Sunday, December 22, 2024
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क्या आने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी कर रही है बीजेपी?

बीजेपी अब आने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुट गई है! सीएम योगी आदित्यनाथ के पिछले तीन दिनों के शेड्यूल का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के विधायकों-सांसदों से उनकी अपेक्षाएं जानने और उसे पूरा करने पर केंद्रित है। विकास योजनाओं की नब्ज टटोलने के साथ ही स्थानीय अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रस्तावों के दरवाजे भी इस दौरान खुले हुए हैं। समन्वय, संवाद व जमीनी फीडबैक जानने की योगी की इस कवायद को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की सियासी जमीन को और ‘उर्वर’ बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। सीएम योगी ने नवंबर-दिसंबर में प्रदेश के सभी मंडलों का दौरा किया था। इस दौरान सभी नगर निगमों में प्रबुद्ध सम्मेलन भी आयोजित किए गए थे। योगी ने शहरी निकाय से जुड़े प्रतिनिधियों से सीधे मुखातिब होने के साथ ही हर शहरों में सैकड़ों करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास-लोकार्पण भी किया था। निकाय चुनाव की घोषणा के पहले यह आयोजन सरकार-संगठन की चुनावी तैयारियों की भूमिका के तरह थे। हालांकि, आरक्षण तय करने की प्रक्रिया को लेकर फंसे कानूनी पेंच के चलते शहरी निकाय का चुनाव टल गया और अभी इसमें लंबा वक्त लगने के भी आसार हैं। इसलिए, योगी सरकार ने अगले लक्ष्य पर काम शुरू कर दिया है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट जीआईएस जैसे बड़े आयोजनों के जरिए जहां विकास की ब्रैंडिंग पर नजर है, वहीं स्थानीय अपेक्षाओं को भी जनप्रतिनिधियों के जरिए सहेजने की कवायद तेज कर दी गई है।

योगी ने तीन दिनों में 8 मंडलों के भाजपा विधायकों-सांसदों के साथ मंडलवार बैठक की। इस दौरान उन्होंने हर जिले की बड़ी योजनाओं मसलन स्मार्ट सिटी, मेडिकल कॉलेज, बस स्टेशन जैसे बड़े प्रॉजेक्ट जिनके पूरे होने पर बदलाव नजर आए, उनका खास तौर पर फीडबैक लिया। सांसदों-विधायकों को भी इन परियोजनाओं की निगरानी करने, समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय होने को कहा, जिससे जब चुनावी मंच से भाजपा ‘डबल इंजन’ की सरकार के फायदे गिनाए तो उसके पास जमीन पर उतरी उपलब्धियों का जीवंत दस्तावेज हो।

वेस्ट यूपी में किसानों के सवाल हमेशा मुखर रहते हैं। योगी ने किसानों का बिजली कनेक्शन न काटने, गन्ना मूल्य के भुगतान जैसे मुद्दों के समाधान के जरिए इस सवाल को भी हल करने में लगे हैं। विकास के साथ ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का अजेंडा भी मुखर रहे, इसलिए उससे जुड़ी योजनाएं भी प्राथमिकता में हैं। मथुरा में ब्रज तीर्थ के विकास, आगरा में शिवाजी स्मारक, मुजफ्फरनगर में शुकतीर्थ, कासगंज के शूकर क्षेत्र के विकास प्रस्तावों व योजनाओं को योगी ने विशेष तौर पर आगे बढ़ाने के निर्देश दिए। अयोध्या, मथुरा काशी के बदले स्वरूप का बार-बार जिक्र करते हुए योगी ने जनप्रतिनिधियों से नीचे तक इस चर्चा को विस्तार देने के लिए भी कहा है।

राष्ट्रीय मसलों के साथ बहुत बार स्थानीय स्तर पर सड़क, रास्ते, बिजली जैसी-जैसी छोटी अपेक्षाएं भी चुनाव पर असर डालती हैं।योगी ने किसानों का बिजली कनेक्शन न काटने, गन्ना मूल्य के भुगतान जैसे मुद्दों के समाधान के जरिए इस सवाल को भी हल करने में लगे हैं। विकास के साथ ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का अजेंडा भी मुखर रहे, इसलिए उससे जुड़ी योजनाएं भी प्राथमिकता में हैं। मथुरा में ब्रज तीर्थ के विकास, आगरा में शिवाजी स्मारक, मुजफ्फरनगर में शुकतीर्थ, कासगंज के शूकर क्षेत्र के विकास प्रस्तावों व योजनाओं को योगी ने विशेष तौर पर आगे बढ़ाने के निर्देश दिए। अयोध्या, मथुरा काशी के बदले स्वरूप का बार-बार जिक्र करते हुए योगी ने जनप्रतिनिधियों से नीचे तक इस चर्चा को विस्तार देने के लिए भी कहा है। लोकल एंटीइनकंबेंसी नुकसान का फैक्टर न बने इसलिए योगी विधायकों-सांसदों से समन्वय बनाने पर खास जोर दे रहे हैं। उन्होंने त्वरित आर्थिक विकास योजना के तहत मिलने वाले 5 करोड़ रुपये के कार्यों का प्रस्ताव भी जल्द उपलब्ध कराने को कहा है।

भाजपा के एक सांसद का कहना है कि अगर मई-जून तक भी निकाय चुनाव हुए तो उसकी आचार संहिता के चलते नए काम नहीं हो पाएंगे।योगी ने किसानों का बिजली कनेक्शन न काटने, गन्ना मूल्य के भुगतान जैसे मुद्दों के समाधान के जरिए इस सवाल को भी हल करने में लगे हैं। विकास के साथ ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का अजेंडा भी मुखर रहे, इसलिए उससे जुड़ी योजनाएं भी प्राथमिकता में हैं। मथुरा में ब्रज तीर्थ के विकास, आगरा में शिवाजी स्मारक, मुजफ्फरनगर में शुकतीर्थ, कासगंज के शूकर क्षेत्र के विकास प्रस्तावों व योजनाओं को योगी ने विशेष तौर पर आगे बढ़ाने के निर्देश दिए। अयोध्या, मथुरा काशी के बदले स्वरूप का बार-बार जिक्र करते हुए योगी ने जनप्रतिनिधियों से नीचे तक इस चर्चा को विस्तार देने के लिए भी कहा है। फरवरी तक लोकसभा चुनाव घोषित हो जाएंगे और आचार संहिता लग जाएगी। इसलिए जनप्रतिनिधियों की निधि से मौजूदा वित्तीय सत्र में काम करने के लिए 7-8 महीने ही मिलेंगे। इसलिए, विकास प्रस्ताव जल्द आगे बढ़ गए तो चुनाव के समय वह उपलब्धियों के रूप में चुनावी मंच पर मुखर होंगे।

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