क्या कुछ खास था इस साल के बजट में?

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इस साल के बजट में बहुत कुछ खास बताया जा रहा है! वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को फाइनेंशियल ईयर 2023-24 का आम बजट 2023-24 पेश किया! यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी फुल बजट है। अगले साल देश में आम चुनाव होने हैं। इसलिए माना जा रहा है कि इस बार बजट में लोकलुभावन घोषणाओं पर जोर हो सकता है। लेकिन आरबीआई RBI के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव का कहना है कि बजट में लोकलुभावन घोषणाओं के बजाय परफॉरमेंस पर बात होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बजट में रेवड़ियां बांटने के बजाय रोजगार पैदा करने पर जोर होना चाहिए। इसी से गरीब आबादी का भला होगा। सुब्बाराव ने सुझाव दिया कि ऐसे सेक्टर्स को पीएलआई स्कीम में लाना चाहिए जहां बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। इस तरह की बातें की जा रही हैं कि इस बजट में वित्त मंत्री लोकलुभावन योजनाओं की झड़ी लगा देंगी। अगर वह ऐसा करती हैं तो इससे हैरानी होगी। इसकी वजह है कि महामारी में उन्होंने काफी समझबूझ के साथ जरूरत के मुताबिक खर्च किया। इसलिए उस अनुशासन को बनाए रखने की जरूरत है। जो सरकार दस साल से सत्ता में है उसे वादों के आधार पर नहीं बल्कि परफॉरमेंस के आधार पर चुनाव में जाना चाहिए। उन्हें रेवड़ियों से बचना चाहिए।

भारत सात फीसदी की दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही इकॉनमी है। हम आज तेजी से बढ़ रहे हैं क्योंकि महामारी के दौरान हम सबसे ज्यादा गिरे थे। कई देशों ने महामारी के पूर्व ग्रोथ की रफ्तार पकड़ ली है लेकिन हम अभी वहां तक नहीं पहुंच पाए हैं। 2021-22 में एवरेज इनकम रियल टर्म में 2018-19 के मुकाबले कम रही। गरीब आबादी पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ है। इसलिए बजट में पूरा जोर ग्रोथ पर होना चाहिए। ग्रोथ के लिए निवेश जरूरी है। आज हम जो निवेश करेंगे वह भविष्य की नींव रखेगा। पिछले दो साल में वित्त मंत्री ने चतुराई के साथ पब्लिक इनवेस्टमेंट किया है। इस बजट में भी यह दौर जारी रहना चाहिए।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर का कहना है कि बजट में रोजगार सृजन पर जोर होना चाहिए। नौकरियों से ही देश की गरीब आबादी की इनकम बढ़ेगी। उनकी जेब में पैसा आएगा तो वे इसे खर्च करेंगे। इससे ग्रोथ बढ़ेगी और देश समृद्धि की ओर बढ़ेगा। बेरोजगारी की समस्या का कोई आसान समाधान नहीं है। केवल ग्रोथ से यह हल नहीं होगा। हमें नौकरी पैदा करने वाली ग्रोथ चाहिए। सर्विस सेक्टर से मदद मिल सकती है लेकिन मुझे नहीं लगता कि इससे कम वेतन वाले जॉब मिलेंगे। इसलिए नौकरी पैदा करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना होगा।

पीएलआई स्कीम में जॉब पैदा करने की गुंजाइश है। लेकिन इसके लिए एमएसएमई को इससे जोड़ना होगा। ऐसी इंडस्ट्रीज को पीएलआई में शामिल किया जाना चाहिए जिनमें बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। उदाहण के लिए खिलौना उद्योग।पीएलआई स्कीम में जॉब पैदा करने की गुंजाइश है। लेकिन इसके लिए एमएसएमई को इससे जोड़ना होगा। ऐसी इंडस्ट्रीज को पीएलआई में शामिल किया जाना चाहिए जिनमें बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। उदाहण के लिए खिलौना उद्योग।उनकी जेब में पैसा आएगा तो वे इसे खर्च करेंगे। इससे ग्रोथ बढ़ेगी और देश समृद्धि की ओर बढ़ेगा। बेरोजगारी की समस्या का कोई आसान समाधान नहीं है। केवल ग्रोथ से यह हल नहीं होगा। हमें नौकरी पैदा करने वाली ग्रोथ चाहिए। सर्विस सेक्टर से मदद मिल सकती है लेकिन मुझे नहीं लगता कि इससे कम वेतन वाले जॉब मिलेंगे। इसलिए नौकरी पैदा करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना होगा। साथ ही रेवेन्यू डेफिसिट को भी पाटने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में रेवड़ी कल्चर पर लगाम लगाने की वकालत की है। आप बजट में यह प्रस्ताव कर सकती हैं कि आप इस बारे में राज्यों के साथ एक कलेक्टिव कोड ऑफ कंडक्ट बनाने के लिए एक डायलॉग शुरू करेंगी।उनकी जेब में पैसा आएगा तो वे इसे खर्च करेंगे। इससे ग्रोथ बढ़ेगी और देश समृद्धि की ओर बढ़ेगा। बेरोजगारी की समस्या का कोई आसान समाधान नहीं है। केवल ग्रोथ से यह हल नहीं होगा। हमें नौकरी पैदा करने वाली ग्रोथ चाहिए। सर्विस सेक्टर से मदद मिल सकती है लेकिन मुझे नहीं लगता कि इससे कम वेतन वाले जॉब मिलेंगे। इसलिए नौकरी पैदा करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना होगा। साथ ही रेवेन्यू डेफिसिट को भी पाटने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में रेवड़ी कल्चर पर लगाम लगाने की वकालत की है। आप बजट में यह प्रस्ताव कर सकती हैं कि आप इस बारे में राज्यों के साथ एक कलेक्टिव कोड ऑफ कंडक्ट बनाने के लिए एक डायलॉग शुरू करेंगी।