जब बिहार में लगा था कांग्रेस पर 200 लोगों की हत्या का आरोप?

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एक ऐसा समय जब बिहार में कांग्रेस पर 200 लोगों की हत्या का आरोप लगा था! बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और लब्ध प्रतिष्ठित समाजवादी नेता, बिहार विधानसभा के सदस्य रहे कर्पूरी ठाकुर की सहज जीवन शैली को कोई भूल नहीं सकता। मुख्यमंत्री रहते उनमें लोगों ने विरोधी दल के नेता की तरह छवि देखी। उन्होंने कभी सरकार और सत्ता जाने की चिंता नहीं की। हमेशा लोक कल्याण से जुड़े मुद्दों पर अपने मुखर विचार रखे। दलितों के लिए बंदूक खरीदने का फैसला हो या फिर जेल में बंद नक्सलियों की रिहाई का फैसला। उन्होंने उस पर त्वरित मुहर लगाई। बिहार में अपने शासनकाल के दौरान हुए बेलछी नरसंहार के पीड़ितों को मुआवजा और रोजगार मुहैया कराया। कर्पूरी ठाकुर ने हमेशा शोषितों, वंचितों और निर्धनों का पक्ष लिया। विरोधी दल के नेता के साथ मुख्यमंत्री के रूप में विधानसभा में दिये गए उनके वक्तव्य आज भी विचारणीय हैं। उस हत्या से जुड़े सवाल-जवाब में कर्पूरी ठाकुर ने विधानसभा में जो खुलासा किया। उसे सुनकर कांग्रेसी सदस्यों के पैरों तले से जमीन खिसक गई। बिहार विधान परिषद की ओर से 2014 में कर्पूरी ठाकुर को समर्पित ‘साक्ष्य’ पत्रिका का प्रकाशन हुआ। जिसमें उनके जीवन से जुड़े अनसुने संस्मरण बताये गए हैं। उन्हीं संस्मरणों में से हम कर्पूरी से जुड़ी कुछ चुनिंदा यादों को आपके सामने सिलसिलेवार रख रहे हैं।

इस दिन की कार्यवाही में बिहार विधानसभा सदस्य राजकुमार पूर्वे मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर से प्रश्न करते हैं। पूर्वे कहते हैं कि मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि बंटाईदारी आंदोलन में 1974 के बाद कितने लोग मारे गये हैं? क्या सरकार उनके परिवार को भी मुआवजा देना चाहेगी, चूंकी आपने कहा है कि आपकी पार्टी के लोग भी उस आंदोलन में मारे गये हैं। साथ ही जिनको पर्चा मिल गया है और जेलों में बंद हैं, ऐसे बहुत से लोग हैं, क्या सरकार उनको भी रिहा करेगी? पूर्वे के इस सवाल के बाद मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर विधानसभा में जवाब देने के लिए खड़े होते हैं। मुख्यमंत्री कहते हैं कि अध्यक्ष महोदय, जब तक इन सारे प्रश्नों पर विचार नहीं करेंगे, अपने सहयोगियों के साथ, तब तक मैं उत्तर देने में असमर्थ हूं। मैं बिना विचार किए कोई निर्णय सुनाने को तैयार नहीं हूं। माननीय सदस्य राजकुमार पूर्वे ने जो प्रश्न उठाया है, उस प्रश्न पर मंत्री परिषद विचार करेगी, फैसला क्या लिया जाएगा, ये कहना अभी हमारे लिए संभव नहीं है, हम अभी नहीं कह सकते। उसके बाद तुरंत सदन में खड़े होकर सदस्य चतुरानन मिश्र कहते हैं कि इसमें भूमि संघर्षवालों को भी इनक्लूड कर लीजिए। उसके बाद कर्पूरी ठाकुर कहते हैं कि अभी मैं इस संबंध में कोई वादा नहीं कर सकता।

कर्पूरी ठाकुर विधानसभा के कांग्रेसी सदस्यों के सवाल के जवाब में कहते हैं कि मुझसे पूछा जा रहा है कि बटाईदारी संघर्ष में मारे गए लोगों को मुआवजा दिया जाएगा, तो मेरा ख्याल है, अगर मंत्री परिषद को ऐसा निर्णय करना पड़ेगा तो न मालूम कितने लाख रुपये कुल लोगों को देना पड़ेगा। उसके बाद ठाकुर कहते हैं कि विरोधी दल के नेता रामलखन सिंह यादव हरिजन का नाम बहुत लेते हैं। आपकी रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक 128 नक्सलपंथी मारे गये और गैर सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक इनकी संख्या 200 है कि 250 है, जो मारे गए हैं। ज्यादातर आपकी गोलियों से, सरकार की गोलियों से। उसके बाद चतुरानन मिश्र की ओर से मुख्यमंत्री को टारगेट करते हुए कहा जाता है कि मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल मुसहर, हरिजन और पिछड़ेवर्ग के लोग ही मारे गये। तो मैं कहना चाहता हूं कि हजारीबाग जेल में जितने लोग मारे गए, उनमें एक बंगाली भी था। मेरा कहना है कि झूठा नक्सलाइट कहकर उसकी हत्या की गई और कहा गया कि एनकाउंटर में मारे गये। तो, इन तमाम चीजों की जांच होनी चाहिए ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके। मिश्र के सवाल के बाद कर्पूरी ठाकुर गुस्से में हो जाते हैं। उसके बाद वो जवाब के रूप में जो कहते हैं, उसके बाद विधानसभा में तूफान खड़ा हो जाता है।

मिश्र के सवाल पर कर्पूरी ठाकुर कहते हैं कि जिन लोगों की हत्या की गयी उनके बारे में कहा गया कि एनकाउंटर में मारे गए। मैं इस संबंध में कहना चाहता हूं कि बंबई हाई कोर्ट के भूतपूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक कमेटी इस जनवरी महीने में श्रद्धेय जय प्रकाश नारायण ने बनाई थी। उनकी पहली रिपोर्ट में ये कहा गया है कि एक दफा 10 व्यक्ति मारे गए और दूसरे में 9 व्यक्ति के बारे में कहा गया है। जैसा कि पहले कहा गया था कि वे लोग आमने-सामने के मुकाबले में मारे गये थे। लेकिन रिपोर्ट से मालूम होता है कि वे मुकाबले में नहीं मारे गये हैं, बल्कि पुलिस ने थाने में ले जाकर उनकी हत्या की है। जो लोग मारे गये हैं यदि मैं उनके बारे में बतालाऊं तो आपकी कलई खुल जाएगी कि आप हरिजनों के कितने बड़े हमदर्द हैं। जो मारे गए हैं, उनमें एक माली था जो 18 वर्ष का नौजवान था। आईएससी के पहले वर्ष का छात्र था। मैं सबूत के साथ बोल रहा हूं, उस समय वशिष्ठ नारायण सिंह भी उपस्थित थे। आप उनसे पूछ सकते हैं। कर्पूरी ठाकुर इस दौरान आगबबूला हो जाते हैं और पूरी रिपोर्ट की कहानी विधानसभा के सामने रख देते हैं। ठाकुर आगे कहते हैं कि वह लड़का चला गया। वह लड़का ये कहने आया था कि मैं नक्सलपंथ में विश्वास नहीं करता हूं और इस आशय की सूचना मैंने लिखकर कलक्टर को, एसपी आदि को दे दी है। उसने कहा था कि हमारे ऊपर से वारंट हटा लें।

मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर उस भयावह रात की कहानी विधानसभा में रखते हैं, जिस रात पुलिस सोये हुए लड़के को जगाकर उसकी हत्या कर देती है। विधानसभा पूरी तरह साइलेंट होकर मुख्यमंत्री के आरोपों को सुनता है और कांग्रेसी सदस्यों के चेहरे उतर जाते हैं। मुख्यमंत्री आगे कहते हैं कि दुर्भाग्य से मेरी उस लड़के से बातचीत नहीं हो सकी और दस दिनों के बाद सुना कि वो लड़का सोया हुआ था। बारह-एक बजे रात में वारिसनगर की पुलिस ने रिवाल्वर से उस लड़के को मार दिया। यहां दो सदस्य मंजय लाल और शिवनंदन पासवान बैठे हुए हैं। इनके थाने में श्रीमति कुशवाहा को गिरफ्तार करने के दो घंटे के बाद सामने खड़ा कर शूट कर दिया गया है। एक हरिजन नौजवान था, उसको भी शूट कर दिया गया है, जिसका नाम कामरू पासवान था। मैं बहस में नहीं जाना चाहता हूं। मैं यह कहना चाहता हूं कि अगर जांच हो तो पता चल जाएगा कि हरिजनों की हत्या, हरिजनों का कत्लेआम कांग्रेसी सरकार ने जितना किया है उतना कोई दूसरी सरकार ने अभी तक नहीं किया है और न आगे करेगी। ये मैं दावे के साथ कहता हूं। कर्पूरी के इस बयान के बाद विधानसभा में सन्नाटा पसर जाता है। उसके बाद भड़के कांग्रेसी सदस्य चतुरानन मिश्र कहते हैं कि तब इसकी जांच करा दीजिए। जवाब में मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने मिश्र को कहा कि जांच होगी और तथ्य दुनिया के सामने आयेगा, आपके और हमारे सामने आएगा।