यदि शशि कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो बहुत कुछ परिवर्तित हो सकता है! कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में अब केवल कुछ ही दिन बचे हैं। इस बाबत दोनों उम्मीदवार शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खरगे ने अपना चुनाव प्रचार अभियान तेज कर दिया है। दोनों नेता अपनी-अपनी नीति को सार्वजनिक मंच पर रख रहे हैं कि अगर वे अध्यक्ष बनते हैं तो किस-किस तरह का बदलाव लाएंगे। इसी क्रम में शशि थरूर ने बुधवार को अपनी राय रखते हुए कहा कि अगर वह कांग्रेस प्रमुख बनते हैं, तो वह पार्टी के मौजूदा संविधान को पूरी तरह से लागू करेंगे और इसके लिए सीडब्ल्यूसी चुनाव और संसदीय बोर्ड के पुनरुद्धार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह चुनाव ही पार्टी में लोकतंत्र को आगे बढ़ाने के लिए सबसे पहला कदम है। उन्होंने कहा कि संसदीय बोर्ड में भी बदलाव की आवश्यकता है जो कि 25 साल से निष्क्रिय है। पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में, थरूर ने यह भी कहा कि कांग्रेस को सत्ता का विकेंद्रीकरण करना चाहिए और पार्टी के जमीनी पदाधिकारियों को सही मायने में सशक्त बनाना चाहिए। थरूर ने कहा कि वह उदयपुर घोषणा को पूरी तरह से लागू करेंगे, जिस पर इस साल की शुरुआत में पार्टी के चिंतन शिविर में सर्वसम्मति से सहमति बनी थी।
थरूर ने कहा कि कांग्रेस को प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के अध्यक्षों, प्रखंड, मंडल और बूथ अध्यक्षों को वास्तविक अधिकार देकर राज्यों में पार्टी को सशक्त बनाना चाहिए। इसके अलावा एक व्यक्ति, एक पद’ और ‘एक परिवार, एक टिकट नियम लागू करना होगा। हमें सत्ता का विकेंद्रीकरण करना चाहिए और पार्टी के जमीनी पदाधिकारियों को सही मायने में सशक्त बनाना चाहिए। उदाहरण के लिए, हमारे पीसीसी प्रतिनिधियों की पिछले 22 वर्षों से कोई भूमिका नहीं है, लेकिन 17 अक्तूबर को आने वाले चुनाव में मतदान करने के लिए है।
उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि पीसीसी के प्रतिनिधियों को मंच पर एक जगह सुनिश्चित करके उनकी निर्वाचित स्थिति का सम्मान किया जाए। जब कोई स्थानीय वरिष्ठ नेता दौरा करता है तो उनके परामर्श को शामिल करना चाहिए जो कि चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन से पहले होना चाहिए।इसी क्रम में शशि थरूर ने बुधवार को अपनी राय रखते हुए कहा कि अगर वह कांग्रेस प्रमुख बनते हैं, तो वह पार्टी के मौजूदा संविधान को पूरी तरह से लागू करेंगे और इसके लिए सीडब्ल्यूसी चुनाव और संसदीय बोर्ड के पुनरुद्धार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह चुनाव ही पार्टी में लोकतंत्र को आगे बढ़ाने के लिए सबसे पहला कदम है। उन्होंने कहा कि संसदीय बोर्ड में भी बदलाव की आवश्यकता है जो कि 25 साल से निष्क्रिय है। पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में, थरूर ने यह भी कहा कि कांग्रेस को सत्ता का विकेंद्रीकरण करना चाहिए और पार्टी के जमीनी पदाधिकारियों को सही मायने में सशक्त बनाना चाहिए। थरूर ने कहा कि वह उदयपुर घोषणा को पूरी तरह से लागू करेंगे, जिस पर इस साल की शुरुआत में पार्टी के चिंतन शिविर में सर्वसम्मति से सहमति बनी थी। थरूर ने कहा कि मैं 2014 के यूपीए के नारे ‘मैं’ नहीं, ‘हम’ का बड़ा प्रशंसक रहा हूं। संगठन को नया रूप देने, जमीनी नेताओं को सशक्त बनाने और अपनी सफलता में कार्यकर्ताओं को शामिल करने से न सिर्फ नए अध्यक्ष से बोझ कम होगा, इससे प्रदेश स्तर पर मजबूत नेतृत्व तैयार करने में मदद मिलेगी।
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्तूबर को मतदान हुआ है और अब 19 अक्तूबर को मतगणना होगी।थरूर ने कहा कि कांग्रेस को प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के अध्यक्षों, प्रखंड, मंडल और बूथ अध्यक्षों को वास्तविक अधिकार देकर राज्यों में पार्टी को सशक्त बनाना चाहिए।इसके अलावा एक व्यक्ति, एक पद’ और ‘एक परिवार, एक टिकट नियम लागू करना होगा। हमें सत्ता का विकेंद्रीकरण करना चाहिए और पार्टी के जमीनी पदाधिकारियों को सही मायने में सशक्त बनाना चाहिए। उदाहरण के लिए, हमारे पीसीसी प्रतिनिधियों की पिछले 22 वर्षों से कोई भूमिका नहीं है, लेकिन 17 अक्तूबर को आने वाले चुनाव में मतदान करने के लिए है। इसके अलावा एक व्यक्ति, एक पद’ और ‘एक परिवार, एक टिकट नियम लागू करना होगा। हमें सत्ता का विकेंद्रीकरण करना चाहिए और पार्टी के जमीनी पदाधिकारियों को सही मायने में सशक्त बनाना चाहिए। उदाहरण के लिए, हमारे पीसीसी प्रतिनिधियों की पिछले 22 वर्षों से कोई भूमिका नहीं है, लेकिन 17 अक्तूबर को आने वाले चुनाव में मतदान करने के लिए है। मल्लिकार्जुन खरगे और थरूर उम्मीदवार हैं। खरगे की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।