आज हम आपको स्वतंत्रता सेनानी महारानी वेलू नचियार की कहानी सुनाने जा रहे हैं! भारतीय आजादी की लड़ाई में देश की महिलाएं और पुरुष बराबर भागीदारी के साथ मैदान में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए थे। अंग्रेज जब भारत में अपनी पैठ बनाने की कोशिश में थे तो ऐसे ही एक महायोद्धा महारानी थीं जिन्होंने ब्रिटिश सेनाओं को भारतीय नारी की वीरता से परिचय कराया था। एनबीटी सुपर ह्यूमन सीरीज में आज हम आपको दक्षिण भारत की महान महारानी वेलू नचियार से परिचय कराने वाले हैं। रानी ने न केवल अंग्रेजों को परास्त किया बल्कि पहली भारतीय महिला स्वतंत्रता सेनानी का तमगा भी हासिल किया। 1730 में पैदा हुईं नचियार को ‘वीरामंगाई’ बहादुर महिला के नाम से भी जाना जाता था। नचियार का खुफिया दस्ता इतना बेजोड़ था कि उन्होंने इसके दम पर अंग्रेजों को ध्वस्त कर दिया था। नचियार राजा चेलामथाऊ विजयरघुनाथ और रानी सकंदीमुथुल के घर में पैदा में हुई थीं। वह अपने माता-पिता की एकलौती संतान थीं। उनके माता-पिता नचियार का पालन-पोषण एक लड़के की तरह की। वह मर्दों की तरह बाल रखती थीं। उन्होंने घुड़सवारी, तीरंदाजी और मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ली थी। यही नहीं, वह कई भाषाओं में पारंगत थी। वह इंग्लिश, फ्रेंच और उर्दू फर्राटे के साथ बोलती थीं। 16 साल की उम्र में नचियार की शादी शिवगंगाई के राजकुमार मुथुवेदूगनाथौर उदयथेवर के साथ की हुई थी। दोनों की एक लड़की भी हुई जिसका नाम वेलाची था। 1772 में अंग्रेजों ने नचियार के पति उदयथेवर की हत्या कर दी। ब्रिटिश सैनिकों ने शिवगंगाई पर हमला बोला और ‘कालियार कोली युद्ध’ में उदयथेवर शहीद हो गए थे।
पति की मौत के बाद नचियार घायल शेरनी हो गईं। पर अपनी छोटी बच्ची की परवरिश के लिए वह अपना राजपाट छोड़ डिंडिगुल में जाकर शरण ली। वे यहां करीब 8 साल तक रहीं। यहां रहने के दौरान नचियार मैसूर के सुल्तान हैदर अली से मिलीं। हैदर अली नचियार की उर्दू और उनकी साहस से काफी प्रभावित हुए थे। उन्होंने नचियार के रहने की जगह पर एक मंदिर बनवाया। ये दोनों की दोस्ती का प्रतीक था। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में नचियार का साथ मांगा। हैदर अली ने उन्हें रानी की तरह सम्मान दिया और उनकी आर्थिक सहायता भी की। हैदर अली ने उन्हें 400 पाउंड, 5 हजार पैदल सैनिक और इतना ही घुड़सवार दस्ता उनकी मदद के लिए भेजा। ये सभी सैनिक बेहतरीन हथियार से लैस थे। इसके जरिए नचियार ने खुद को मजबूत किया और अंग्रेजों को भगाने के लिए पूरी ताकत लगा दी।
नचियार ने इस दौरान जमकर तैयारी की थी। 1780 में नचियार ने अंग्रेजों को अपनी बेहतरीन युद्धकौशल और रणनीति से ध्वस्त कर डाला। नचियार के ट्रेंड गुप्तचरों ने अंग्रेजों के शस्त्र डिपो का पता लगाकर उसे उड़ा दिया। इसके बाद नचियार ने अपने सैनिकों के साथ हमला कर दिया और अंग्रेजों के कब्जे से अपना राज्य छुड़ा लिया। नचियार के इस युद्ध में महिला सैनिकों ने उनका जमकर साथ दिया था। कहा तो ये भी जाता है कि इसी युद्ध में पहली बार आत्मघाती हमलावर का इस्तेमाल किया गया था। कहा जाता है कि नचियार की सेनापति कुयिली ने अंग्रेजों के आयुध डिपो में आत्मघाती हमला किया था। कहा जाता है कि कुयिली ने खुद को घी में डूबोकर आग लगा लिया और अंग्रेजों के शस्त्र डिपो में घुस गईं। उन्होंने अंग्रेजों के सभी शस्त्रों को खत्म कर दिया।
अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने के बाद नचियार ने शिवगंगेई पर करीब एक दशक तक शासन किया।इसके बाद नचियार ने अपने सैनिकों के साथ हमला कर दिया और अंग्रेजों के कब्जे से अपना राज्य छुड़ा लिया। नचियार के इस युद्ध में महिला सैनिकों ने उनका जमकर साथ दिया था। कहा तो ये भी जाता है कि इसी युद्ध में पहली बार आत्मघाती हमलावर का इस्तेमाल किया गया था। कहा जाता है कि नचियार की सेनापति कुयिली ने अंग्रेजों के आयुध डिपो में आत्मघाती हमला किया था। कहा जाता है कि कुयिली ने खुद को घी में डूबोकर आग लगा लिया और अंग्रेजों के शस्त्र डिपो में घुस गईं। उन्होंने अंग्रेजों के सभी शस्त्रों को खत्म कर दिया। उन्होंने अपनी बेटी वेलाची को अपनी सत्ता सौंपी थी और अपने सहयोगी मारुधू के भाइयों को राज्य की प्रशासनिक कमान सौंपी थी। हैदर अली की मदद के प्रति आभार जताने के लिए नचियार ने सारंगनी में एक मस्जिद का भी निर्माण किया था। इस महायोद्धा महारानी का निधन 1796 में हो गया था।