भारत अब महाविनाशक थर्मोन्यूक्लियर बम का परीक्षण कर सकता है! रूस-यूक्रेन युद्ध और ताइवान पर जंग जैसे हालात के बीच दुनियाभर में परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ता जा रहा है। रूस लगातार धमकी दे रहा है कि हमारे संयम का इम्तिहान न लिया जाए। उधर, ताइवान और जापान को लेकर को लेकर अमेरिका और चीन के बीच परमाणु युद्ध का खतरा तेजी से बढ़ा है। अमेरिका ने चीन के खतरे से निपटने के लिए अपने नौसैनिक अड्डे गुआम से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक महाविनाशक हथियारों की तैनाती को तेज कर दिया है। इस बीच अब विशेषज्ञ कह रहे हैं कि शांति की स्थापना के लिए अहिंसा के समर्थक भारत को 24 साल बाद जल्द ही धरती पर प्रलय लाने में सक्षम थर्मोन्यूक्लियर महाबम का फिर से परीक्षण करना ही होगा। यही नहीं वे यह भी कह रहे हैं कि भारत इस परमाणु बम का परीक्षण करता है तो अमेरिका को समझदारी दिखाते हुए नई दिल्ली पर प्रतिबंध लगाने से बचना होगा।
अमेरिका के चर्चित थिंक टैंक कार्नेगी इंडोमेंट फॉर इंटरनैशनल पीस के सीनियर फेलो एश्ले जे टेलिस का मानना है कि आने वाले समय में एशिया की परमाणु हथियारों पर निर्भरता बढ़ने जा रही है। उनका कहना है कि साल 1998 में भारत ने थर्मोन्यूक्लियर बम के परीक्षण की कोशिश की थी लेकिन यह सफल नहीं रहा था। वह कहते हैं कि अगर भारत का अपने शत्रुओं चीन और पाकिस्तान के साथ एक स्थिर रिश्ता बना रहता है तो उसका काम सामान्य परमाणु बम से चल जाएगा लेकिन अगर चीन के साथ दुश्मनी ज्यादा बढ़ती है तो भारत को एक दिन बाध्य होकर थर्मोन्यूक्लियर बम का परीक्षण करना ही होगा। भारत का यह परीक्षण अब इस बात पर निर्भर करेगा कि नई दिल्ली और बीजिंग के बीच रिश्ते किस तरह से भविष्य में आगे बढ़ते हैं।
एश्ले जे टेलिस ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार से बातचीत में यह भी कहा कि मेरा मानना है कि भविष्य में भारत थर्मोन्यूक्लियर बम बनाने के बारे में एक बार फिर से विचार कर सकता है। इससे चीन के खिलाफ भारत को एक महाविनाशक परमाणु प्रतिरोधक क्षमता हासिल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत जब अपने इस थर्मोन्यूक्लियर बम का परीक्षण करेगा तो इसका असर अमेरिका के साथ उसके रिश्ते पर पड़ना लाजिमी है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका-भारत नागरिक परमाणु डील, भारत का वैश्विक परमाणु व्यवस्था से जुड़ाव खासकर परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) से जुड़ाव इस आधार पर हुआ था कि अब भारत भविष्य में कोई भी परमाणु परीक्षण नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि अगर चीन अपने परमाणु हथियारों की संख्या को बहुत अधिक बढ़ाता है तो इससे भारत की मुसीबत काफी बढ़ जाएगी।
पिछले दिनों खुलासा हुआ था कि चीन की साल 2030 तक 1000 परमाणु बम बनाने की योजना है। यही नहीं चीन देश के रेगिस्तानी इलाकों में सैकड़ों की तादाद में परमाणु मिसाइलों के लिए साइलो बना रहा है ताकि उन्हें छिपाया जा सके। एश्ले जे टेलिस कहते हैं कि चीन के इसी खतरे को देखते हुए भारत एक दिन बाध्य हो जाएगा कि वह थर्मोन्यूक्लियर बम का परीक्षण करे। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि जब भारत यह परीक्षण करता है तो अमेरिका को नई दिल्ली को दंडित करने से बचना चाहिए। मैं यहां तक कहना चाहूंगा कि अमेरिका भारत की मदद करे ताकि किसी परमाणु हमले से बचने के लिए एक कारगर प्रतिरोधक क्षमता को हासिल कर सके। इसके लिए अमेरिका भारत को परमाणु सबमरीन को बनाने में मदद कर सकता है। ऐसा वह फ्रांस के जरिए भारत की मदद करके कर सकता है।
परमाणु बम हो या थर्मोन्यूक्लियर बम दोनों ही धरती पर महाविनाश लाने वाले हथियार माने जाते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इनमें एक प्रमुख अंतर है। परमाणु हथियार कम क्षमता की ताकत पैदा करते हैं जो कुछ किलोटन तक होता है। वहीं थर्मोन्यूक्लियर बम सैकड़ों किलोटन की क्षमता की तबाही लाते हैं। जापान में जिन दो परमाणु बमों का इस्तेमाल किया गया था, उनकी ताकत 15 से 20 किलोटन थी। हिरोशिमा और नागासाकी दोनों ही जापान के छोटे से शहर थे। भारत को चीन के शंघाई और बीजिंग जैसे महानगरों को तबाह करने के लिए थर्मोन्यूक्लियर बम का ही इस्तेमाल करना होगा। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि थर्मोन्यूक्लियर बम भले ही संख्या में कम हों लेकिन उसका प्रतिरोधक क्षमता के रूप में असर बहुत ज्यादा होता है। उनका यह भी कहना है कि भारत एक ऐसी परमाणु ताकत है जो यह बनना नहीं चाहता था। भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव है जो परमाणु हथियारों से लैस हैं। भारत का परमाणु बम केवल प्रतिरोधक क्षमता के लिए है।
भारत ने साल 1998 में पोखरण में परमाणु बम का परीक्षण किया था। भारत के पास अभी 165 के आसपास परमाणु बम हैं। वहीं चीन के परमाणु बमों की संख्या 350 को पार कर रही है। चीन अपने परमाणु हथियारों को लगातार आधुनिक बना रहा है। भारत परमाणु बम के इस्तेमाल के लिए पृथ्वी, अग्नि सीरिज की मिसाइलों, फाइटर जेट और पनडुब्बियों पर निर्भर है। भारत ने परमाणु बम दागने में सक्षम परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत बनाई है। पिछले दिनों भारत ने समुद्र से एक मिसाइल दागी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को वास्तविक प्रतिरोधक क्षमता को हासिल करने के लिए कम से कम 400 परमाणु बम बनाने होंगे। इसमें 10 से 12 किलोटर के परमाणु बम से लेकन मेगाटन वाले थर्मोन्यूक्लियर बम शामिल हैं।