पीएम मोदी के वो शब्द “ये गुजरात, मैंने बनाया है” क्या गुजरात में चमत्कार दिखा पाएगा? यह आज का सबसे बड़ा सवाल है!गुजरात चुनाव में सभी दलों ने जोर लगा दिया है और इसी बीच पीएम मोदी ने ऐसी बात कही है जिसकी काफी चर्चा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिन पहले गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान कहा… आ गुजरात में बनाव्यु छे यह गुजरात मैंने बनाया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गुजरात को बदनाम करने की कोशिश कामयाब नहीं होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान के बाद विपक्षी दल इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो वहीं बीजेपी ने इसे चुनावी नारा बना दिया है। गुजरात सीएम पद छोड़ने और प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहुंचने के बाद भी नरेंद्र मोदी का कनेक्शन गुजरात से बना रहा। गुजरात का चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यहां सीधे पीएम मोदी से कनेक्शन रहता है। दूसरे राज्यों में भी बीजेपी को पीएम मोदी के नाम का सहारा रहता है लेकिन गुजरात की कहानी कुछ अलग ही है। मैंने गुजरात बनाया है, इसको समझने के लिए 2014 में जाना होगा जब नरेंद्र मोदी गुजरात की सत्ता छोड़कर देश की बागडोर संभालने जा रहे थे।
अब से कुछ ही दिनों बाद दिसंबर महीने की पहली तारीख को गुजरात में पहले चरण का चुनाव है। चुनाव से पहले बीते रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में नया नारा दिया!आ गुजरात में बनाव्यु छे (यह गुजरात मैंने बनाया है)। पीएम मोदी ने गुजरात के वलसाड जिले में करीब आधे घंटे के भाषण में लोगों से कई बार यह नारा लगवाया। गुजराती में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जो विभाजनकारी ताकतें घृणा फैलाने में संलिप्त रही हैं, जिन्होंने गुजरात को बदनाम करने और उसका अपमान करने की कोशिशें की हैं, उन्हें गुजरात से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। किसी का नाम लिए बगैर मोदी ने कहा कि गुजरात के लोगों ने उस गैंग को पहचान लिया है जो गुजरात के खिलाफ काम कर रहा है और हमेशा राज्य को बदनाम करने की कोशिश करता रहता है।
मोदी ने कहा जो लोग गुजरात को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें आश्चर्य हो रहा है कि गुजरात की जनता उनके झूठे प्रचार पर भरोसा क्यों नहीं कर रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस राज्य के लोगों ने कड़ी मेहनत से गुजरात को बनाया है और वे किसी को इसे नुकसान नहीं पहुंचाने देंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही किसी राजनीतिक दल का नाम नहीं लिया लेकिन जिस तरीके से आम आदमी पार्टी ने गुजरात मॉडल को लेकर निशाना साधा है यह उसका जवाब भी माना जा रहा है।
गुजरात मॉडल इसकी चर्चा 2014 लोकसभा चुनाव के वक्त भी खूब हुई। इससे पहले गुजरात में इसकी चर्चा होती थी लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में गुजरात मॉडल का प्रचार किया गया। भारतीय जनता और राज्यों में इस मॉडल को अपनाने की उत्सुकता दिखी। पूरे देश में गुजरात मॉडल की चर्चा अगले कुछ वर्षों तक हुई। अब उसी गुजरात में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल दिल्ली का मॉडल लेकर पहुंचे हैं। इस मॉडल में फ्री बिजली, स्कूल, हॉस्पिटल की बात है। गुजरात में आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इसी मॉडल को लेकर गुजरात में बीजेपी को घेरने में लगे हैं। पिछले दिनों अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुजरात के स्कूलों की हालत खराब है और यह वैसे ही जैसे आम आदमी पार्टी के आने के पहले दिल्ली के स्कूलों की थी।
स्कूल पर विकास पर सवाल के साथ ही हिंदुत्व वाले मुद्दे पर बीजेपी को आम आदमी पार्टी पीछे छोड़ना चाहती है। चुनाव के बीच नोटों पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर लगाने की मांग सरकार से कर डाली। आम आदमी पार्टी गुजरात चुनाव में पूरा जोर लगा रही है। कांग्रेस की ओर से भी गुजरात मॉडल पर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। अब बीजेपी खासकर पीएम मोदी की ओर से सिर्फ इस मॉडल की ही बात नहीं इससे आगे की चर्चा शुरू कर दी है।
2001 से 2014 तक गुजरात की कमान नरेंद्र मोदी के हाथों में रही। पीएम मोदी ने इस दौरान विकास का एक नया मॉडल पेश किया जिसकी चर्चा न केवल देश बल्कि विदेशों में भी हुई। 2014 में लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद पीएम मोदी दिल्ली की तरफ बढ़ रहे थे। आखिरी वक्त में उन्होंने गुजरात विधानसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मेरी सफलता इसमें है कि आप विकास की इस यात्रा को किस तरह आगे ले जाते हैं। मुझे विश्वास है कि मेरे बाद गुजरात आगे बढ़ेगा। नरेंद्र मोदी ने उस वक्त भरोसा दिलाया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद वह गुजरात का ध्यान करेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि स्वाभाविक है कि मुझ पर पहला हक गुजरातियों का है। मुख्यमंत्री रहते उन्होंने गुजरात में विकास के कई ऐसे कार्य किए जिसकी मिशाल दी जाती है।
गुजरात के कच्छ इलाके में 2001 में आए विनाशकारी भूकंप से बहुत कुछ तबाह हो गया। मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने कई ऐसे प्रयोग किए जिसकी वजह से कुछ समय के भीतर कच्छ प्रगति के पथ पर आगे बढ़ चला। नरेंद्र मोदी ने गुजरात में निवेश लाने के लिए वाइब्रेंट गुजरात की शुरुआत की। जिसका राज्य को काफी फायदा हुआ। दूसरे राज्यों ने भी इससे प्रेरणा लेते हुए इसकी ओर आगे बढ़े। गुजरात मॉडल को मोदी का गुजरात मॉडल बना। राज्यों में गुजरात की रैंकिग सबसे ऊपर रही। नरेंद्र मोदी के गुजरात छोड़ने के बाद कई सीएम बदले और कोई ऐसा मुख्यमंत्री नहीं रहा जो खास पहचान बना सके। वहीं सीटों की संख्या को देखते हुए कहा जा सकता है कि पार्टी के सामने चुनौती बढ़ी है। पिछले चुनाव में सीटों का आंकड़ा 100 के नीचे आ गया। इस बार मैदान में कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी भी मैदान में है। प्रधानमंत्री ने चुनाव से पहले कमान संभाल ली है और वह अपने ही तरीके से विरोधियों पर निशाना साध रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और ओवैसी ने अपने-अपने तरीके से इस बयान की आलोचना की है। किसी ने अहंकार से इसे जोड़ा तो वहीं किसी ने व्यवस्था कैसी है उसे छिपाने के लिए ऐसा किया जा रहा है… कहा गया। विपक्ष क्या सोच रहा इससे अलग पीएम मोदी के बयान के अगले ही दिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आ गुजरात में बनाव्यु छे (यह गुजरात मैंने बनाया है) को अपना चुनावी नारा बना दिया है। भाजपा की गुजरात इकाई के अध्यक्ष सी.आर. पाटिल ने इसी नारे तर्ज पर कल ही चुनाव अभियान की शुरुआत की और भाजपा के नेतृत्व में गुजरात के विकास पर एक लघु फिल्म जारी की। गुजरात में दो चरणों में मतदान होना है। पहले चरण में एक दिसंबर जबकि दूसरे चरण में पांच दिसंबर को मतदान होगा। वोटों की गिनती आठ दिसंबर को होगी।