Monday, December 23, 2024
HomeIndian Newsक्या ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट है झूठी?

क्या ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट है झूठी?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट झूठी साबित होती जा रही है! भारत में भुखमरी कम है लेकिन बाल कुपोषण ज्‍यादा है। इतने आसान सच को यूरोपियन NGOs के बनाए ग्‍लोबल हंगर इंडेक्‍स में धुंधला कर दिया गया। 2022 के GHI में 123 देशों की सूची में भारत 107वें स्‍थान से खिसककर 101वें पायदान पर पहुंच गया। यानी दुनिया के सबसे ज्‍यादा भुखमरी वाले देशों में भारत भी एक है। यह सच नहीं हो सकता क्‍योंकि 75% ग्रामीण और 50% शहरी परिवारों को हर महीने 2-3 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 35 किलो अनाज मिलता है। दुनिया का कोई देश ऐसा नहीं करता। GHI में भूख नहीं मापी जाती, इसके बावजूद वे इसे भूख इंडेक्‍स हंगर इंडेक्‍स बताते हैं कि ताकि सनसनी फैलाई जा सके। इससे हेडलाइंस तो बनती हैं लेकिन यह सांख्यिकीय कूड़े से ज्‍यादा कुछ नहीं। लोगों से यह पूछने के बजाय कि वह भूखे हैं या नहीं, GHI चार अन्‍य पैमानों का इस्‍तेमाल करता है। इनमें से तीन (स्‍टंटिंग, वेस्टिंग और अंडर-5 मॉर्टलिटी) बाल कुपोषण से जुड़े हैं। चौथा पैमाना फूड सिक्‍योरिटी है। इसके आंकड़े फूड एंड एंग्रीकल्‍चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) के अनुमानों पर आधारित हैं जो कोविड के बाद भारत की मुफ्त राशन योजना को नजरअंदाज करता है।ऐसा इंडेक्‍स जो केवल 5 साल से कम उम्र के बच्‍चों के हालात मापता हो, राष्‍ट्रीय भुखमरी का आंकड़ा नहीं दे सकता। और तो और, बाल मृत्‍यु दर का दो-तिहाई आंकड़ा पहले साल में मृत्‍यु से जुड़ा है।

GHI कह सकता है कि ज्‍यादातर देश भुखमरी पर डेटा जारी नहीं करते, ऐसे में प्रॉक्‍सी स्‍टंटिंग जैसी जरूरी हैं। हालांकि, भारत का भुखमरी डेटा दिखाता है कि उनकी प्रॉक्‍सी भी बेहद भ्रामक हैं। दशकों तक नैशनल सैंपल सर्वे ऑफिस NSSO लोगों से पूछता रहा कि क्‍या वे किसी महीने में भूखे रहे हैं। 1983 में केवल 18.9% लोगों ने कहा कि वे कभी न कभी भूखे रहे। सरकार उस वक्‍त काफी आलोचना झेल रही थी कि इसलिए NSSO ने अगले सर्वे से यह सवाल गायब कर दिया! इसपर बवाल हुआ।

सवाल लौटा तो जरूर मगर उसकी भाषा बदल चुकी थी। 1993-94 में भारत का हंगर रेश्‍यो ग्रामीण इलाकों में 5.5% और शहरी इलाकों में 1.9% तक गिर चुका था। 2005-06 में ग्रामीण इलाकों का हंगर रेश्‍यो 2.6 प्रतिशत रहा जबकि शहरों में सिर्फ 0.6 प्रतिशत। आंकड़े जीरो के इतने करीब थे कि NSSO ने सवाल पूछना ही बंद कर दिया।

गरीबी और भुखमरी में काफी फर्क है। जिस वक्‍त भारत का हंगर रेश्‍यो बमुश्किल 3% था, उस वक्‍त गरीबी अनुपात 25% था। अंतरराष्‍ट्रीय मानकों के हिसाब से, सरकारी गरीबी रेखा को बदला गया। ग्रामीण इलाकों में 2,400 कैलोरी और शहरी में 2,200 कैलोरी का मानक तय हुआ।सवाल लौटा तो जरूर मगर उसकी भाषा बदल चुकी थी।

1993-94 में भारत का हंगर रेश्‍यो ग्रामीण इलाकों में 5.5% और शहरी इलाकों में 1.9% तक गिर चुका था। 2005-06 में ग्रामीण इलाकों का हंगर रेश्‍यो 2.6 प्रतिशत रहा जबकि शहरों में सिर्फ 0.6 प्रतिशत। आंकड़े जीरो के इतने करीब थे कि NSSO ने सवाल पूछना ही बंद कर दिया।गरीबी और भुखमरी में काफी फर्क है।

जिस वक्‍त भारत का हंगर रेश्‍यो बमुश्किल 3% था, उस वक्‍त गरीबी अनुपात 25% था। अंतरराष्‍ट्रीय मानकों के हिसाब से, सरकारी गरीबी रेखा को बदला गया। ग्रामीण इलाकों में 2,400 कैलोरी और शहरी में 2,200 कैलोरी का मानक तय हुआ। NSSO सर्वे दिखातेहैं कि 1980s में ग्रामीण इलाकों का कैलोरी इनटेक 1972-73 के 2,266 से घटकर 2,221 कैलोरी पर आ गया। शहरी इलाकों में भी कैलोरी इनटेक घटा। बढ़ती आय के साथ लोगों ने क्‍वांटिटी के बजाय क्‍वालिटी पर ध्‍यान देना शुरू किया। एक तरह से उन्‍होंने खुद ऐलान कर दिया कि 2,100 कैलोरी पर भी वे भूखे नहीं हैं। NGOs ऐसे बताते हैं जैसे लोगों को पता ही नहीं कि वे भूखे हैं।

NSSO सर्वे दिखातेहैं कि 1980s में ग्रामीण इलाकों का कैलोरी इनटेक 1972-73 के 2,266 से घटकर 2,221 कैलोरी पर आ गया। शहरी इलाकों में भी कैलोरी इनटेक घटा।सवाल लौटा तो जरूर मगर उसकी भाषा बदल चुकी थी। 1993-94 में भारत का हंगर रेश्‍यो ग्रामीण इलाकों में 5.5% और शहरी इलाकों में 1.9% तक गिर चुका था। 2005-06 में ग्रामीण इलाकों का हंगर रेश्‍यो 2.6 प्रतिशत रहा जबकि शहरों में सिर्फ 0.6 प्रतिशत। आंकड़े जीरो के इतने करीब थे कि NSSO ने सवाल पूछना ही बंद कर दिया। बढ़ती आय के साथ लोगों ने क्‍वांटिटी के बजाय क्‍वालिटी पर ध्‍यान देना शुरू किया। एक तरह से उन्‍होंने खुद ऐलान कर दिया कि 2,100 कैलोरी पर भी वे भूखे नहीं हैं। NGOs ऐसे बताते हैं जैसे लोगों को पता ही नहीं कि वे भूखे हैं।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments