हाल के दिनों में लेडी बस ड्राइवर वसंतकुमारी को राहुल गांधी के साथ देखा गया! कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी पूरे दल-बल के साथ कन्याकुमारी से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकले हैं। सड़क पर पैदल चल रहे हैं, लोगों से मिल रहे हैं, हाथ मिला रहे हैं, युवाओं के साथ सेल्फी खींची जा रही है, सड़क किनारे नारियल पानी और चाय की चुस्की ले रहे हैं। कन्याकुमारी जिले में पदयात्रा के दौरान वह किसानों, स्वच्छता कर्मियों, आदिवासी कार्यकर्ताओं और यूट्यूबर्स के साथ बात करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने पंचायत नेताओं के साथ भी चर्चा की है। इस क्रम में आज राहुल गांधी की एक महिला के साथ चलते हुए तस्वीर सामने आई है। लाल साड़ी में राहुल के बाईं तरफ चल रही यह कोई साधारण महिला नहीं हैं। इन्हें एशिया की पहली महिला बस ड्राइवर कहा जाता है। उनकी तस्वीरें देख एक बार फिर उनकी कहानी चर्चा में आ गई है।
इनका नाम एम. वसंतकुमारी है। उनकी कहानी आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा है। 14 साल की उम्र में वसंतकुमारी ने स्टीयरिंग संभाला था। परिवार चलाने के लिए उन्होंने बस ड्राइविंग को अपना पेशा बना लिया। दरअसल, उनकी पारिवारिक स्थिति ने उन्हें हालात से लड़ने के लिए और मजबूत बनाया। बचपन में ही उनकी मां का निधन हो गया था और पिता ने दूसरी शादी कर ली। वसंतकुमारी को उनकी मौसी ने पाला।उनकी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए। 19 साल की उम्र में उनकी एक ऐसे शख्स से शादी कर दी गई जिसकी पहले से चार बेटियां थीं। इनके दो बच्चे हुए तो घर चलाना और भी मुश्किल हो गया। नौकरी मिल सके, ऐसी कोई डिग्री उनके पास नहीं थी। पति छोटा-मोटा काम करते थे लेकिन वह कम पड़ रहा था। जान पहचान के लोगों ने उन्हें बस ड्राइवर की नौकरी के लिए आवेदन करने की सलाह दी क्योंकि वहां महिलाओं के लिए आरक्षण था।
एक महिला होते हुए भी वसंतकुमारी ने भारी वाहनों को चलाने का प्रशिक्षण हासिल किया। आखिरकार उन्हें लाइसेंस भी मिल गया। हालांकि वह कई बार फेल हुई थीं। 30 मार्च 1993 को तमिलनाडु स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन ने उन्हें नौकरी पर रख लिया। उन्हें देख कई महिलाओं ने डिपार्टमेंट में नौकरी की। रोड पर ट्रैफिक अधिक रहता था लेकिन वसंतकुमारी ने अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया। उन्होंने रात 10 बजे तक बस चलाई। अप्रैल 2017 में वह रिटायर हो गईं। एक महिला होते हुए भी वसंतकुमारी ने भारी वाहनों को चलाने का प्रशिक्षण हासिल किया। आखिरकार उन्हें लाइसेंस भी मिल गया। हालांकि वह कई बार फेल हुई थीं। 30 मार्च 1993 को तमिलनाडु स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन ने उन्हें नौकरी पर रख लिया। उन्हें देख कई महिलाओं ने डिपार्टमेंट में नौकरी की। रोड पर ट्रैफिक अधिक रहता था लेकिन वसंतकुमारी ने अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया।
एक महिला होते हुए भी वसंतकुमारी ने भारी वाहनों को चलाने का प्रशिक्षण हासिल किया। आखिरकार उन्हें लाइसेंस भी मिल गया। हालांकि वह कई बार फेल हुई थीं। 30 मार्च 1993 को तमिलनाडु स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन ने उन्हें नौकरी पर रख लिया। उन्हें देख कई महिलाओं ने डिपार्टमेंट में नौकरी की। रोड पर ट्रैफिक अधिक रहता था लेकिन वसंतकुमारी ने अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया। उन्होंने रात 10 बजे तक बस चलाई। अप्रैल 2017 में वह रिटायर हो गईं। एक महिला होते हुए भी वसंतकुमारी ने भारी वाहनों को चलाने का प्रशिक्षण हासिल किया। आखिरकार उन्हें लाइसेंस भी मिल गया। हालांकि वह कई बार फेल हुई थीं। 30 मार्च 1993 को तमिलनाडु स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन ने उन्हें नौकरी पर रख लिया। उन्हें देख कई महिलाओं ने डिपार्टमेंट में नौकरी की। रोड पर ट्रैफिक अधिक रहता था लेकिन वसंतकुमारी ने अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया। उन्होंने रात 10 बजे तक बस चलाई। अप्रैल 2017 में वह रिटायर हो गईं। उन्हें वुमन अचीवर अवॉर्ड मिल चुका है।उन्हें वुमन अचीवर अवॉर्ड मिल चुका है।कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी समेत 119 नेताओं को ‘भारत यात्री’ नाम दिया है जो कन्याकुमारी से पदयात्रा करते हुए कश्मीर तक जाएंगे। ये लोग कुल 3,570 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे।
उन्होंने रात 10 बजे तक बस चलाई। अप्रैल 2017 में वह रिटायर हो गईं। उन्हें वुमन अचीवर अवॉर्ड मिल चुका है।उन्हें वुमन अचीवर अवॉर्ड मिल चुका है।उन्होंने रात 10 बजे तक बस चलाई। अप्रैल 2017 में वह रिटायर हो गईं। उन्हें वुमन अचीवर अवॉर्ड मिल चुका है।उन्हें वुमन अचीवर अवॉर्ड मिल चुका है।कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी समेत 119 नेताओं को ‘भारत यात्री’ नाम दिया है जो कन्याकुमारी से पदयात्रा करते हुए कश्मीर तक जाएंगे। ये लोग कुल 3,570 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी समेत 119 नेताओं को ‘भारत यात्री’ नाम दिया है जो कन्याकुमारी से पदयात्रा करते हुए कश्मीर तक जाएंगे। ये लोग कुल 3,570 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे।