Monday, December 23, 2024
HomeIndian Newsक्या कांग्रेस कर रही है बीजेपी की जीत तैयार?

क्या कांग्रेस कर रही है बीजेपी की जीत तैयार?

कांग्रेस कहीं ना कहीं अपने बयान बाजी से बीजेपी की जीत की तैयारी कर रही है! आखिरकार राहुल गांधी इस बार भांप गए। यूं तो वो खुद भी बीजेपी के लिए पिच तैयार करते रहते हैं, लेकिन बालाकोट एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाने वाले दिग्विजय सिंह को उन्होंने तुरंत किनारे लगा दिया। राहुल ने बड़ी साफगोई से कहा कि कांग्रेस पार्टी और दिग्विजय सिंह की सोच में दूर-दूर तक तालमेल नहीं है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि हमारी सेना शानदार काम कर रही है और उसे कभी किसी ऑपरेशन का सबूत देने की जरूरत नहीं है। लेकिन सवाल है कि क्या दिग्विजय सिंह ने पहली बार सीमा लांघी है या वो आदतन अतिक्रमणकारी हैं? फिर यह सवाल सिर्फ दिग्विजय सिंह से ही क्यों, कई अन्य नेताओं के साथ खुद राहुल गांधी भी क्या बीजेपी को संजीवनी देने में पीछे रहते हैं? क्या इन कांग्रेसियों को पता नहीं है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में ही अति संवेदनशील मतदाताओं का एक वर्ग तैयार हो गया जो हिंदुत्व और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों पर उलट बयानबाजियों से सुरसा की तरह दोगुना आकार ले लेता है। सुरसा की कहानी रामायण से जान लीजिएगा या फिर गूगल सर्च कर लीजिएगा। खैर, बात हो रही है 2024 लोकसभा चुनाव और उससे पहले नौ राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी का एजेंडा साधते कांग्रेसी नेताओं की। ताजातरीन मामले से ही शुरू करते हैं। हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुखर विरोधी दिग्विजिय सिंह ने ऐसा मुद्दा छेड़ दिया है जो कथित टुकड़े-टुकड़े गैंग और उसके समर्थकों के सिवा शायद ही कोई भारतीय पसंद करे। इसे दूसरी तरह से कह सकते हैं कि मुट्ठीभर एजेंडावादियों को छोड़कर शायद ही किसी को दिग्विजिय सिंह के बयान से घिन्न नहीं आई हो। वेस्टर्न कमांड के चीफ रहे एयर मार्शल (रिटायर्ड) रघुनाथ नांबियार ने तो दिग्विजय सिंह को परोक्ष रूप से झूठा कह दिया। उन्होंने देशवासियों को आगाह किया कि वो इन झूठे प्रचार का शिकार नहीं हों। दिग्विजय सिंह ने जम्मू-कश्मीर में भारत जोड़ो यात्रा के मंच से कहा था कि बालाकोट एयर स्ट्राइक में कई पाकिस्तानियों के मारे जाने का दावा किया जाता है, लेकिन आज तक एक भी सबूत नहीं दिया गया।

कांग्रेस में दिग्विजय सिंह, मणिशंकर अय्यर, सैम पित्रोदा, सलमान खुर्शीद जैसे नेताओं की लंबी फेहरिश्त है जिनके बारे में आम धारणा बन गई है कि ये सभी बीजेपी के लिए बीजेपी नेताओं से भी ज्यादा मेहनत करते हैं। बीजेपी तो यहां तक दावे करती है कि राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह जब-जब चुनाव प्रचार करते हैं, बीजेपी का वोट बढ़ जाता है। बीजेपी के इस दावे पर किसी को कुछ हद तक तो कांग्रेस को भी भरोसा हो गया है, वरना हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनावों से दोनों नेता गायब क्यों हो जाते? अब ये कहना कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में थे, राजनीति की समझ रखने वाला भला कौन इस पर यकीन करेगा? तो सवाल है कि क्या लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी की तरफ से वही गलतियां होने लगी हैं जिनसे बीजेपी के दावों को मजबूती मिलती है?

इसका जवाब ढूंढने से पहले यह जानते हैं कि आखिर बीजेपी अपने धुर विरोधी कांग्रेस के लिए कौन-कौन से दावे करती है? मोदी-शाह के मार्गदर्शन में बदली हुई बीजेपी हिंदुत्व, राष्ट्रवाद समेत उन मुद्दों पर खुलकर खेलने लगी है जिस पर अटल-आडवाणी की बीजेपी पर्दे के पीछे से पासे फेंका करती थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने तो खेल के नियम ही बदल डाले। मुस्लिम तुष्टीकरण से लेकर माफियागिरी और हिंदू विरोधी से लेकर राष्ट्र विरोधी ताकतों के खिलाफ खुलकर ऐक्शन लिए जाने लगे जिसकी कल्पना कुछ साल पहले तक नहीं की जा सकती थी। बीजेपी के केंद्रीय एवं प्रादेशिक नेता इसलिए कर पा रहे हैं क्योंकि उन्हें इस पर भारी जनसमर्थन मिल रहा है। 2014 में राष्ट्रवाद की लहर ने बीजेपी को 10 साल बाद केंद्र की सत्ता दिला दी और 2019 के अगले आम चुनाव में और भी बड़ी जीत दिलवा दी। राज्यों में भी बीजेपी का विस्तार और विरोधियों का सिकुड़ता जनाधार इस बात की गवाही हैं।

तो बदली हुई सियासत के लिए कांग्रेस कितना तैयार है? इस सवाल के अब तक कई बार जवाब मिल चुके हैं। लेकिन यह सवाल ऐसा है कि जब-जब चुनाव आएगा, इसकी प्रासंगिकता पैदा हो जाएगी। निर्वाचन आयोग ने त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के तीन राज्यों में विधानसभा चुनावों के तारीखों की घोषणा कर दी है। वहीं, कर्नाटक, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और मिजोरम में भी इसी वर्ष चुनाव होने हैं। कहा जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में भी इस वर्ष विधानसभा चुनाव हो सकता है। फिर अगले वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होंगे। इसके लिए राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाली। जैसा कि नाम से ही जाहिर है- कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी का दावा करते हैं कि बीजेपी शासन में नफरत का बोलबाला है जिससे देश के विभिन्न वर्गों में दूरियां बढ़ गई हैं, इसलिए उन्हें जोड़ने की जरूरत है। लेकिन वही राहुला गांधी जब यात्रा में दिल्ली पहुंचते हैं तो कहते हैं कि उन्हें देशभर में कहीं नफरत नहीं दिखी। सोचिए, राहुल गांधी के दावे को खुद राहुल गांधी ही धता बता रहे हैं। बीजेपी भी तो यह कह रही है कि कहीं नफरत नहीं है। अलबत्ता कांग्रेस अपना राजनीतिक हित साधने के लिए नफरत-नफरत का राग अलापकर देश का सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने से भी नहीं हिचकती है।

यूं तो भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी को एक गंभीर नेता के रूप में पेश करने और कांग्रेस नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में जोश भरकर पार्टी को ताकतवर बनाना है। लेकिन यात्रा के दौरान इन दोनों ही मकसदों के उलट भी कई बातें हुईं। राहुल गांधी ने दाढ़ी बढ़ाकर अपने गंभीर व्यक्तित्व की दावेदारी तो पेश की, लेकिन आबादी को रुपये में बताकर और ठंड को डर से जोड़कर इस दावेदारी को खुद ही हल्का कर दिया। गुजरात में कांग्रेस के स्थानीय नेता ने राहुल गांधी के भाषण का अनुवाद करने से इनकार कर दिया और मंच छोड़कर चले गए। ऐसी घटनाओं से राहुल गांधी की छवि निर्माण की कोशिशों को झटका लगा तो निश्चित तौर पर सबसे ज्यादा बीजेपी ही मुस्करा रही होगी। इसी तरह, बीजेपी भारत जोड़ो यात्रा पर यह कहते हुए तंज कसती रही कि राहुल गांधी को कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकालनी चाहिए। भारत जोड़ो यात्रा चल ही रही थी कि हिमाचल प्रदेश में चुनाव से पहले 26 नेताओं ने कांग्रेस छोड़ दी। हाल ही में भारत जोड़ो यात्रा पंजाब से निकली ही थी कि वहां के बड़े नेता और पूर्व वित्त मंत्री मणप्रीत बादल ने कांग्रेस छोड़ दी।

अब बात कांग्रेस को ताकतवर बनाने की। कहना न होगा कि पार्टी की ताकत उसे मिलते जनसमर्थन से ही आंका जाता है। कांग्रेस पार्टी की नीतियां मतदाताओं को किस हद तक आकर्षित कर पाती है, इसी से तय होगा कि चुनावों में देश की इस सबसे पुरानी पार्टी को कितनी सफलता मिलेगी। जनता का मिजाज समझने में राहुल गांधी, कांग्रेस पार्टी और इसके नेता कितने कामयाब हैं, इसका अंदाजा उनकी गतिविधियों और उनके बयानों से लगाया जा सकता है। राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उस रिजिल मकुट्टी से मिले जिस पर बछड़े को काटकर सामूहिक भोज करने का आरोप लगा था, उस पादरी जॉर्ज पोन्नैया से मिले जिसने भारत और हिंदुओं के लिए अपशब्द कहे, स्वरा भास्कर समेत तमाम उन लोगों को साथ लाया जिन पर हिंदू विरोध, राष्ट्रवादी भावनाओं का विरोधी और मुस्लिम तुष्टीकरण का चैंपियन होने के आरोप लगते रहते हैं।

राहुल गांधी खुद हिंदुत्व पर खूब हमलावर रहे। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) पर तो कठोरतम हमले करते रहे, लेकिन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) जैसे राष्ट्रविरोधी संगठन, मुसलमानों में बढ़ते कट्टरता पर एक शब्द नहीं कहा। जब पैंगबर विवाद में आठ निर्दोष हिंदुओं की गर्दनें काट ली जाएं, लोगों को गर्दन काटने की खुली धमकियां दी जाएं, अजमेर शरीफ दरगाह समेत कई मुस्लिम धर्मगुरुओं और मुस्लिम नेताओं की तरफ से हिंसा एवं हिंदुओं के बहिष्कार की अपील की जाए, खुलेआम सर तन से जुदा के नारे लगाए जाएं तब इन सब घटनाओं पर चुप्पी ठानकर आरएसएस को नफरत की दुकान होने के दावे किए जाएं तो किसे भरोसा होगा कि राहुल गांधी सच में सामाजिक-सांप्रदायिक सौहार्द चाहते हैं, सिर्फ राजनीतिक एजेंडा साधना उनका मकसद नहीं! इससे तो मुस्लिम तुष्टीकरण में पोर-पोर समाई कांग्रेस की धारणा ही पुष्ट होती है और इससे बीजेपी का दावा ही मजबूत होता है। एक तरफ राहुल गांधी कहते हैं कि उन्हें आरएसएस ऑफिस ले जाने के लिए उनकी गर्दन काटनी होगी, दूसरी तरफ आठ गर्दनें कट गईं और वो चुप हैं।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments