क्या बीजेपी हासिल करेगी रिकॉर्ड तोड़ जीत?

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बीजेपी इस बार रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल कर सकती है! गुजरात में बीजेपी का प्रदर्शन 2017 के पिछला विधानासभा चुनाव के मुकाबले सुधरने की भविष्यवाणी तो बहुत पहले से की जा रही थी। अब सभी एग्जिट पोल्स में भी वहां बीजेपी की एकतरफा जीत का अनुमान जताया गया है। अलग-अलग एग्जिट पोल्स यह भी बता रहे हैं कि आम आदमी पार्टी भी वहां 10 से 20 प्रतिशत वोट पा सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गुजरात में एंट्री का खामियाजा बीजेपी को भी भुगतना पड़ेगा? क्या बीजेपी के भी कुछ मतदाता आप की तरफ शिफ्ट करेंगे? अगर करेंगे तो कितने? उनका प्रतिशत क्या होगा? गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर पहले से ही दावों पर दावे किए जा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी तो वहां कांग्रेस को ही सबसे बड़ा झटका देगी। हर कोई यह मानता है कि मूलतः कांग्रेस के वोटर ही शिफ्ट होकर आप का समर्थन करेंगे। तो क्या बीजेपी को आप से कोई नुकसान नहीं होने वाला है? ऊपर के सारे सवाल काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि राजनीति में वर्तमान की असलियत के मद्देनजर भविष्य के अनुमानों पर नजर जमाए रखना पड़ता है।

दरअसल, गुजरात में बीजेपी की एकतरफा जीत के अनुमानों के बीच उसे मिले संभावित वोट प्रतिशत की बात दो एग्जिट पोल नतीजों के कारण छिड़ी है। एक्सिस माइ इंडिया ने अपने सर्वे के आधार पर बताया है कि गुजरात में इस बार बीजेपी को 46 प्रतिशत वोट हासिल हो सकते हैं। इसी तरह, ईटीजी के एग्जिट पोल में कहा गया है कि इस वर्ष हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 46.7 प्रतिशत मत मिल सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी को गुजरात में कुछ वोट प्रतिशत की कमी का सामना करना पड़ेगा। 8 दिसंबर को आने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव के असल नतीजे में भी अगर बीजेपी के वोट प्रतिशत को लेकर एक्सिस माइ इंडिया या ईटीजी में किसी का भी अनुमान सही साबित होता है तो इसका मतलब होगा कि बीजेपी की झोली में बीजेपी की सत्ता फिर से आ गिरी हो, लेकिन उसके मतदाताओं में भी सेंध लग गई है।

दरअसल, बीजेपी को 2017 के विधानसभा चुनाव में कुल 49.44 प्रतिशत वोट मिले थे। ऐसे में अगर एक्सिस माइ इंडिया के मुताबिक, बीजेपी को 46 प्रतिशत वोट मिलते हैं तो उसे 3.44 प्रतिशत का नुकसान होगा। अगर ईटीजी का अनुमान सही होता है और बीजेपी को 46.7 प्रतिशत वोट मिलते हैं, तब भी पार्टी को 2.74 प्रतिशत का घाटा होगा। आप कहेंगे कि दो-चार प्रतिशत वोट का आगे-पीछे होना कोई बड़ी बात नहीं। अगर बीजेपी को 2-3 प्रतिशत वोट का झटका लग भी गया तो बड़ा फर्क नहीं पड़ने वाला।

आप सही हो सकते हैं, लेकिन जैसा कि ऊपर कहा गया है कि राजनीति वर्तमान की उपलब्धियों तक सीमित नहीं रह सकती, उसे भविष्य की चुनौतियों से भी निपटना होता है। 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे कम 77 सीटें मिली थीं। तब पाटीदार आंदोलन के कारण बीजेपी ने बीते सभी विधानसभा चुनावों के मुकाबले सबसे खराब प्रदर्शन किया था, फिर भी उसे 49.44 प्रतिशत वोट आए थे। अब कहा जा रहा है कि इस बार बीजेपी सीटों का रिकॉर्ड बनाने वाली है। चुनावी पंडितों को लगता है कि बीजेपी इस बार 1985 में 149 सीटों का रिकॉर्ड तोड़ देगी। उस वर्ष के चुनाव में कांग्रेस के मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में पार्टी को 149 सीटें मिली थीं। दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार गुजरात चुनाव प्रचार के लिए 31 रैलियां और तीन रोड शो किए।

तो सवाल है कि जब बीजेपी का सीटों के मामले में सबसे खराब और संभावित सर्वोत्तम प्रदर्शनों में प्राप्त वोट प्रतिशत के आंकड़ों में बड़ा सकारात्मक बदलाव नहीं आता है तो उसे क्या समझा जाए? आसान भाषा में इसे यूं कहा जा सकता है कि अगर 2017 में 99 सीटों पर सिमटकर भी बीजेपी को 49 प्रतिशत से कुछ अधिक वोट मिल जाते हैं और इस बार शानदार प्रदर्शन के बावजूद वोट प्रतिशत लगभग 49-50 प्रतिशत या इससे 2-4 प्रतिशत कम ही रहता है तो इसे किस रूप में देखा जाना चाहिए? सवाल की गंभीरता आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन पर टिका हुई है। एग्जिट पोल्स से ऐसा लगता है कि आप ने गुजरात की जनता के बीच अच्छी-खासी पैठ बना ली है। अगर यही रफ्तार रही तो आप अगले विधानसभा चुनावों तक गुजरात में बड़ा उलटफेर करने की स्थिति में आ जाएगी, इसकी संभावना सिरे से खारिज नहीं की जा सकती है।

गुजरात विधानसभा चुनावों में साल 2002 में 127 सीटें, 2007 में 117 सीटें, 2012 में 116 सीटें और 2017 में 99 सीटें मिली थीं। 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटें मिली थी। तब भाजपा को 49.1 प्रतिशत वोट मिले थे तो कांग्रेस को 41.1 प्रतिशत। आम आदमी पार्टी ने 2017 का गुजरात विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। ध्यान रहे कि इस वर्ष गुजरात विधान सभा चुनाव में पहले चरण में 89 सीटों पर 2 दिसंबर को वोटिंग हुई थी जबकि दूसरे चरण में 93 सीटों पर 5 दिसंबर को मतदान हुआ।