लालू यादव नई सत्ता का नया समीकरण आने वाले हैं! बिहार की राजनीति के जबरदस्त खिलाड़ी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के सिंगापुर से बिहार आगमन पर राज्य का राजनीतिक गलियारा एक बार फिर से हरकत में आ गया है। सामाजिक न्याय के मसीहा कब किसकी राजनीति की बखिया उधेड़ दें, यह समझना किसी के बस की बात नहीं। राजनीतिक विशेषज्ञ यह मानते हैं कि इस खास समय में सबसे ज्यादा सावधान अगर कोई नेता होंगे तो वे हैं नीतीश कुमार। ऐसा इसलिए कि एक समय लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की जोड़ी राजनीतिक जगत में काफी मशहूर थी। 90 के दशक की तमाम नीतियों की नायक यही जोड़ी रही थी। सत्ता समीकरण को पलटना और नया सत्ता समीकरण बनाने में इनका कोई सानी नहीं। लालू यादव की ताजपोशी को कैसे रघुनाथ पांडे को खड़ा कर अंजाम दिया गया था, यहां के राजनीतिक गलियारों में यह आज भी चर्चा का विषय बनता रहा है। सो, नीतीश कुमार उनकी जोड़ तोड़ की राजनीति के सबसे करीबी गवाह रहे होंगे। सो, इस खास समय में जब तेजस्वी की ताजपोशी को ले कर राजद काफी उतावला है, ऐसे में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का आगमन राज्य की राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बिहार आगमन की सूचना के साथ ही राजद कार्यकर्ता में उत्साह का संचार बढ़ गया है। राजद के पूर्व सांसद अली अशरफ फातमी और विधान पार्षद विनोद जायसवाल की मानें तो राजद सुप्रीमो 10 फरवरी को बिहार आ रहे हैं। सिंगापुर में राजद नेता ने लालू प्रसाद से मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य को लेकर जानकारी ली। इस दौरान लालू यादव की बेटी मीसा भारती और रोहिणी आचार्य ने बताया कि पिता जी स्वस्थ हैं और वे 10 फरवरी को बिहार आयेंगे।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के आगमन के साथ ही महागठबंधन के नेताओं की उम्मीद को पंख लग गए है। कहा यह जा रहा है कि बयानों के जरिए जो मतभेद पैदा किए जा रहे हैं उसके समाधान की उम्मीद जदयू के नेताओं को भी है। महागठबंधन के नेताओं की उम्मीद यह है कि आते ही लालू पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह , शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर ,राजस्व मंत्री आलोक मेहता के बयान के बाद जदयू और राजद के बीच बढ़ती खाई को पाट कर गठबंधन की राजनीति को मजबूत करेंगे। राजद सुप्रीमो का दूसरा लक्ष्य विपक्षी एकता की मुहिम को धार देना भी हो सकता है। लोकसभा चुनाव में अब बमुश्किल डेढ़ साल का वक्त बच रहा है। तीसरा लक्ष्य यह भी हो सकता है कि लालू तेजस्वी की ताजपोशी की जमीन तैयार कर सकते हैं, जिसका सपना राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, वरीय राजद नेता शिवानंद तिवारी या फिर उदय नारायण चौधरी देख रहे हैं। एक चौथी संभावना राजद और जदयू के विलय को ले कर है। उपेंद्र कुशवाहा लगातार इशारा कर रहे हैं कि राजद और जदयू में डील हुई है।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का आगमन सत्ता के परिवर्तन काल का सूचक है। एक पिता के लिए पुत्र को राजनीति के शीर्ष स्थान पर देखना लाजमी है। राजद सुप्रीमो का दूसरा लक्ष्य विपक्षी एकता की मुहिम को धार देना भी हो सकता है। लोकसभा चुनाव में अब बमुश्किल डेढ़ साल का वक्त बच रहा है। तीसरा लक्ष्य यह भी हो सकता है कि लालू तेजस्वी की ताजपोशी की जमीन तैयार कर सकते हैं, जिसका सपना राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, वरीय राजद नेता शिवानंद तिवारी या फिर उदय नारायण चौधरी देख रहे हैं। एक चौथी संभावना राजद और जदयू के विलय को ले कर है। उपेंद्र कुशवाहा लगातार इशारा कर रहे हैं कि राजद और जदयू में डील हुई है।वो अस्वस्थ चल रहे हैं। अपने स्वास्थ्य को देखते हुए वे अपने पुत्र की ताजपोशी की हर संभव कोशिश करेंगे। इसके लिए वे नीतीश कुमार को विपक्षी एकता की दिशा में आगे बढ़ने का संकेत देंगे। जिस तरह से नीतीश कुमार पर लगातार हमले हो रहे हैं और वह भी राजद के मंत्रियों की तरफ से, उस से लग रहा है कि यह नीतीश कुमार का अवसान काल है। मुझे ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार को विपक्षी एकता की मुहिम में संलिप्त कर राजद सुप्रीमो तेजस्वी की ताजपोशी की तैयारी में जुट जाएंगे।
जदयू नेता सलाम बेग का मानना है कि लालू यादव की बिहार वापसी से महागठबंधन को मजबूत धरातल मिलेगा। नीतीश कुमार केंद्र की राजनीति करेंगे और देश की राजनीति से नरेंद्र मोदी को अपदस्थ करने के बाद 2025 का विधान सभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ेंगे।