Monday, December 23, 2024
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कितना डरावना है पाकिस्तान का इतिहास?

पाकिस्तान का इतिहास डरा देने वाला है! हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताया था, जिसके बाद अमेरिकी राजदूत को तलब किया गया। बाइडेन का बयान पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर कोई नियंत्रण न होने और देश की अस्थिर राजनीति को लेकर था। अब ऐसा लग रहा है जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना कहा एकदम सही था। पाकिस्तान के बनने से लेकर आज तक इसका इतिहास खून से रंगा हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर हमला देश में अस्थिरता की गवाही दे रहा है।गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गोली मार दी गई। इमरान पर ये हमला तब हुआ जब वह सरकार विरोधी मार्च कर रहे थे। इमरान पर AK-47 से हमला हुआ। उनके सहयोगियों ने इसे साफ तौर से हत्या का प्रयास बताया। 70 साल के इमरान के पैर में गोली लगी है। इमरान हमले में बच गए हैं, लेकिन ये दिखाता है कि पाकिस्तान में राजनीति और हिंसा एक दूसरे से दूर नहीं हैं। इस्लामाबाद में पूर्व पत्रकार ओवेन बेनेट जोन्स ने कहा, ‘पाकिस्तान में हर रोज जब आप अखबार खोलेंगे तो वह राजनीतिक, वित्तीय, आदिवासी या धार्मिक कारणों से मारे के लोगों की खबरों से भरा होगा।’

जिन्ना की सोच वाला पाकिस्तान लाखों लोगों की बलि चढ़ा कर बना था। उन लोगों की बात अगर न करें तो भी पाकिस्तान अपने बनने के बाद से ही राजनीतिक हिंसा देख रहा है। सबसे पहली हिंसा पाकिस्तान बनने के चार साल बाद 1951 में देखी गई जब देश के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खां को रावलपिंडी में एक सार्वजनिक बैठक में गोली मार दी गई थी। दूसरी बार पाकिस्तान में प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को जनरल जिया-उल हक ने तख्तापलट कर हटा दिया और 1979 में फांसी दे दी। बाद में 1979 में जिया की भी एक हवाई हादसे में मौत हो गई, जिसे कुछ लोग राजनीतिक दुश्मनों की साजिश बताते हैं।

अन्य कई संघर्ष भी हैं, जिन्होंने पाकिस्तान की राजनीति को प्रभावित किया है। पाकिस्तान में कई बार विद्रोहियों ने केंद्र सरकार से मान्यता के लिए संघर्ष किया। इसके लिए उन्होंने बम और बंदूकों का इस्तेमाल भी किया है। 1980 से 90 के बीच पाकिस्तान में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव ने हिंसा की लहरों को जन्म दिया, जिसमें हथियारबंद गैंग ने कराची और पेशावर जैसे शहरों में स्थानीय राजनेताओं समेत हजारों को मार डाला। देश को हिंसा से बचाने के नाम पर इस दौरान सेना ने भी लोगों को कई बार मार डाला। कई बार इन गैंग्स का इस्तेमाल सेना ने अपने एजेंडे पूरा करने के लिए भी किया।

अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंट पर हमले (9/11) के बाद हिंसा और भी बढ़ी। इसका कारण पड़ोसी अफगानिस्तान रहा, जहां से अल-कायदा ने दुनिया के सबसे खतरनाक हमले की साजिश रची थी। पाकिस्तान के ज्यादातर हिस्सों में लड़ाई, बमबारी और हत्याओं के मामले देखे गए। इसके पीछे का कारण इस्लामिक चरमपंथी थे, जिनके साथ सेना लड़ाई लड़ रही थी। हालांकि दोनों की लड़ाई में हमेशा की तरह आम पाकिस्तानी का ही नुकसान हुआ। इसी दशक में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को भी टार्गेट किया गया।

बेनजीर भुट्टो के पिता जुल्फिकार अली भुट्टो थे। बेनजीर का कत्ल पाकिस्तान की सबसे बड़ी राजनीतिक हिंसा में से एक है। 2007 में चुनाव प्रचार के दौरान कराची में एक आत्मघाती बम धमाके में वह बच गईं, लेकिन रावलपिंडी में उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई। अपनी मौत से पहले बेनजीर दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रह चुकी थीं। उनकी मौत से दुनिया भर में पाकिस्तानी अधिकारियों की अलोचना हुई, क्योंकि वह पूर्व पीएम को सुरक्षा देने में नाकामयाब रहे। उनके हत्यारे अज्ञात हैं, लेकिन माना जाता है कि उनकी मौत के पीछे जनरल परवेज मुशर्रफ का हाथ था।

पाकिस्तान में हमला सिर्फ एक तरफ से नहीं होता। परवेज मुशर्रफ पर बेनजीर की हत्या के आरोप लगे तो वह भी हमले से दूर नहीं रह सके। कई बार उनकी हत्या के प्रयास हुए हैं। एक बार उनकी कार जब एक पुल से गुजर रही थी तब उसके नीचे बम विस्फोट हुआ। मुशर्रफ इस हमले में बच गए लेकिन 2008 में उन्हें दबाव में आकर पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद भी पाकिस्तान में हिंसा रुकी नहीं है। 2011 में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और ईसाई शहबाज भट्टी की इस्लामाबाद में हत्या कर दी गई। एक कट्टरपंथी समूह ने उनके हत्या की जिम्मेदारी ली। इसी साल पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की उन्हीं के बॉडीगार्ड ने गोली मार कर हत्या कर दी। तासीर और भट्टी दोनों ही पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के आलोचक रहे हैं।

भुट्टो परिवार से जुड़ी किताब लिखने वाले बेनेट जोन्स का कहना है, ‘राजनीतिक हिंसा का एक कारण ये है कि हत्यारों को सजा से राहत मिल जाती है। हत्यारों को पता रहता है कि उनके पास अगर पर्याप्त राजनीतिक समर्थन है तो वह जेल नहीं जाएंगे।’ हालांकि हत्या के आंकड़ों में लगातार गिरावट हो रही है। लेकिन विशेषज्ञ अफगानिस्तान में तालिबान राज के आने के बाद लगातार चेतावनी दे रहे हैं। लिंग के आधार पर हिंसा के मामले देखे जा रहे हैं। इसके अलावा देश में ध्रुवीकरण की राजनीति बढ़ी है। पाकिस्तान दुनिया से ज्यादा अपने नागरिकों के लिए ही एक बड़ा खतरा है।

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