सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच खींचातानी शुरू हो चुकी है! हर मुद्दे पर अपना रुख रखते हैं। और सोशल मीडिया पर सरकार की अहम नीतियों की आलोचना करते हैं। ये आधार बताते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कलिजियम की तरफ हाईकोर्ट में जज नियुक्त करने के लिए भेजे गए वकील सोमशेखर सुंदरेशन का नाम रिजेक्ट कर दिया था।’ केंद्र से इस फैसले के बाद सरकार और सुप्रीम कोर्ट में ठन सी गई है। सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही नहीं बताया और कहा कि सरकारी योजनाओं की सार्वजनिक आलोचना के कारण किसी वकील को जज बनाने से नहीं रोका जा सकता है। दरअसल, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कलिजियम की तरफ से जज बनाने के लिए भेजे गए तीन नामों को क्लियर नहीं किया था। ये नाम हैं सौरभ कृपाल, सुंदरेशन और आर जॉन सत्यन। केंद्र ने इन नामों को अलग-अलग कारण बताते हुए लौटा दिया था। हालांकि, केंद्र की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए चीफ जस्टिस डी वीई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ के नेतृत्व वाले कलिजियम ने इन नामों को हाईकोर्ट के लिए बड़े काम का बताते हुए फिर से केंद्र सरकार को भेज दिए हैं। दरअसल, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कलिजियम के 16 फरवरी 2022 को भेजे गए सुंदरेशन, सत्यन और कृपाल के नामों पर कुछ आपत्ति जताते हुए वापस लौटा दिए थे। केंद्र ने सुंदरेशन की सरकार की नीतियों की आलोचना को मुख्य कारण बताया था। केंद्र ने साथ ही कहा कि था ये मुद्दों पर अपना रुख जताते हैं। वहीं, सत्येन के दो वॉट्सऐप मैसेज फॉरवर्ड को लेकर आपत्ति केंद्र ने जताई थी। वहीं, कृपाल के विदेशी समलैंगिक पार्टनर को लेकर रॉ की आपत्तियों का जिक्र करते हुए उनका नाम भी लौटा दिया था। पर सुप्रीम कोर्ट कलिजियम ने 17 जनवरी को एकबार फिर से इन तीनों जजों का नाम केंद्र को भेज दिया है।
केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने हाल के दिनों में कलिजियम व्यवस्था को लेकर कई बार बयान दिया है। हालांकि सरकार ने रिजिजू ने कहा है कि जब तक किलिजियम व्यवस्था है तबतक हम वर्तमान सिस्टम के साथ ही आगे बढ़ेंगे। हालांकि, उन्होंने साथ ही कहा कि जब तक कोई वैकल्पिक सिस्टम नहीं आ जाता या फिर संसद कोई नया कानून नही लाती है हम कलिजियम के फैसले के साथ ही चलेंगे। हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट की कलिजियम व्यवस्था के खिलाफ सरकार और जूडिशयरी के खिलाफ गतिरोध चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट कलिजियम ने वरिष्ठ वकील सौरभ कृपाल का नाम दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाने के लिए फिर से भेजा है। लेकिन इससे पहले सरकार ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) की आपत्तियों का जिक्र करते हुए कृपाल का नाम लौटा दिया था। रॉ ने समलैंगिक वकील कृपाल के विदेशी पार्टनर को लेकर ऑब्जेक्शन जताया था। कृपाल के पार्टनर एक स्विस नागरिक हैं। उनका नाम निकोलस जर्मेन बाकमैन हैं। वह स्विस दूतावास में काम करते हैं। कृपाल भारत के पूर्व चीफ जस्टिस बी एन कृपाल के बेटे हैं। पर अब सुप्रीम कोर्ट कलिजियम ने केंद्र की इन आपत्तियों को दरकिनार करते हुए कृपाल का नाम फिर से भेज दिया है। कलिजियम ने कहा कि उच्च पदों पर बैठे कई पूर्व और मौजूदा संविधानिक अधिकारियों की पत्नियां विदेशी मूल की हैं। इसलिए इस आपत्ति को वजह नहीं माना जा सकता है। कलिजियम ने कहा कि असल बात तो ये है कि कृपाल अपने झुकाव के बारे में बताया है। इस तरह कलिजियिम ने केंद्र सरकार की सारी आपत्तियों को दरकिनार करते हुए कृपाल का नाम फिर से हाईकोर्ट के जज के लिए भेज दिया है।
केंद्र सरकार ने सुंदरेशन का नाम इस बिना पर लौटा दिया था कि वो सरकारी नीतियों के मुखर आलोचक हैं। वकील सुंदरेशन अपने ट्वीट में सरकारी नीतियों के आलोचक रहे हैं। लेकिन कलिजियम ने सुंदरेशन का नाम फिर से वापस बॉम्बे हाईकोर्ट के जज के लिए केंद्र को भेजते हुए दलील दी कि उनके पास कर्मशियल लॉ में विशेषज्ञता है और वह बॉम्बे हाईकोर्ट की पूंजी साबित हो सकते हैं। कलिजियम ने साथ ही कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट में कमर्शियल और सिक्योरिटीज कानून से जुड़े काफी मामले आते रहते हैं। उल्लेखनीय है कि कलिजियम ने 16 फरवरी 2022 को सुंदरेशन का नाम जज के लिए केंद्र सरकार को भेजा था।
सुप्रीम कोर्ट कलिजियम ने 16 फरवरी 2022 को सत्येन का नाम मद्रास हाईकोर्ट के जज के लिए भेजा था। पर केंद्र सरकार ने आईबी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उनका नाम जज के लिए क्लियर नहीं किया था। आईबी ने अपनी रिपोर्ट में सत्येन को दो पोस्ट शेयर करने पर आपत्ति जताई थी। रिपोर्ट के अनुसार, सत्येन ने ‘द क्विंट’ में छपे एक आर्टिकल को शेयर किया था, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी की आलोचना की गई थी। उन्होंने एक अन्य पोस्ट शेयर किया था जिसमें एक मेडिकल की तैयारी कर रही छात्रा अनिता की खुदकुशी के लिए ‘राजनीतिक दगाबाजी’ करार देने की कोशिश की थी और इसे ‘शेम ऑफ यू इंडिया’ कहते हुए टैग किया था। इसपर कलिजियम ने तर्क दिया कि वॉट्सऐप पर फॉरवर्ड किए गए मैसेज को ठोस पहुंचाने वाला नहीं कहा जा सकता है और इससे किसी की उम्मीदवारी खारिज नहीं हो सकती है। इसके बाद कलिजियम ने कहा कि उनकी राय में सत्येन मद्रास हाईकोर्ट के जज बनने की योग्यता रखते हैं। इसके साथ ही कलिजियम ने सत्येन का नाम फिर से केंद्र सरकार को भेज दिया।