विटामिन डी की टेबलेट अब खतरनाक होती जा रही है! उत्तर भारत में सर्दी के मौसम में धूप सेंकने का चलन है। दोस्तों के साथ बैठकर लोग घंटों धूप में गप्पे मारते हैं। हेल्थ को लेकर सजग लोग विटामिन डी की परवाह करते हैं और धूप में बैठने को सेहत के लिए फायदेमंद मानते हैं। धूप सेंकना अच्छी बात है क्योंकि विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और सूरज की रोशनी विटामिन डी का प्रमुख स्रोत है। हालांकि कुछ लोग विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए टैबलेट खाने लगते हैं। दिल्ली में कड़ाके की ठंड के बीच एम्स की एक स्टडी ने राजधानी के लोगों को अलर्ट किया है। एंडोक्रिनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म विभाग की ओर से की गई स्टडी में बताया गया है कि सर्दी में पारा गिरने के बाद भी ज्यादातर दिल्लीवालों में विटामिन डी की कमी नहीं है, भले ही वे बाहर या इनडोर काम करते हों। ऐसे में लोगों को सलाह दी गई है कि वे सीधे सूरज की रोशनी से विटामिन डी हासिल करें, बेवजह दवाइयां न खाएं। दनादन सप्लीमेंट्स लेने से सर्दी के दिनों में हार्ट संबंधी समस्या हो सकती है।
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के मुताबिक 12 नैनोग्राम विटामिन डी के स्तर को ‘कमी नहीं’ समझा जाता है और करीब 20 नैनोग्राम/एमएल को ‘पर्याप्त’ माना जाता है। स्टडी बताती है कि लोगों में फैली आम धारणा से उलट शहरी आबादी में विटामिन डी की कमी सबको नहीं होती है और अपने रोजमर्रा के काम से बाहर निकलने वाले ज्यादातर लोगों की विटामिन डी की कमी पूरी हो जाती है। हां, जो लोग हमेशा इनडोर रहते हैं, वे विटामिन डी की कमी को लेकर थोड़ा फिक्रमंद हो सकते हैं।
इस स्टडी के मुख्य शोधकर्ता डॉ. रवींद्र गोस्वामी ने लोगों को सतर्क करते हुए कहा कि ठंड में बेवजह विटामिन डी के टैबलेट आदि लेने से हार्ट संबंधी परेशानियां बढ़ सकती हैं। विटामिन डी की ज्यादा डोज लेने के बाद सीरम कैल्शियम तेजी से बढ़ सकता है। गोस्वामी ने कहा, ‘ब्लड कैल्शियम ज्यादा होने से हार्ट पर असर पड़ता है और हार्टबीट गड़बड़ा सकती है, यह अचानक कार्डिएक अरेस्ट की वजह बन सकता है। ठंड में हार्ट अटैक के मामले बढ़ जाते हैं।’ उन्होंने साफ कहा कि किसी को भी विटामिन डी को हमेशा बढ़ाते रहने के बारे में टेंशन नहीं लेनी चाहिए। इसका लेवल 20 नैनोग्राम पर्याप्त है। गौर करने वाली बात यह है कि इस स्तर को धूप से हासिल करने की कोशिश होनी चाहिए। एक्सपर्ट ने कहा कि दोपहर में 12 बजे के बाद जब सूरज निकले तब भी विटामिन डी लिया जा सकता है। सेब, केला, संतरे में भी विटामिन डी होता है।
स्टडी में कहा गया है, ‘भोजन में मिलने वाले पर्याप्त कैल्शियम के बावजूद शहरी इनडोर लोगों में विटामिन डी सप्लीमेंट की सलाह सवालों के घेरे में है। इस समय दिल्ली में विटामिन डी युक्त दूध का प्रचार किया जा रहा है। हालांकि सवाल है कि क्या पर्याप्त कैल्शियम वाला भोजन लेने के साथ इनडोर या आउटडोर वाले लोगों के लिए भी यह जरूरी है? इसे स्टडी के संदर्भ में समझना जरूरी है। बिना वजह विटामिन डी लेना हाइपरकैल्शीमिया के खतरे को बढ़ा सकता है, जिससे ब्लड में कैल्शियम का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। यही नहीं , इससे यूरिन में कैल्शियम बढ़ सकता है और ऐसे में इससे बचने में ही समझदारी है।’
दिल्ली में आउटडोर काम करने वालों में विटामिन डी की कमी पर केंद्रित यह स्टडी 573 लोगों पर की गई है। इसमें छह तरह के आउटडोर काम करने वाले इन लोगों की विटामिन डी का स्तर जांचा गया। इसमें हॉकर्स, सड़क पर काम करने वाले वेंडर्स, एम्स के आसपास पेट्रोल पंपों पर काम करने वाले, ऑटो रिक्शा ड्राइवर, माली और ट्रैफिक पुलिस के जवान शामिल थे। यह स्टडी प्रतिष्ठित जर्नल PubMed में प्रकाशित हुई है। स्टडी में शामिल प्रतिभागियों की शुरुआत में जून से सितंबर के दौरान गर्मी में जांच की गई। उस समय दिल्ली में पूरे दिन धूप रहती थी और पारा 40 डिग्री तक पहुंच गया। इसके बाद जनवरी से मार्च के दौरान दोबारा विटामिन डी के स्तर की जांच की गई।
ज्यादा दवाएं खाने से अच्छा है कि लोग धूप में रहकर विटामिन डी लेने की सोचें। सर्दी के दिनों में धूप लेने का सबसे बढ़िया समय दोपहर के बाद का है। तब तक कोहरा भी छंट चुका होता है। ज्यादा सुबह वाली धूप में UV ऊर्जा अल्ट्रावॉयलट एनर्जी पर्याप्त नहीं होती है जिससे विटामिन डी के स्तर को सामान्य बनाया जा सके।