कौन सा खेल खेल रहे हैं उपेंद्र कुशवाहा?

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उपेंद्र कुशवाहा बिहार में एक नया खेल खेलने जा रहे हैं! बिहार की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से चर्चित चेहरा बने उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी में नहीं जाएंगे। उनकी अपनी पार्टी होगी। नयी पार्टी में उनके समर्थक ज्यादातर जेडीयू के लोग ही रहेंगे। उपेंद्र कुशवाहा ने इसी हफ्ते साफ कर दिया था कि इस जीवन में वे बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे। तब कुछ लोगों को अचरज हुआ था। कई लोग तो यह मान कर चल रहे थे कि कुशवाहा लोगों को भ्रम में रख रहे हैं। कुशवाहा के रणनीतिकारों की मानें तो वह बीजेपी की मदद कर सकते हैं, लेकिन बीजेपी के साथ सच में नहीं जाएंगे। दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा सीएम नीतीश कुमार के सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा करना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने दो तरह की रणनीति बनायी है। पहला तो जेडीयू में रह कर ही नीतीश और उनके इर्दगिर्द के नेताओं को कठघरे में वह खड़ा करते रहेंगे। विरोध के लिए उन्होंने आरजेडी से नीतीश की डील और पार्टी के कमजोर होने का मुद्दा पहले से उठा दिया है। अब रोज-रोज नीतीश के खिलाफ नये मुद्दे उठाते रहेंगे। कुशवाहा और जेडीयू नेतृत्व को भी को पता है कि ऐसा बहुत दिन तक नहीं चलने वाला। आजिज होकर जेडीयू उन्हें निकालेगा ही। ऐसे में शहीद होने का लाभ कुशवाहा को मिल जाएगा और तब वह नयी पार्टी बनाने की घोषणा करेंगे। उपेंद्र कुशवाहा अगर नयी पार्टी बनाते हैं तो उसका नाम क्या होगा, इस पर उनके रणनीतिकारों ने विमर्श शुरू कर दिया है। सूचना यह है कि कुशवाहा की नयी पार्टी के नाम में जनता दल या समता पार्टी में से कोई एक नाम प्रमुख रूप से रहेगा। ऐसा करने पर लोगों को आसानी से पता चल जाएगा कि पार्टी वही है, फर्क सिर्फ इतना है कि इसमें नीतीश कुमार के मारे-सताए या जेडीयू के उपेक्षित लोग ही हैं। खुद को असली जनता दल बताने का पार्टी प्रयास करेगी। यानी आरजेडी का विरोध कुशवाहा की पार्टी का मूल मकसद होगा। यह ठीक वैसा ही कदम होगा, जैसा नीतीश कुमार ने जनता दल से अलग होने के बाद लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की सरकार के विरोध के लिए समता पार्टी बनायी थी। यानी नीतीश के अंदाज में ही उन्हें घेरने की कुशवाहा कोशिश करेंगे।

आरजेडी और जेडीयू के नेता उपेंद्र कुशवाहा के बागी तेवर देख कर आरोप लगाते रहे हैं कि वे बीजेपी के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। उन्हें जहां जाना है, जायें। नीतीश कुमार और जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा तो इतनी बेचैनी में हैं कि वे बार-बार कह रहे हैं कि उपेंद्र कुशवाहा को जहां जाना है, वहां जितनी जल्दी हो सके, चले जाएं। इधर उपेंद्र जेडीयू से अपने आप हिलने को तैयार नहीं हैं। असली जनता दल बताने का पार्टी प्रयास करेगी। यानी आरजेडी का विरोध कुशवाहा की पार्टी का मूल मकसद होगा। यह ठीक वैसा ही कदम होगा, जैसा नीतीश कुमार ने जनता दल से अलग होने के बाद लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की सरकार के विरोध के लिए समता पार्टी बनायी थी। यानी नीतीश के अंदाज में ही उन्हें घेरने की कुशवाहा कोशिश करेंगे।उन्हें परेशान करने के लिए जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि पार्टी में कुशवाहा की औकात महज एक एमएलसी की है। वे पार्टी में अब पदधारी नहीं रहे। यानी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद से पार्टी ने हटा दिया है।

जब ललन सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा अब महज एमएलसी हैं तो उनका जवाब आया कि वे एमएलसी की सीट भी खाली करने को तैयार हैं। जिस दिन नीतीश कुमार कहेंगे, वे एमएलसी से इस्तीफा दे देंगे।असली जनता दल बताने का पार्टी प्रयास करेगी। यानी आरजेडी का विरोध कुशवाहा की पार्टी का मूल मकसद होगा। यह ठीक वैसा ही कदम होगा, जैसा नीतीश कुमार ने जनता दल से अलग होने के बाद लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की सरकार के विरोध के लिए समता पार्टी बनायी थी। यानी नीतीश के अंदाज में ही उन्हें घेरने की कुशवाहा कोशिश करेंगे। उन्हें तो सिर्फ इसका जवाब चाहिए कि पार्टी कोई सेकेंड लाइन क्यों नहीं डेवलप कर रही। पार्टी लगातार कमजोर हो रही है, इस पर बैठक क्यों नहीं बुलाई जा रही। क्यों नतीश कुमार अपनी पार्टी में नया नेतृत्व उभारने की बजाय आरजेडी के तेजस्वी यादव के नेतृत्व में 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर रहे हैं। ये कुछ सवाल हैं, जिनका जवाब न देना नीतीश या जेडीयू नेतृत्व को पार्टी में अविश्वसनीय बनाते हैं। कुशवाहा तो यही चाहते हैं कि पार्टी में नीतीश और उनके करीबी अविश्वसनीय हो जाएं।