क्या नीतीश कुमार के दिल में बसते अरुण जेटली?

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अरुण जेटली नीतीश कुमार के दिल में बसते है या नहीं, ये आज के समय का सबसे बड़ा सवाल है! वो समय बड़ा ही मनहूस था, जब प्रमोद महाजन की मृत्यु की खबर मिली थी। देश ने उभरता हुआ नेता खो दिया था। पूरा देश मर्माहत था और सभी पार्टी के कद्दावर नेता अपना शोक प्रगट कर रहे थे। ठीक वही समय था, जब राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपने प्रिय नेता को श्रद्धांजलि देना चाह रहे थे। तब नीतीश कुमार ने एक बड़े श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया था। सभी दलों के नेता भी आमंत्रित किए गए थे। इसी कार्यक्रम में अरुण जेटली को भी आना था। सच कहूं तो ये राजनीतिक जगत के लिए आदर्श स्थिति का एक बेहतर उदाहरण रहा। ऐसा बहुत कम देखने में आता है, जब कोई बड़े पद पर आसीन व्यक्ति अपने से छोटे पद वालों को इस कदर सम्मान दे कि दुनिया हतप्रभ रह जाए, वो भी प्रोटोकॉल को भूलते हुए। वाक्या ये था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रमोद महाजन की याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया था। ये कार्यक्रम भारतीय नृत्य कला मंदिर, पटना में किया गया था। नीतीश जी ने तब विशेष आग्रह कर अरुण जेटली के साथ कार्यक्रमस्थल जाने का मन बनाया। अरुण जेटली गए भी। तब नीतीश कुमार ने उनके सामने कार का बाएं दरवाजा खोला और उन्हें बैठने को कहा। पहले तो अरुण जेटली को भी ये विचित्र-सा लगा। सो, उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही बैठने का आग्रह किया। मगर नीतीश जी ने उन्हें बाई तरफ ही बैठाया। अक्सर होता ये है कि पद के अनुसार जो बड़ा होता है, वो बांए तरफ बैठता है। वर्ष 2006 में नीतीश जी मुख्यमंत्री थे, जबकि अरुण जेटली सिर्फ सांसद।

राजनीति गलियारों में आज भी ये चर्चा है कि ताउम्र अरुण जेटली ने इस सम्मान को याद रखा। एक समय आया, जब बिहार की बागडोर किसे सौंपी जाए तो अरुण जेटली ने भाजपा के तमाम केंद्रीय नेताओं को नीतीश कुमार के नाम पर सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई। जब कभी भी नीतीश कुमार के लिए भाजपा के भीतर इमेज बिल्डअप करना हुआ, अरुण जेटली ने काफी जिम्मेवारी से इस पक्ष को रखने में नीतीश कुमार के साथ खड़े रहे।

यही वजह भी है कि नीतीश कुमार ने अपने इस संबंध को काफी इस्तेमाल भी किया। याद कीजिए तो एक समय सीएम जदयू का, विधानसभा अध्यक्ष जदयू का, विधान परिषद के सभापति जदयू से, गृह, ग्रामीण विकास, भूमि सुधार विभाग जदयू के पास रहा। भाजपा का एक धड़ा ने इसका पार्टी के फोरम पर विरोध भी किया लेकिन अरुण जेटली हमेशा ऐसी समस्याओं का हल निकालते रहे। भाजपा नेता प्रेम रंजन पटेल अरुण जेटली और नीतीश कुमार के संबंधों को राजनीतिक जगत की नजरों में आदर्श के रूप में देखते हैं। बिहार की बागडोर अगर एनडीए नेतृत्व के रूप में नीतीश कुमार के हाथ गई तो इसका आधार अरुण जेटली रहे हैं। बतौर भाजपा के प्रभारी अरुण जेटली हमेशा नीतीश कुमार को अटल-आडवाणी के करीब रखने में कामयाब भी रहे।

अरुण जेटली के निधन से दूसरे लोगों के साथ नीतीश कुमार भी काफी आहत थे। तीन साल पहले पटना के कंकड़बाग पीपुल्स कोऑपरेटिव कॉलोनी के ए सेक्टर में स्थित पार्क नंबर 31 में नीतीश ने जेटली का आदमकद प्रतिमा बनवाया।तीन साल पहले पटना के कंकड़बाग पीपुल्स कोऑपरेटिव कॉलोनी के ए सेक्टर में स्थित पार्क नंबर 31 में नीतीश ने जेटली का आदमकद प्रतिमा बनवाया। प्रतिमा अनावरण के समय स्वर्गीय अरुण जेटली की धर्मपत्नी, पुत्री और पुत्र भी मौजूद रहे। प्रतिमा अनावरण के समय स्वर्गीय अरुण जेटली की धर्मपत्नी, पुत्री और पुत्र भी मौजूद रहे।

हर साल की तरह इस साल भी अरुण जेटली की जयंती के मौके पर नीतीश ने फूल-माला अर्पित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि वो हमेशा अरुण जेटली का आदर करते रहेंगे।भाजपा नेता प्रेम रंजन पटेल अरुण जेटली और नीतीश कुमार के संबंधों को राजनीतिक जगत की नजरों में आदर्श के रूप में देखते हैं। बिहार की बागडोर अगर एनडीए नेतृत्व के रूप में नीतीश कुमार के हाथ गई तो इसका आधार अरुण जेटली रहे हैं। बतौर भाजपा के प्रभारी अरुण जेटली हमेशा नीतीश कुमार को अटल-आडवाणी के करीब रखने में कामयाब भी रहे। अरुण जेटली के प्रति हमारी श्रद्धा सदैव रहेगी, जब तक हम जीवित हैं, उनके प्रति हमारा प्रेम और श्रद्धा रहेगा। उनका बहुत कम समय में निधन हो गया। हमलोगों को काफी तकलीफ हुई। काफी दुख की बात रही। वैसे लोगों को रहना चाहिए था। कितना काम करते थे वो।