भारत की जनता में जीवन यापन कैसे कर रही है यह सबसे बड़ा सवाल है! समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया 1962 का चुनाव तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ फूलपुर से लड़कर हार चुके थे। हालांकि अगले ही साल उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से उपचुनाव जीतकर लोहिया लोकसभा में प्रवेश करते हैं। लोकसभा में उनका तीन आना बनाम पंद्रह आना का भाषण एक ऐतिहासिक माना जाता है। इतना ही नहीं एक ऐसा भाषण जिसने पंडित नेहरू को चुनौती दी। तारीख 21 अगस्त 1963 जब लोकसभा में अपने भाषण में लोहिया ने कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने एक दिन पहले कृषि मंत्री के भाषण का हवाला दिया और कहा कि सरकार ने अनाज उत्पादन की बात कही लेकिन कितना यह नहीं बताया। लोहिया ने कहा कि देश की 60 फीसदी आबादी हर दिन 3 आना प्रतिदिन पर जीवन यापन कर रही है और प्रधानमंत्री के कुत्ते पर हर दिन 3 रुपये खर्च हो रहा है। उन्होंने सदन में इसके अलावा कई और बातें कहीं साथ ही कहा कि मेरी बातों को कोई झूठा साबित करके दिखाए। डॉ. लोहिया ने नागरिकों की स्थिति पर कहा कि देश के 60 प्रतिशत लोग जो आबादी का 27 करोड़ है वह हर दिन तीन आना पर जीवन यापन कर रहा है। मजदूर, शिक्षक कितना कमाता है। लोहिया ने कहा कि हर दिन प्रधानमंत्री के कुत्ते पर तीन रुपये का खर्च निर्धारित है। खुद प्रधानमंत्री पर डेली 25 हजार रुपये खर्च होता है। लोहिया ने कहा कि प्रधानमंत्री के प्रति उनकी कोई दुर्भावना नहीं है लेकिन दूसरों का क्या। उन्होंने आर्थिक विषमता को लेकर सवाल खड़े किए। लोहिया ने कृषि मंत्री के एक दिन पहले के भाषण पर भी सवाल उठाया और कहा कि उन्होंने अनाज उत्पादन बढ़ाने की बात कही लेकिन कितना यह नहीं बताया। उन्होंने खुद आंकड़े देकर बताया कि बढ़ती आबादी के हिसाब से कितना उत्पादन होना चाहिए।
प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने लोहिया की कही इन बातों का विरोध किया और कहा कि योजना आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 70 फीसदी लोग 15 आना रोजाना कमा रहे हैं। लोहिया ने कहा कि तीन आना बनाम 15 आना छोड़िए 25 हजार में तो लाखों आने होते हैं। हर रोज कितना खर्च होता है इसको लेकर लोहिया पूरी तैयारी के साथ बोल रहे थे। उन्होंने पंडित नेहरू को अपने दावों को झूठा साबित करने की चुनौती दी। लोहिया ने इसकी बहस चलाई अधिकतम आय कितनी हो सकती है। लोहिया का संघर्ष था जिसने भारी बहुमत से सरकार में बैठी कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया था। संसद में लोहिया जब बोलते थे तब पंडित नेहरू को होमवर्क करके आना पड़ता था। कई बार समय कम होने पर दूसरे सांसद भी अपना समय दे देते थे।
संसद में जिस तीन आना बनाम पंद्रह आना पर लोहिया ने संसद में रोचक भाषण दिया था उसका सिद्धांत उनको काशी में मिला। कई जगहों पर इस बात का जिक्र है कि तात्कालिक अर्थशास्त्री कृष्णनाथ ने लेहिया के साथ मिलकर इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। काशी विद्यापीठ के संस्थापक सचिव पंडित विश्वनाथ शर्मा का घर उनदिनों समाजवादियों के लिए किसी आश्रम से कम नहीं था। कहा जाता है कि इस जगह पर ही उन्होंने कृष्णनाथ से तीन आने प्रति व्यक्ति की रूपरेखा तैयार कर उस पर विचार मंथन किया था। लोहिया एक समय नेहरू से प्रभावित रहे उन्हें अपना नेता मानते थे लेकिन कई बातों को लेकर विरोध बढ़ता ही चला गया।
देश में जब प्रचंड बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार थी उस वक्त पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लोहिया को कांग्रेस पार्टी में महासचिव का पद ऑफर किया था लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था। देश को नया विकल्प देने के लिए कांग्रेस छोड़ने का निर्णय लिया।कई जगहों पर इस बात का जिक्र है कि तात्कालिक अर्थशास्त्री कृष्णनाथ ने लेहिया के साथ मिलकर इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। काशी विद्यापीठ के संस्थापक सचिव पंडित विश्वनाथ शर्मा का घर उनदिनों समाजवादियों के लिए किसी आश्रम से कम नहीं था। कहा जाता है कि इस जगह पर ही उन्होंने कृष्णनाथ से तीन आने प्रति व्यक्ति की रूपरेखा तैयार कर उस पर विचार मंथन किया था। लोहिया एक समय नेहरू से प्रभावित रहे उन्हें अपना नेता मानते थे लेकिन कई बातों को लेकर विरोध बढ़ता ही चला गया। उस वक्त लोहिया के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले कई और समाजवादी नेता थे। सभी समाजवादियों ने मिलकर सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया। वह लोहिया ही थे जिनमें नेहरू को ललकारने का साहस था। जिस वक्त देश में सिर्फ कांग्रेस ही कांग्रेस थी उस वक्त भी लोहिया ने कांग्रेस सरकार के सामने चुनौती पेश कर दी।