क्या हिंदुत्व सचमुच खतरे में है? संघ द्वारा हिंदुत्व को खतरे में बताया जा रहा है! पिछले कुछ वक्त से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश में आबादी नियंत्रण की मांग लगातार कर रहा है। दशहरा रैली पर आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग की थी। अब संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले आबादी पर नीति की मांग कर दी है। दरअसल, संघ की इस दलील के पीछे हिंदुओं की आबादी घटने का तर्क दिया जाता है। होसबोले ने मंगलवार को प्रयागराज में एक कार्यक्रम में कहा कि धर्मांतरण और असंतुलन के कारण हिंदुओं की जनसंख्या घटी है। हालांकि, संघ पदाधिकारियों के इन बयानों का विरोधी आलोचना भी करते रहे हैं।
होसबोले ने कहा कि देश की बढ़ती आबादी चिंता का सबब है। उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी को रोकने लिए एकसमान जनसंख्या नीति बनाने की जरूरत है और इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि धर्मांतरण और पलायन के कारण जनसंख्या असंतुलन बढ़ा है। होसबोले ने कहा कि धर्मांतरण के कारण हिंदुओं की आबादी घट रही है। उन्होंने कहा कि देश कुछ हिस्सों में अवैध घुसपैठ बढ़ी है और इसपर रोक लगाने की जरूरत है। आरएसएस अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल में होसबोले ने कहा कि जनसंख्या असंतुलन के कारण भारत समेत कई देशों में बंटवारा भी हुआ है।
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने दशहरा की रैली में कहा था कि जनसंख्या पर एक समग्र नीति बने, सब पर समान रूप से लागू हो, किसी को छूट नहीं मिले, ऐसी नीति लाना चाहिए। 70 करोड़ से ज्यादा युवा हैं हमारे देश में। चीन को जब लगा कि जनसंख्या बोझ बन रही है तो उसने रोक लगा दी। हमारे समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा। नौकरी-चाकरी में भी अकेली सरकार और प्रशासन कितना रोजगार बढ़ा सकती है? समाज अगर ध्यान नहीं देता है तो होता है।
सरकारी स्रोतों से उपलब्ध सभी आंकड़ें यही बताते हैं कि मुस्लिमों की आबादी का कभी भी हिंदुओं की आबादी से ज्यादा होना नामुमकिन है। इसके बाद भी डर का इजहार जारी है और साथ में इस डर को और ज्यादा दिखाने की कोशिश भी। इससे हिंदुओं के एक तबके में ‘असुरक्षा’ तो मुस्लिमों में ‘अलग-थलग’ पड़ने की भावना पैदा हो रही है। इस वजह से हमें जब-तब सामाजिक अशांति और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
2020 के आकलन के अनुसार भारत में करीब 100 करोड़ की आबादी हिंदुओं की है। एक मोटे अनुमान के अनुसार 1947 के बाद हिंदुओं की आबादी 80 करोड़ से ज्यादा बढ़ी है। आंकड़ा कहता है कि 1951 से लेक्र 2020 तक लगभग हर साल औसतन हिंदू आबादी एक करोड़ से ज्यादा बढ़ी है। दूसरी ओर मुस्लिम आबादी की बढ़तोरी का दर सालान 25 लाख है। ये तो तब है जब मुस्लिमों की जनसंख्या वृद्धि दर हिंदुओं के मुकाबले दोगुनी है।
भारत में हिंदू 100 सालों की ब्रिटिश राज और 700 वर्षों से ज्यादा वक्त तक मुस्लिमों के शासन के बावजूद बचा रहा, फलता-फूलता रहा। दुनिया के सबसे पुराने समुदाय में से एक यहूदी का भारत में वजूद है। 1950 वर्ष पहले भारत में ईसाइयों ने कदम रखा। हिंदुस्तान की सरजमीं से जैन, बौद्ध और सिख जैसे नए धर्मों की भी स्थापना हुई, प्रसार हुआ। किसी ने भी हिंदू धर्म के लिए बाधा नहीं खड़ी की। और आज जब हिंदुओं की संख्या 1 अरब को पार कर गई है और हर साल इसमें 1 करोड़ से ज्यादा का इजाफा हो रहा है तो ये धर्म खतरे में है?
आजादी के बाद हुई हर जनगणना में मुस्लिमों का हिस्सा बढ़ा है। 1951 में जहां भारत की आबादी में 9.8 प्रतिशत मुसलमान थे, 2011 में उनकी हिस्सेदारी बढ़कर 14.2% हो गई। इसके मुकाबले हिंदुओं का हिस्सा 84.1% से घटकर 79.8% रह गया। छह दशकों में मुस्लिमों की हिस्सेदारी में 4.4% की बढ़त बेहद क्रमिक रही है। यह ट्रेंड जारी रहा तो इस सदी के अंत तक भारत में मुस्लिमों की आबादी 20% से ज्यादा नहीं होगी। यह बढ़त और धीमी होगी क्योंकि मुस्लिमों और हिंदुओं के बीच प्रजनन का अंतर कम हो रहा है और शायद कुछ सालों में खत्म ही हो जाए।
पूरी दुनिया में यह ट्रेंड देखने को मिला है कि जब लोगों की आय बढ़ी है तो प्रजनन दर कम हुई है। भारत में मुसलमान ज्यादा पिछड़े हुए हैं और उन्हें प्रति महिला 2.1 बच्चों की दर तक पहुंचने में वक्त लगेगा। प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, 1992 में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच प्रजनन दर का अंतर 1.1 बच्चे था जो 2015 तक 0.5 बच्चे रह गया। अगर यही रफ्तार रही तो दो दशक बाद यह अंतर खत्म हो जाना चाहिए।
भारत में बाहर से आकर बसने वालों में सबसे ज्यादा बांग्लादेश (32 लाख), पाकिस्तान (11 लाख), नेपाल (5.4 लाख) और श्रीलंका (1.6 लाख) के लोग हैं। भारत में जितने मुस्लिम बसने आ रहे हैं, उससे ज्यादा बाहर जा रहे हैं। भारत से 35 लाख लोग UAE गए हैं, पाकिस्तान में 20 लाख और अमेरिका में 20 लाख लोग बस गए। भारत की आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी भले ही 14.2% हो मगर देश से बाहर जाकर बसने वालों में उनका हिस्सा 27% है। जबकि आबादी में 79% शेयर रखने वाले हिंदुओं की बाहर जाने वालों में 45% हिस्सेदारी है।