Sunday, December 22, 2024
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क्या रूस हो चुका है भारत का जबरदस्त फैन?

रूस भारत का जबरदस्त फैन साबित हो सकता है! दुनिया के मंच पर भारत की ताकत कैसे बढ़ रही है इस बात को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बयान से समझा जा सकता है। रूसी राष्ट्रपति ने जमकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। पुतिन ने कहा कि पीएम मोदी उन लोगों में से एक हैं जो स्वतंत्र विदेश नीति को लागू करने में सक्षम हैं। इस वक्त भारत के विदेश नीति की दुनियाभर में चर्चा है और पुतिन भी इसकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं सके। पीएम नरेंद्र मोदी को पुतिन ने सच्चा देशभक्त बताया। पुतिन ने ये बातें मॉस्को में वल्दाई डिस्कशन क्लब की 19वीं वार्षिक बैठक में गुरुवार कहीं। पुतिन का यह बयान इसलिए भी खास है क्योंकि पिछले महीने SCO की बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री ने रूसी राष्ट्रपति के सामने कहा कि अभी का युग युद्ध का नहीं है, इसलिए यूक्रेन-रूस के बीच विवादों को शांति से सुलझा लेना चाहिए। दो देशों की अनबन का खामियाजा पूरी दुनिया को नहीं भुगतना पड़े।

रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से ही यूरोपीय देशों की ओर से रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने शुरू हो गए। अमेरिका समेत कुछ और देश ऐसा चाहते थे कि जो वह फैसला कर रहे हैं उसे बाकी देश भी माने। अमेरिका और पश्चिमी देश भारत से अपेक्षा कर रहे थे कि वह रूस के खिलाफ एक्शन में उनका साथ दे लेकिन भारत अपने स्टैंड पर कायम रहा। इसके बाद रूस से तेल आयात करने का भारत ने बड़ा फैसला किया। इस फैसले से भी कई देशों को हैरानी हुई वहीं भारत ने यह बता दिया कि जो देशहित में होगा वही होगा। अभी हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर का इस मुद्दे पर जो बयान आया उसके बाद पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान भी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं सके। वहीं UAE के मंत्री ने भी भारत के फॉरेन पॉलिसी की तारीफ की है। भारत ने इस पूरे मुद्दे पर यह क्लियर कर दिया कि जिस तरह अन्य देश अपने-अपने हितों को तवज्जो देते हैं, उसी तरह भारत भी रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को ध्यान में ही रखकर फैसला करेगा।

जहां तक हथियारों की खरीद की बात है भारत इस मामले में भी किसी के दबाव में नहीं आया। भारत रूस से हथियार खरीदता रहा है और इस बार भी अमेरिका के किसी प्रतिबंध की फिक्र किए वह आगे बढ़ता रहा। पश्चिमी देशों खासकर अमेरिका की तरफ से अक्‍सर ही प्रतिबंधों का डर रहता है लेकिन रूस के साथ ऐसा नहीं है। 60 के दशक में ऐसा हुआ था जब भारत ने रूस से पहली बार मिग फाइटर जेट्स खरीदे थे। 1965 और 1971 में जब पाकिस्‍तान के साथ युद्ध हुआ तो अमेरिका ने हथियार देना बंद कर दिया था। वहीं हाल ही में रूस ने भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी शुरू कर दी है। कई मौकों पर अमेरिकी प्रशासन ने भारत को रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम न खरीदने की अपील भी की थी। अमेरिका की किसी भी ऐसी सलाह, धमकी को दरकिनार करते हुए भारत ने हर बार कहा था कि वह रूस के साथ इस रक्षा सौदे को पूरा करने को लेकर प्रतिबद्ध है। इस मामले में भारत की कूटनीति सबने देखी। भारत दुनिया का बड़ा हथियार खरीदार देश है और अमेरिका भी उसे नाराज नहीं कर सकता।

भारत ने एक दो नहीं कई मौकों पर रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग से दूरी बना ली। पिछले दिनों ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अमेरिका और अल्बानिया की पेश किए गए उस मसौदा प्रस्ताव पर भारत मतदान से दूर रहा, जिसमें रूस के अवैध जनमत संग्रह और यूक्रेनी क्षेत्रों पर उसके कब्जे की निंदा की गई थी। इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि रूस यूक्रेन से अपने बलों को तत्काल वापस बुलाए। यूक्रेन संकट पर भले ही दुनिया दो खेमों में बंटती दिखी लेकिन भारत का रुख आज भी तटस्थ है। भारत की ओर मैसेज क्लियर है वह किसी खेमे में खुद को बांधकर रखना नहीं चाहता। यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच बार-बार वोटिंग से भारत की दूरी को लेकर अमेरिका ने दबाव बनाने के लिए धमकाने वाला लहजा भी अपनाया लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। पीएम मोदी के आगे प्रेशर पॉलिटिक्स पूरी तरह फेल रही।

यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकालने के मामले में भारत ने दुनिया के कई देशों को पीछे छोड़ दिया। ‘ऑपरेशन गंगा’ चलाकर भारत ने यूक्रेन से अपने नागरिकों को कैसे निकाला यह सबने देखा। एक ओर जब कुछ देशों ने अपने नागरिकों के सामने हाथ खड़े कर दिए वहीं भारत ने अपने नागिरकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की। इतना ही नहीं भारतीय ध्वज तिरेंगे वाली बसों को कैसे सुरक्षित रास्ता दिया गया। इस जंग के बीच यूक्रेन ने भारत की ओर देखा। वहीं कई देशों ने यह माना कि भारत की अहम भूमिका है। यूक्रेन उम्मीद कर रहा है कि जंग के बाद बुनियादी सुविधाओं को फिर से पटरी पर लाने के काम में भी भारत मदद करेगा। युद्ध को लेकर पीएम मोदी का स्टैंड शुरू से ही क्लियर रहा है और पिछले दिनों SCO में भी मोदी ने दो टूक में इसको समझा दिया था। यही वजह है कि आज भारत के विदेश नीति की चर्चा दुनिया में हो रही है।

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