क्या अब राहुल गांधी का साथ देंगे कमल हसन?

0
209

कमल हसन अब राहुल गांधी का साथ दे सकते हैं! अभिनेता से नेता बने कमल हासन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने आ रहे हैं। वह दिल्ली में भारत जोड़ो यात्रा का हिस्सा बनेंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, सांसद, स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्य भी इस यात्रा में शामिल होंगे। पिछले सप्ताह मक्कल निधि मय्यम एमकेएम के अध्यक्ष कमल हासन ने पार्टी के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा था कि उन्हें राहुल गांधी ने आमंत्रित किया है और वह 24 दिसंबर को दिल्ली पहुंच रहे हैं। कमल हासन का राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होना सबके लिए चौंकाने वाला है। वह तमिलनाडु की राजनीति में कांग्रेस और उसके सहयोगी डीएमके का जमकर विरोध करते रहे हैं। अब अचानक कांग्रेस के करीब आने को लेकर कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।कुछ राजनीति के जानकर कमल हासन के इस कदम को एक चतुर राजनीतिक चाल के रूप में देख रहे हैं। कहा जा रहा है कि कमल हासन भले ही सुपरस्टार रहे हों। उनकी फिल्मों ने शानदार प्रदर्शन किया हो लेकिन उनकी पार्टी ने कभी भी चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। यहां तक कि उन्हें खुद 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

कमल हासन ने लोकसभा चुनाव 2019 से पहले ही अपनी पार्टी बनाई। उनकी पार्टी के ऐलान के साथ ही कई बड़े नेता और दिग्गज उनके साथ पार्टी में शामिल हो गए थे। चुनाव में खूब चर्चा हुई। माना जा रहा था कि स्टार कमल हासन की पार्टी चुनाव में बड़ा अच्छा प्रदर्शन करेगी। कई सीटें जीतेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उनकी पार्टी को न सिर्फ करारी हार का सामना करना पड़ा। पार्टी 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में फिर से उतरी। कमल हासन ही अपनी सीट नहीं बचा पाए। वह कोयम्बटूर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़े थे। कमल हासन की पार्टी और उनकी हार के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस्तीफा दे दिया और अन्य दलों में शामिल हो गए।

तमिलनाडु की राजनीति में एक मजबूत ध्रुवीकरण पहले ही हो चुका है, जिसमें DMK के नेतृत्व वाले धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील गठबंधन (SPA) ने AIADMK और BJP के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को टक्कर दी है। एसपीए के गठबंधन सहयोगियों में कांग्रेस, 2 कम्युनिस्ट पार्टियां, सीपीआई-एम और सीपीआई, एमडीएमके, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) शामिल हैं। एनडीए में बीजेपी, एआईएडीएमके, पीएमके) और कुछ छोटे दल हैं।एमएनएम के पास कमल हासन की स्क्रीन इमेज को लेकर बात करने के अलावा कुछ भी नहीं है और पार्टी का संगठनात्मक नेटवर्क भी उतना अच्छा नहीं है। पार्टी के कई दूसरे नेता पहले ही एमएनएम छोड़ चुके हैं और कमल हासन निश्चित रूप से जानते हैं कि अगर वह दोनों में से किसी एक के साथ गठबंधन नहीं करते हैं, तो वे पार्टी का मनोबल नहीं बढ़ा पाएंगे और पार्टी के कार्यकर्ता भी पर्टी छोड़ देंगे।

कांग्रेस-डीएमके के साथ गठबंधन करने के लिए कमल हासन का भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने का एक दांव है क्योंकि वह जानते हैं कि तमिलनाडु में अकेले लड़ने से कोई फायदा नहीं होगा। कमल हमेशा कट्टर रहे हैं। धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील ताकतों के समर्थक हैं और इसलिए उन्हें धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील गठबंधन के साथ राजनीतिक गठबंधन करने में कठिनाई नहीं होगी।धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील ताकतों के समर्थक हैं और इसलिए उन्हें धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील गठबंधन के साथ राजनीतिक गठबंधन करने में कठिनाई नहीं होगी। कमल हासन के साथ अपनी राजनीतिक रणनीति पर काम करने की प्रक्रिया में, अभिनेता के 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना अधिक है और वह पूरे तमिलनाडु में गठबंधन के लिए एक प्रमुख प्रचारक हो सकते हैं। कमल हासन के साथ अपनी राजनीतिक रणनीति पर काम करने की प्रक्रिया में, अभिनेता के 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना अधिक है और वह पूरे तमिलनाडु में गठबंधन के लिए एक प्रमुख प्रचारक हो सकते हैं।

पिछले हफ्ते कमल हासन ने एमएनएम की प्रशासनिक और कार्यकारी समिति और जिला सचिवों की बैठक की। इस बैठक में हासन ने 2024 के लोकसभा चुनावों के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों की जानकारी दी और उन्हें पार्टी की रणनीति और गतिविधियों पर सलाह दी थी।धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील ताकतों के समर्थक हैं और इसलिए उन्हें धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील गठबंधन के साथ राजनीतिक गठबंधन करने में कठिनाई नहीं होगी। कमल हासन के साथ अपनी राजनीतिक रणनीति पर काम करने की प्रक्रिया में, अभिनेता के 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना अधिक है और वह पूरे तमिलनाडु में गठबंधन के लिए एक प्रमुख प्रचारक हो सकते हैं। कमल हासन, कांग्रेस के साथ मिलकर 2024 के लोकसभा चुनावों में उतर सकते हैं। वह इसके लिए चुनावी संभावना तलाश रहे हैं। तमिलनाडु कांग्रेस के नेताओं और एमएनएम प्रतिनिधि की हालिया मंथन बैठक को चुनावी संभावनाओं को तलाशने के तौर पर देखा जा रहा है।