आज हम आपको ब्रिटेन में स्थित हिंदुओं का हाल बताने जा रहे हैं! ब्रिटेन में अब ऋषि सुनक प्रधानमंत्री है, जो गर्व से खुद को हिंदू कहते हैं और अपनी जड़ों से जुड़े हैं। लेकिन सिर्फ ऋषि ही नहीं, ब्रिटेन में रहने वाले बाकी प्रवासी हिंदू भी कामयाबी की ऊंचाई पर हैं। ब्रिटेन में हिंदुओं को स्मार्ट, अमीर और अच्छे व्यवहार करने वालों के रूप में देखा जाता है। ब्रिटेन में रहने वाले 34 साल के प्रीत पटेल का कहना है कि ब्रिटिश हिंदू होना आज एक गर्व का विषय है। दीपावली पर ब्रिटेन के अलग-अलग मंदिरों में बड़ी संख्या में भारतीय जुटे। दीपावली के साथ ही ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री बनना भी एक खुशी का मौका था। ब्रिटेन में ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री बनना कई हिंदुओं के लिए एक जीत की तरह है। लेकिन असल में ब्रिटेन में हिंदुओं की स्थिति कैसी है? इंग्लैंड में लगभग 983,000 हिंदू रहते हैं। लंदन के कब्रिस्तान को देख कर लगता है कि हिंदू यहां पिछले 500 साल से आते रहे हैं। भारत के खूनी विभाजन के बाद 1947 में सबसे बड़ी हिंदू प्रवासियों की लहर देखने को मिली। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन में श्रम की कमी को दूर करने के लिए भी ये प्रोत्साहन था। ब्रिटेन में प्रवास विरोधी हनोक पॉवेल ने स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए भारतीय स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की।
दूसरी बार बड़ी संख्या में हिंदू 1970 के दशक में ब्रिटेन आए जब ईदी अमीन ने युगांडा से एशियाई लोगों को बाहर कर दिया था। तब ब्रिटेन में लगभग 27,000 हिंदू आए। हिंदू प्रवासियों की तीसरी लहर 90 के दशक में देखने को मिली जब इमीग्रेशन कानूनों में ढील दी गई थी। 27 साल के पीएचडी छात्र प्रियेश पटेल के माता-पिता पूर्वी अफ्रीका और भारत से आते हैं उनका मानना है कि प्रवासन की स्थिति यूके की हिंदू संस्कृति को प्रभावित करती है। उनका कहना है, ‘अपने परिवार पर, अपनी शिक्षा और अपने कैरियर पर ध्यान दें, ताकि अगर पूर्वी अफ्रीका की तरह समय बदला तो आपके पास कौशल सेट रहे।’
ज्यादातर धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की तरह हिंदू भी बड़े शहरों के आसपास रहते हैं। 47 फीसदी ब्रिटिश हिंदू लंदन में रहते हैं, जो राजधानी की आबादी का 5 फीसदी हैं। ईस्ट मिडलैंड्स, लीसेस्टर जैसे शहरों के आसपास ब्रिटेन के 10 फीसदी हिंदुओं का घर है। पिछले 50 वर्षों में हिंदू ब्रिटेन के अलग-अलग इलाकों में फैल गए हैं। ब्रिटिश फ्यूचर थिंक टैंक के संस्थापक सुंदर कटवाला कहते हैं, ‘पिछली पीढ़ी पर इसका सामान्य असर देखने को मिला है। अगली जनगणना में हम देखेंगे के हर जगह थोड़ी-थोड़ी विविधता है।’ उनका कहना है कि दो या तीन पीढ़ियों के बाद अप्रवासी आबादी उपनगरीय इलाकों में भी दिखेगी।
साल 2018 के एक डेटा के मुताबिक 59 फीसदी ब्रिटिश हिंदुओं के पास उच्च शिक्षा की डिग्री है। ईसाइयों का आंकड़ा 30 फीसदी है। सिर्फ 5.5 फीसदी ब्रिटिश हिंदू ऐसे हैं, जिनके पास कोई औपचारिक योग्यता नहीं है। प्रीत का कहना है कि हमारे घर में शिक्षा नंबर 1 प्राथमिकता थी, क्योंकि यही अवसर देता है। सुंदर कटवाला का कहना है कि वास्तविकता ये है कि कई भारतीय जो ब्रिटेन आए वह बहुत शिक्षित परिवार से हैं। उनका कहना है, ‘ये काफी मध्यमवर्गीय समूह था। पहली पीढ़ी को वो अवसर नहीं मिले जो उनके बच्चों को मिलते हैं।’ उदाहरण के लिए अगर देखें तो प्रीत की मां 30 साल पहले रसायन शास्त्र की डिग्री के साथ यूके आई थीं, लेकिन वह अपने केमिकल इंजीनियर पति के साथ एक दुकान चलाती थीं। वह कहती हैं, ‘जब हम ब्रिटेन आए तो हमारा एक छोटा बेटा था। हमें उसके लिए सोचना था और पैसों की जरूरत थी।’
शुरुआत में ब्रिटेन गए भारतीय प्रवासी हिंदुओं को खराब भुगतान किया जाता था। उन्हें अकुशल श्रम के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इनमें से कई लोगों ने खराब वेतन और कार्यस्थल पर भेदभाव से बचने के लिए अपना खुद का व्यवसाय स्थापित किया। आज स्थिति ये है कि हिंदू ब्रिटेन का सबसे अमीर समुदाय है। 2012 की एक रिपोर्ट के मुताबिक लंदन में रहने वाले हिंदुओं के पास 2.5 करोड़ रुपए से ज्यादा की शुद्ध संपत्ति है। ब्रिटेन में पहले नंबर पर सबसे अमीर समुदाय यहूदी है। यहूदियों और ईसाइयों के बाद हिंदुओं की गरीबी दर तीसरी सबसे कम है। यहूदी समुदाय के बाद ब्रिटेन में हिंदुओं को प्रति घंटा के हिसाब से सबसे ज्यादा कमाई होती है जो औसत 1300 रुपए है।
प्रीत का कहना है कि हमारे बच्चे हमें दिनरात मेहनत करते देखते हैं। मैं अपने बच्चों से कहता हूं कि हम काम कर रहे हैं, ताकि आपको न करना पड़े। कई हिंदू कहते हैं कि हम सिर्फ इसलिए काम कर रहे हैं, ताकि हमारे बच्चे किसी दुकान पर छोटी सी नौकरी न करें, बल्कि वह उसकी जगह प्रधानमंत्री बनने जैसा बड़ा सपना देखें। सबसे हालिया जनगणना के मुताबिक 15.4 फीसदी ब्रिटिश भारतीय जिनमें से लगभग 50 फीसदी हिंदू हैं वह प्रोफेशनल और उच्च मैनेजमेंट वाली भूमिकाओं में हैं, जो किसी भी समूह का सबसे ज्यादा है। 2018 में 40 फीसदी से ज्यादा ब्रिटिश हिंदू ‘हाई स्किल्ड जॉब’ में थे। इस मामले में नंबर एक पर यहूदी हैं और तीसरे नंबर पर सिख आते हैं।
हिंदुओं की ब्रिटेन शांत और किसी भी बवाल से दूर रहने वाली छवि है। 2021 में यूके में 0.4 फीसदी कैदियों की पहचान हिंदू के रूप में हुई जो किसी भी धार्मिक समूह का सबसे कम है। हिंदू फोरम ऑफ ब्रिटेन की अध्यक्ष तृप्ति पटेल का कहना है कि आस्था ही मजबूत सामुदायिक संबंधों के साथ-साथ अपराध को रोकता है। हिंदू बड़े घरों और परिवार के साथ रहते हैं। अगर कोई भी कुछ बुरा कर रहा है तो पूरा समुदाय उसके खिलाफ खड़ा होगा और उसे गलत बताएगा। प्रीत पटेल का कहना है कि उनकी पीढ़ी के ज्यादातर हिंदुओं के लिए राष्ट्रीयता और धर्म अलग-अलग नहीं हैं। उनका कहना है, ‘मैं ब्रिटेन में पला बढ़ा हूं और एक हिंदू हूं। मैं यह अंतर नहीं कर पाऊंगा की मेरा धर्म कहां खत्म होता है और राष्ट्रीयता कहां शुरू होती है।’