आखिर देश में कैसे होती है काली कमाई?

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देश में बड़े स्तर पर वर्तमान में काली कमाई हो रही है! अक्सर खबरें आती हैं कि फलां केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरोपी की नकदी, प्रॉपर्टी अटैच कर दी। भ्रष्‍टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के ज्यादातर मामलों में यही होता है। दिल्‍ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने बुधवार को पूर्व एमसीडी पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोप तय किए। ताहिर पर 2020 दिल्‍ली दंगों की फंडिंग का आरोप है। ताहिर ने पिछले साल यह दलील दी थी कि उनके पास से कोई प्रॉपर्टी या रकम सीज नहीं हुई, ऐसे में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप नहीं बनता। ईडी ने कहा कि ताहिर ने जो बैंक खाते इस्तेमाल किए, वे प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्‍ट (PMLA) की धारा 8(5) के तहत प्रॉपर्टी के दायरे में आएंगे। ऐसी प्रॉपर्टी को अटैच कर लिया जाता है। आखिर यह अटैचमेंट किस आधार पर होता है? क्‍या अदालत का आदेश जरूरी नहीं? दोषी करार दिए जाने के बाद जब्त नकदी या प्रॉपर्टी का क्या होता है? आज ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानते हैं। भ्रष्‍टाचार को रोकने के लिए वक्‍त-वक्‍त पर कानून बने और उनमें बदलाव हुए। इसके बावजूद, भ्रष्‍टाचार पर वैसी नकेल नहीं कसी जा सकी। सरकारी पदों पर बैठे लोगों को भ्रष्‍टाचार की सजा देने के लिए कई कानून हैं। इसी तरह मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ भी कानून बने हैं। जांच एजेंसियों को जिन कानूनों के आधार पर ऐक्‍शन लेने की ताकत मिलती हैं!

PMLA में प्रावधान है कि अगर आरोपी के पास संपत्ति नहीं है तो उसी मूल्‍य की प्रॉपर्टी अटैच की जा सकती है। भ्रष्‍टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आरोपियों के पास से बरामद नकदी, संपत्ति जब्‍त होने के बाद मामला अदालत पहुंचता है। जब तक ट्रायल चलता है, सीज रकम बैंक खाते में पड़ी रहती है। अगर आरोपी दोषी करार दिया गया तो वह पैसा सरकार का हो जाता है। अगर दोषमुक्ति मिली तो कैश और प्रॉपर्टी वापस कर दी जाती है।

प्रॉपर्टी या केस जब्‍त करने का मकसद आरोपी को उनके इस्‍तेमाल से रोकना होता है। आमतौर पर जो प्रॉपर्टी इस्‍तेमाल हो रही होती है, उसे केस खत्‍म होने तक सील नहीं किया जाता। अक्‍सर आरोपी अपीलीय टिब्‍यूनलों या ऊपरी अदालतों से प्रॉपर्टी रिलीज करवा लेता है या फिर स्‍टे ले आता है। 2018 में ईडी ने पूर्व वित्‍त मंत्री पी. चिदंबरब के दिल्‍ली के जोरबाग स्थित बंगले का 50% हिस्‍सा अटैच कर दिया था। इसके बावजूद, उनका परिवार वहां रहता रहा। ईडी ने 2020 में चिदंबरम के बेटे कार्ति को इविक्‍शन नोटिस जारी किया था लेकिन वे कानूनी प्रोटेक्‍शन ले आए।

चलते हुए कारोबार को भी रोका नहीं जाता। उसे PMLA के तहत अटैच कर लिया जाता है और कमाई ईडी के पास जमा होती रहती है। इसमें भी आरोपी कोर्ट से दखल दिलवा सकता है। अटैच की गई संपत्तियां सालों तक बंद पड़ी रह सकती हैं।आमतौर पर जो प्रॉपर्टी इस्‍तेमाल हो रही होती है, उसे केस खत्‍म होने तक सील नहीं किया जाता। अक्‍सर आरोपी अपीलीय टिब्‍यूनलों या ऊपरी अदालतों से प्रॉपर्टी रिलीज करवा लेता है या फिर स्‍टे ले आता है। 2018 में ईडी ने पूर्व वित्‍त मंत्री पी. चिदंबरब के दिल्‍ली के जोरबाग स्थित बंगले का 50% हिस्‍सा अटैच कर दिया था। इसके बावजूद, उनका परिवार वहां रहता रहा। ईडी ने 2020 में चिदंबरम के बेटे कार्ति को इविक्‍शन नोटिस जारी किया था लेकिन वे कानूनी प्रोटेक्‍शन ले आए। उनकी मेंटेनेंस का कोई प्रावधान नहीं है। अदालत मनी लॉन्डिंग की पुष्टि के बाद प्रॉपर्टी को जब्‍त करने का आदेश देती है। अटैच की गई गाड़‍ियां सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के वेयरहाउसों में भेज दी जाती हैं।

मनी लॉन्डिंग के मामलों में चार्जशीट दायर करने के साथ ही ईडी सीज संपत्तियों की नीलामी की अपील भी करता है।आमतौर पर जो प्रॉपर्टी इस्‍तेमाल हो रही होती है, उसे केस खत्‍म होने तक सील नहीं किया जाता। अक्‍सर आरोपी अपीलीय टिब्‍यूनलों या ऊपरी अदालतों से प्रॉपर्टी रिलीज करवा लेता है या फिर स्‍टे ले आता है। 2018 में ईडी ने पूर्व वित्‍त मंत्री पी. चिदंबरब के दिल्‍ली के जोरबाग स्थित बंगले का 50% हिस्‍सा अटैच कर दिया था। इसके बावजूद, उनका परिवार वहां रहता रहा। ईडी ने 2020 में चिदंबरम के बेटे कार्ति को इविक्‍शन नोटिस जारी किया था लेकिन वे कानूनी प्रोटेक्‍शन ले आए। अदालत दोषी से रिकवरी के लिए नीलामी का आदेश दे सकती है। नीलाम से जमा रकम सरकारी खजाने में जमा कर दी जाती है।