किया गया है। इसमें मालवा-निमाड़ अंचल के बुरहानपुर, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन और धार जिले के आदिवासी क्षेत्रों को शामिल किया गया है। राहुल प्रदेश में 16 दिन रहेंगे। यह यात्रा प्रदेश के मालवा-निमाड़ के सात जिलों की 25 विधानसभा सीटों से गुजरेगी। पार्टी की कोशिश है कि राहुल गांधी के चेहरे को आदिवासी क्षेत्रों में पहुंचा कर आदिवासी वोटरों को रिझाया जाए।