Monday, December 23, 2024
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उत्तर प्रदेश में बाढ़ से क्यों बच रहे हैं प्रशासनिक अधिकारी?

उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक अधिकारी बाढ़ से बचाव खा रहे हैं! उत्तर प्रदेश के कई जिले इस समय बाढ़ से जूझ रहे हैं। गोंडा, बहराइच, अयोध्या से लेकर गोरखपुर, आजमगढ़, मऊ सहित तमाम जिलों में लाखों जिंदगियां बुरी तरह प्रभावित हैं। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं, राहत सामग्री बंटवा रहे हैं। यही नहीं सीएम ने तमाम नेताओं, मंत्रियों की राहत पहुंचाने में ड्यूटी तक लगा दी है। लेकिन जमीन पर विरोध की आवाजें फिर भी सुनाई दे रही हैं। दरअसल व्यवस्था का सच ये है कि आम लोगों तक सीधी राहत अगर कोई पहुंचाता है तो वह सरकारी तंत्र ही होता है। कर्मचारी से लेकर अधिकारियों की फौज इसमें शामिल होती है। ये ही लोग सुनिश्चित करते हैं पीड़ित हर इंसान तक राहत पहुंचे। लेकिन क्या ऐसा हो रहा है? पूरी तरह तो नहीं कहा जा सकता। जिलों से जो रिपोर्ट आ रही हैं, उसने उत्तर प्रदेश में इस बार की बाढ़ ने सरकारी तंत्र के दो चेहरे सामने लाए हैं। एक चेहरे में मानवता है, तमाम चुनौतियों से जूझते हुए राहत पहुंचाने का जज्बा है तो दूसरे चेहरे में सरकारी गुरूर है, जमीन से कट चुकी मानसिकता साफ झलक रही है।

उत्तर प्रदेश में लखीमपुर जिला बाढ़ से हर साल प्रभावित होता है। इस बार भी कई इलाके जलमग्न हैं, लाखों की आबादी इससे परेशान है। इन्हीं बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने लखनऊ रेंज की मंडलायुक्त रोशन जैकब पहुंचती हैं। सरकारी प्रथा रही है कि अधिकारी ज्यादातर बाढ़ग्रस्त इलाकों में वहीं तक जाते हैं, जहां तक उनकी गाड़ी पहुंचती है। लेकिन रोशन जैकब का वाहन जब एक सीमा के बाद रुक गया तो उन्होंने हार नहीं मानी तो मौके पर ट्रैक्टर पर सवार हो गईं। अब कमिश्नर साहिबा ट्रैक्टर पर चढ़ गईं तो बाकी अधिकारी क्या करते, मजबूरन वो भी पीछे-पीछे चल पड़े। ट्रैक्टर पर सवार होकर कमिश्नर मंगलीपुरवा, गूम, करदहिया, जंगल नंबर 11 सहित तमाम इलाकों में गईं। इसके बाद जब पानी औ बढ़ा तो मोटर बोट मंगवाई और जगन्नाथ पुरवा के पूरे इलाके का दौरा किया। वह ग्रामीणों से मिली और उनका दर्द जाना। उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया। पूछा- भोजन के पैकेट और राहत सामग्री मिल रही है कि नहीं? लोगों ने कहा, “हां मैडम मिल रही है लेकिन बिजली की समस्या है। बिजली नहीं आ रही है। इस पर कमिश्नर ने फौरन आदेश दिया।

बता दें ये वही कमिश्नर रोशन जैकब हैं जो पिछले दिनों लखीमपुर में भीषण सड़क हादसे के बाद अस्पताल पहुंची थीं और यहां बारिश से घर गिरने से घायल बच्चे की हालत देख रो पड़ी थीं। उन्होंने बच्चे को बेहतर इलाज के लिए निर्देश दिए थे। इस दौरान रोशन जैकब के आंसू भरी तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी।

चलिए अब आपको लखीमपुर खीरी से करीब 350 किलोमीटर दूर पूर्वांचल के अम्बेडकर नगर जिला ले चलते हैं। ये जिला भी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। यहां के डीएम हैं सैमुअल पॉल। इनका एक बयान पिछले दिनों काफी वायरल हुआ। दरअसल डीएम साहब अम्बेडकरनगर के टांडा इलाके में बाढ़ राहत कार्य का निरीक्षण करने पहुंचे थे। यहां वह ग्रामीणों से बातचीत कर रहे थे।

सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें डीएम साहब कह रहे हैं, “बाढ़ चौकियों पर रुकने की व्यवस्था है, क्लोरीन टैबलेट दे देंगे। किसी को कोई समस्या नहीं आएगी। कोई अगर बीमार है तो डॉक्टर आकर देख लेगा। इसीलिए बाढ़ चौकी स्थापित है। बाढ़ चौकी का मकसद क्या है? आप लोग घर पर रहेंगे तो हम लोग घर पर पहुंचाएंगे खाना? जोमैटो सर्विस थोड़ी चला रहे हैं हम लोग। जोमैटो थोड़ी चला रही है सरकार।” सोशल मीडिया पर डीएम अम्बेडकरनगर का ये बयान वायरल हुआ तो डीएम के इस रवैये की काफी आलोचना हो रही है।

पूर्वांचल का ही एक प्रमुख जिला है, सिद्धार्थनगर। यहां भी बाढ़ से हालत खराब है। यहां सांसद जगदंबिका पाल हैं, जो लगातार अपनी टीमों के साथ क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं और बाढ़ राहत पहुंचाने में मदद करवा रहे हैं। पिछले दिनों जगदंबिका पाल का एक वीडियो वायरल हो गया। मामला बिजौरा क्षेत्र का बताया जा रहा है।दरअसल वीडियो में सांसद एक ट्रैक्टर के सामने खड़े हैं, जिस पर त्रिलोकपुर थाने के एसओ विद्याधर कुशवाहा छाता लगााए बैठे हैं। एसओ से नाराज जगदंबिका पाल कह रहे हैं कि जूता गीला न हो जाए इसलिए आप ट्रैक्‍टर पर बैठो हो। हम लोगों का जूता-चप्पल नहीं भीग रहा है? आप ट्रैक्टर पर चढ़े हो….थानाध्यक्ष बनने लायक हैं? जनता हमसे आकर कह रही है, कि साहब उनसे भी कह दो कि नीचे उतर आएं। आप और हम जनता के लिए हैं। आपका केवल जूता न भीगे…क्या किसी की सेवा करोगे आप, इतना दिमाग होना चाहिए कि इतनी जनता आपको घेरे खड़ी है, तो आप ट्रैक्टर पर बैठे रहोगे? दो कदम चलोगे नहीं तो क्या सेवा करोगे जनता की? सांसद का यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।

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