पाकिस्तानी सेना के बीच मार्शल लॉ जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है! पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तान के ऐतिहासिक शहर लाहौर से शहबाज शरीफ सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए मैदान में उतर चुके हैं। इमरान खान का आजादी मार्च अब राजधानी इस्लामाबाद की ओर बढ़ रहा है। पीटीआई नेता ने आईएसआई पर आरोप लगाया है कि वह उनके कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित कर रही है। उन्होंने भारत की विदेश की नीति की तारीफ की और कहा कि वह नवाज शरीफ की तरह से देश को छोड़कर नहीं जाएंगे। इमरान ने यह भी कहा कि आईएसआई चीफ और सेना प्रवक्ता की प्रेस कॉन्फ्रेंस सियासी थी। इमरान ने अपने भाषण में यह भी कहा कि जनरल बाजवा आपको लोग बदनाम कर रहे हैं। इससे पहले इमरान खान को पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने एक दिन पहले ही चेतावनी दी थी। वहीं अब पीटीआई नेता ने लॉन्ग मार्च के रूप में अपना ब्रह्मास्त्र चलाकर सीधे-सीधे सेना और शहबाज सरकार से टक्कर लेने का मन बना चुके हैं।
इमरान इससे पहले भी लॉन्ग मार्च का जोरदार तरीके से इस्तेमाल करके पाकिस्तान में सत्ता के शिखर तक पहुंच चुके हैं। उनका इरादा एक बार फिर से इस इतिहास को दोहराने का है। इमरान खान लॉन्ग मार्च निकालने के लिए ही जाने जाते रहे हैं। इमरान खान लाखों लोगों को लेकर इस्लामाबाद पहुंच जाते हैं और फिर वहां पर धरना देने के लिए तब तक बैठे रहते हैं जब तक कि उनकी मांगें मान नहीं ली जाती हैं। इमरान खान का यह दांव कई बार सफल रहा है, वहीं कई बार यह असफल भी रहा है। इस बीच पाकिस्तानी गृहमंत्री राना सनाउल्ला ने इमरान के आजादी मार्च को रोकने के लिए पूरी तरह से कमर कस ली है। उन्होंने इस्लामाबाद की सुरक्षा में 13 हजार पुलिसकर्मियों और सेना को तैनात किया है।
राना सनाउल्ला ने ऐलान किया है कि अगर किसी ने कानून को तोड़ने की कोशिश की तो उसे कड़ाई से कुचल दिया जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इमरान खान के इस आजादी मार्च के दौरान ऐसा टकराव हो सकता है जैसा पहले कभी नहीं हुआ था। पाकिस्तानी राजनीति पर नजदीकी से नजर रखने वाले डॉक्टर रसूल बख्श रईस का कहना है कि इमरान खान ने सेना के खिलाफ कमर कस ली है और यह सार्वजनिक है और कोई रहस्य नहीं रहा। उन्होंने कहा कि हालांकि इमरान खान की राह आसान नहीं है। पाकिस्तानी सेना से भिड़ने की जुर्रत पहले भी कई नेता कर चुके हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई है।
इससे पहले इमरान खान की पार्टी के वरिष्ठ नेता असद उमर ने कहा था कि पीटीआई को सेना के फैसलों की आलोचना करने का संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने दावा किया कि इमरान खान ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है जिससे सेना कमजोर हो। पाकिस्तानी पत्रकार मुशर्रफ जैदी कहते हैं, ‘इमरान खान का विकास सेना के राजनीति में हस्तक्षेप के बल पर हुआ और रोचक बात यह है कि वह अब कथित रूप से इसी हस्तक्षेप का खुद भी शिकार हो गए हैं।’ उन्होंने कहा कि इस लॉन्ग मार्च से इमरान खान की लोकप्रियता में कोई खास बदलाव नहीं होने जा रहा है जो पहले से ही बहुत ज्यादा है लेकिन इस आजादी मार्च से शहबाज सरकार भी नहीं गिरने जा रही है।
मुशर्रफ जैदी ने कहा कि इस आजादी मार्च से शहबाज सरकार की शासन की क्षमता और ज्यादा कमजोर जरूर हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘साल 2011 से इमरान खान ने अगर कोई चीज लगातार प्रदर्शित की है तो वह है उनका यह विचार कि पाकिस्तान पर केवल उन्हीं का शासन होना चाहिए। बाकी सभी में यह गुण नहीं है।’ जैदी ने कहा कि शहबाज सरकार के सामने अब यह चुनौती है कि वह क्या इस तरह के प्रदर्शनों के बीच प्रभावी तरीके से शासन कर सकती है या नहीं। साथ ही इमरान खान और सैन्य नेतृत्व के बीच मतभेद अब बहुत ज्यादा बढ़ जाएंगे। पाकिस्तान में राजनीति विज्ञान के प्रफेसर डॉक्टर उमैर जावेद कहते हैं कि इस ताजा प्रदर्शन से शायद ही आम चुनाव का रास्ता साफ हो।
जावेद ने अनुमान लगाया कि इमरान खान को रोकने के लिए सेना को सीधे तौर पर उतारा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे सरकार पर सेना की पकड़ और ज्यादा मजबूत हो जाएगी। राजनीतिक विश्लेषक अहमद बिलाल महबूब का कहना है कि इस आजादी मार्च से सेना और इमरान खान के बीच टकराव बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि इमरान खान खुलकर सेना की आलोचना कर रहे हैं और एक नरैटिव बना रहे हैं। महबूब ने कहा कि अगर टकराव बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है तो हिंसा की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है। अगर हिंसा बढ़ी तो पाकिस्तान में मार्शल लॉ लगने की आशंका बहुत ज्यादा हो जाएगी।
पाकिस्तान में सेना को सबसे शक्तिशाली माना जाता है। पाकिस्तान की आजादी के बाद से ही सेना ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देश पर शासन किया है। यही नहीं सेना ही देश की सुरक्षा, विदेश और आम जनता से जुड़ी नीतियों को बनाती है। इमरान खान भी इसी सेना के पैदा किए हुए हैं और उसी की मदद से साल 2018 में सत्ता में आए थे। आईएसआई के चीफ ने माना है कि इमरान खान उनसे बहुत से गलत काम करना चाहते थे। इमरान खान चाहते हैं कि नवंबर में नए सेना प्रमुख की तैनाती वह करें और देश में जल्द से जल्द चुनाव का ऐलान हो। वहीं शहबाज सरकार अगले साल अक्टूबर महीने में चुनाव कराने पर अड़ी हुई है।