टेराकोटा आर्मी एक ऐसी आर्मी थी, जिस के रहस्य को देखने खुद प्रधानमंत्री मोदी भी जा पहुंचे! जमीन के नीचे हजारों रहस्य दफन हैं। ऐसे ही रहस्यों को खोजने का काम पुरातत्वविद करते हैं। इंसानों को हमेशा जमीन के नीचे दफन इतिहास मिलता रहा है। उन्हीं में से एक के बारे में हम आपको आज बताएंगे। ये चीन की टेराकोटा सेना है। जो जमीन के नीचे लगभग दो हजार वर्षों तक दफन रही है। मार्च 1974 में उत्तर-पश्चिम चीन के शानक्सी प्रांत में कुएं की खुदाई के दौरान कुछ किसानों को मिट्टी के कुछ टुकड़े मिले। इसी दौरान उन्हें टेराकोटा से बना एक सिर मिला, जिसके बाद पुरातत्व विभाग ने यहां खुदाई की और एक बड़ा रहस्य दुनिया के सामने आया। इसे देखने दुनियाभर से लोग जाते हैं। 2015 में चीन यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे देखा था।
टेराकोटा की सेना चीन के पहले सम्राट चिन शी हुआंग की गुप्त कब्र के पास है। 221 ईसापूर्व चिन शी हुआंग ने चीन पर शासन किया और एक बड़ा साम्राज्य बनाया। टेराकोटा की इस सेना में पैदल सैनिक, घोड़े और रथ की मूर्तियां हैं। आपके मन में एक सवाल आ रहा होगा कि आखिर ये सैनिक कौन हैं? दरअसल आज से हजारों साल पहले दुनिया के अलग-अलग इलाकों में मौत के बाद का जीवन यानी आफ्टर लाइफ में लोग विश्वास करते थे। तब राजा या किसी रईस व्यक्ति की मौत पर नौकरों को बलि देकर उनके साथ दफनाया जाता था। क्योंकि वह मानते थे कि ये दूसरी दुनिया में सेवा करेंगे।
चिन शी हुआंग भी अपनी आफ्टर लाइफ के लिए एक बड़ी सेना चाहते थे, लेकिन तब तक ऐसा समय आ चुका था, जब इंसानों की बलि की आलोचना होने लगी। ऐसे में सम्राट की कब्र की रखवाली के लिए टेराकोटा से बनी मूर्तियों को बनाया गया। सम्राट ने जमीन के नीचे लगभग अपना एक और साम्राज्य बना रखा था। इसका सबूत भी है, क्योंकि कुछ समय पहले ही मिट्टी में दफन संगीतकारों की मूर्ति खोजी गई है, जो मनोरंजन के लिए थीं। टेराकोटा आर्मी माना जाता है कि सम्राट के मकबरे कि रखवाली कर रही है। इसका खोजा जाना सभी के लिए हैरान करने वाली खबर थी, क्योंकि इसका कोई ऐतिहासिक रेकॉर्ड नहीं था। अभी तक लगभग 2000 सैनिकों की मूर्ति और घोड़े मिले हैं। लेकिन माना जाता है कि करीब 6,000 सैनिक अभी भी जमीन में दफन हैं और उन्हें खोजा जाना बाकी है।
जमीन के नीचे दफन मूर्तियों की बनावट हर किसी को हैरान कर देती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें बेहद डिटेल के साथ बनाया गया है। इनके बाल और कपड़े और भाव एक दम बारीक और अलग-अलग हैं। हजारों की संख्या में बनी इन मूर्तियों में किसी का भी चेहरा एक दूसरे से नहीं मिलता है। इसके साथ ही इन्हें दफनाने के दौरान पूरी तरह से रंगा गया था, जो ज्यादातर प्राकृतिक रंग जैसे पेड़ों से आए थे। सभी सैनिक अपने रैंक के हिसाब से खड़े हैं। इसमें पैदल सैनिक, धनुर्धारी, सेनापति, घुड़सवार और रथ हैं जो एक असली सेना दिखाते हैं।
जब सभी सैनिकों की मूर्ति बन गई तो उन्हें असली हथियार दिए गए। सैनिकों के हाथों में तांबे की तलवारें दी गईं। खुदाई में 40,000 से ज्यादा हथियार मिल चुके हैं,जमीन के नीचे दफन मूर्तियों की बनावट हर किसी को हैरान कर देती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें बेहद डिटेल के साथ बनाया गया है। इनके बाल और कपड़े और भाव एक दम बारीक और अलग-अलग हैं। हजारों की संख्या में बनी इन मूर्तियों में किसी का भी चेहरा एक दूसरे से नहीं मिलता है। इसके साथ ही इन्हें दफनाने के दौरान पूरी तरह से रंगा गया था, जो ज्यादातर प्राकृतिक रंग जैसे पेड़ों से आए थे। सभी सैनिक अपने रैंक के हिसाब से खड़े हैं। इसमें पैदल सैनिक, धनुर्धारी, सेनापति, घुड़सवार और रथ हैं जो एक असली सेना दिखाते हैं। जिनमें तवारें और तीर हैं। जांच में ये भी पता चला कि ये सभी हथियार कभी भी युद्ध में इस्तेमाल नहीं हुए, बल्कि सिर्फ सम्राट की अंडरग्राउंड सेना के लिए ये विशेष तौर पर बनाए गए थे।चिन शी हुआंग की कब्र आज भी पुरातत्वविदों के लिए एक रहस्य बनी हुई है। मकबरे के टीले के जियोफिजिकल सर्वेक्षण हुए हैं, लेकिन उनकी खुदाई अभी तक नहीं हुई है। हालांकि मकबरे के बारे में हान राजवंश के एक इतिहासकार ने लिखा कि यहां सौ अधिकारियों के लिए महल और सुंदर टावरों के साथ कई दुर्लभ कलाकृतियां हैं।