आखिर कैसे बनी अर्चना बालमुकुंद शर्मा मोस्ट वांटेड?

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फिल्मी जगत का सितारा अर्चना बालमुकुंद शर्मा एक समय मोस्ट वांटेड भी बन गई थी! ऊंचे-ऊंच ख्वाब, बड़ी-बड़ी ख्वाहिशें और उन्हें पूरा करने के लिए किसी भी कीमत तक जाने की जिद। एक साधारण लड़की से अंडरवर्ल्ड डॉन बनने का सफर उसने ऐसे ही पूरा किया। ये कहानी है भारत की लेडी डॉन की जिसके खिलाफ कई देशों ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए हैं। जिसने भारत से लेकर नेपाल, दुबई तक ऐसा आतंक मचाया कि लंबे समय तक उसका खौफ हर किसी के जेहन में रहा। दाऊद इब्राहिम, अनीस इब्राहिम और बबलू श्रीवास्तव जैसे डॉन के साथ उसका उठना-बैठना था। भारत की पहली महिला अंडरवर्ल्ड डॉन अर्चना बालमुकुंद शर्मा। बाबा महाकाल की पवित्र नगरी उज्जैन में हुआ था अर्चना बालमुकुंद शर्मा का जन्म। पिता बालमुकुंद शर्मा पुलिस में थे। अर्चना के साथ-साथ अपनी चारों बेटियों को पिता ने अच्छी पढ़ाई-लिखाई करवाई। अर्चना बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थी। साथ ही उसे एक्टिंग का भी शौक था। बचपन में रामलीला में सीता का रोल निभाने वाली अर्चना बड़ी होकर भी एक्टिंग में अपना करियर बनाना चाहती थी। हालांकि, अर्चना के पिता ने उसकी स्कूलिंग खत्म होने के बाद उसका एडमिशन लखनऊ में लॉ के एक कॉलेज में करवा दिया।

उज्जैन की अर्चना लखनऊ पहुंच गई। वो वकालत की पढ़ाई करने लगी, लेकिन उसके सपने कुछ और थे। उन्हीं सपनों को पूरा करने के लिए कुछ सालों बाद ही उसने अलग राह चुन ली। अभी अर्चना का कॉलेज खत्म भी नहीं हुआ था कि वो लखनऊ छोड़कर मुंबई भाग गई। परिवार की मर्जी के खिलाफ वो मायानगरी मुंबई पहुंच चुकी थी। उसे अपने सपने पूरे करने थे। वो अपने ख्वाबों को उड़ान देना चाहती थी। इसके लिए उसे मुंबई से बेहतर कुछ और नहीं लगा। मुंबई में अर्चना ने अपनी मंजिल तलाशनी शुरू की। उसने कुछ मॉडलिंग प्रोजेक्ट्स में काम किए। इसके अलावा वो एक आर्केस्ट्रा ग्रुप से भी जुड़ गई। इतना ही नहीं अर्चना की जिंदगी में वो मौका भी आया जिसकी उसे चाह थी। उसे बॉलिवुड फिल्म गैंगस्टर में भूमिका मिल गई। फिल्म के अभिनेता थे जानी-मानी हस्ती देवानंद। ऐसा लगा कि वह जो चाहती थी, पूरा हो रहा था। लेकिन ऐसा नहीं था। अर्चना और सिर्फ उड़ान से खुश नहीं थी, उसे आसमान चाहिए था। इसी ऊंचाइयों की चाहत उसे गलत रास्ते पर ले जा रही थी।

गैंगस्टर के बाद जब उसे लंबे समय तक फिल्मों में काम नहीं मिला तो उसका रास्ते पर बढ़ गया। नब्बे के दशक में बबलू श्रीवास्तव को मुंबई के बड़े डॉन के रूप में जाना जाता था। कई अपहरण, फिरौती और हत्या के आरोप बबलू पर दर्ज थे। वो उत्तर प्रदेश का रहने वाला था। अर्चना मुंबई में बबलू श्रीवास्तव से मिली। कहा तो ये भी जाता है कि वो बबलू को लखनऊ से ही पहचानती थी। बहरहाल, जब उसे फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया तो उसने बबलू श्रीवास्तव से मुलाकात की। अर्चना की चाहतें उसे गलत तरफ धकेल रहीं थीं। बबलू के साथ मिलकर उसने भी अपराध की दुनिया में कदम रखा।

बबलू के साथ अर्चना दुबई पहुंच गई। यहां बबलू ने उसकी मुलाकात अनीस इब्राहिम से करवाई। अनीस इब्राहिम दाऊद का छोटा भाई था। बबलू श्रीवास्तव के अलावा इरफान गोगा, फजलुर रहमान भी अनीस के गैंग में शामिल थे। अर्चना भी गैंग की सदस्य बन गई। अर्चना को बबलू श्रीवास्तव के साथ किडनैपिंग का काम सौंपा गया था। अर्चना की जिम्मेदारी थी अपहरण और फिरौती कर देश में आतंक फैलाना। बबलू श्रीवास्तव के साथ कई किडनैपिंग में उसका नाम सामने आया। नब्बे के दशक में उसके ऊपर कई अपहरण, फिरौती मांगने, रंगदारी वसूलने और लूटपाट के मामले दर्ज हुए। अर्चना जेल भी गई, लेकिन जमानत पर छूटकर बाहर आ गई।

1995 में बबलू श्रीवास्तव को सिंगापुर से इंटरपोल ने गिरफ्तार कर लिया। अब अर्चना ही किडनैपिंग के खेल की मास्टर माइंड बन चुकी थी। वो फजलुर रहमान और इरफान गोगा के साथ मिलकर अपने नेटवर्क को और मजबूत कर रही थी। वो कारोबारियों का अपहरण करके फिरौती की रूप में बड़ी रकम की मांग करती थी। उसका नेटवर्क दुबई और नेपाल में भी फैला हुआ था। कहा जाता है कि नेपाल की राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता दिलशाद बेग से भी अर्चना के करीबी रिश्ते थे और वो उसकी हर काम में मदद करता था। बाद में बबलू श्रीवास्तव ने जेल से बाहर आने के बाद अर्चना की वजह से ही दिलशाद बेग की हत्या करवाई थी।

अर्चना बालमुकुंद कभी भारत से तो कभी नेपाल और कभी दुबई में रहकर अपने काले कारनामों को अंजाम देती थी। 1997 में अर्चना को दिल्ली के एक व्यापारी की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया, लेकिन वो बेल पर बाहर आ गई। इसके बाद कोलकाता के अन्य बिजनेसमैन के अपहरण की साजिश रचने को लेकर भी अर्चना का नाम पुलिस की लिस्ट में शामिल हुआ, लेकिन 1998 में पुणे के एक बिजनेसमैन के बेटे के अपहरण और हत्या के मामले में तो अर्चना पर सीधे तौर पर पुलिस के निशाने पर आ गई। अर्चना पर पुणे में एक पेट्रोल पंप के मालिक के बेटे के अपहरण और हत्या का आरोप लगा था।

अर्चना और उसके गैंग पर पर केस दर्ज हुआ। अर्चना इस केस की मास्टर माइंड थी। मई 1998 में फजलुर रहमान और उसके गैंग ने लदाकत का उनकी कार से अपहरण कर लिया था। अपहरण करके ये लोग लदाकत को पुणे के कोंढवा इलाके में लेकर गए जहां पर अर्चना पहले से ही मौजूद थी। वहां ले जाकर लदाकत की हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद अर्चना पुलिस की वांटेड लिस्ट में शामिल हो गई। कहा जाता है कि इसके बाद वो देश छोड़कर कहीं फरार हो गई थी। इस घटना के बाद उसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया। हालांकि 2010 में अर्चना के नेपाल में गोलीबारी में मारे जाने की खबर आई थी, लेकिन इस बात की भी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई।