बीजेपी उपेंद्र कुशवाहा को शामिल करना चाहती है या नहीं यह सबसे बड़ा सवाल है! उपेंद्र कुशवाहा अब आगे क्या करने वाले हैं? वो कब JDU से नाता तोड़ने वाले हैं? बिहार के राजनीतिक गलियारे में तैरते इन सवालों के बीच उपेंद्र कुशवाहा अपनी अगली चाल चलने की तैयारी कर रहे हैं। 19 और 20 फरवरी को उन्होंने ‘JDU को बचाने’ के लिए अलग से बैठक बुलाई है। इस बैठक में उपेंद्र कुशवाहा को ये अंदाजा मिल जाएगा कि उनके साथ कितने लोग हैं। उसी के आधार पर वो आगे की रणनीति बनाएंगे। उनके हर कदम पर बीजेपी की भी नजर है, बीजेपी उपेंद्र कुशवाहा की हर चाल का गहराई से अध्ययन भी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी में जाने की राह में एक पेंच आ गया है। उपेंद्र कुशवाहा ने ये तय कर लिया है कि वो अपनी अलग पार्टी बनाएंगे। सिंबल भी नया होगा। इसके बाद उनकी योजना बीजेपी से गठबंधन करने की है। लेकिन यहीं एक पेंच है। हमारे एक विश्वस्त सूत्र के मुताबिक बीजेपी उपेंद्र कुशवाहा को गले तो लगा सकती है, लेकिन गठबंधन के सहयोगी के तौर पर नहीं बल्कि बीजेपी में शामिल होने की शर्त पर। आखिर ऐसा क्यों है, क्यों बीजेपी और उपेंद्र कुशवाहा की संभावित पार्टी के गठबंधन में पेंच है?
बीजेपी ने गठबंधन टूटने के बाद ही अपना फॉर्म्यूला फिक्स कर लिया था। इसी की वजह से एक सवर्ण (विजय कुमार सिन्हा) को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और लव-कुश समाज (सम्राट चौधरी) को विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष घोषित किया गया।उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी में जाने की राह में एक पेंच आ गया है। उपेंद्र कुशवाहा ने ये तय कर लिया है कि वो अपनी अलग पार्टी बनाएंगे। सिंबल भी नया होगा। इसके बाद उनकी योजना बीजेपी से गठबंधन करने की है। लेकिन यहीं एक पेंच है। हमारे एक विश्वस्त सूत्र के मुताबिक बीजेपी उपेंद्र कुशवाहा को गले तो लगा सकती है, लेकिन गठबंधन के सहयोगी के तौर पर नहीं बल्कि बीजेपी में शामिल होने की शर्त पर। यही है उपेंद्र कुशवाहा की राह का असल पेंच।उपेंद्र कुशवाहा के अभी बीजेपी में आने की बात ही कहां है। वो तो अभी अपनी पार्टी में पार्टी (JDU) की मजबूती के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। वो शुरू से लालू-राबड़ी के सुशासन के खिलाफ थे।
आज भी उपेंद्र कुशवाहा नहीं चाहते कि किसी भी सूरत में JDU में RJD का विलय हो। बात अभी उनके बीजेपी में आने की नहीं बल्कि उनकी अपनी पार्टी JDU को बचाने की लड़ाई के बारे में है।’बीजेपी चाहती है कि उपेंद्र कुशवाहा उनके साथ आएं लेकिन बीजेपी में शामिल होकर। ऐसे में बीजेपी के पास कुशवाहा के दो चेहरे होंगे और वोट भी एकमुश्त मिल सकता है। लेकिन अगर उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी में अपनी नई पार्टी बनाकर गठबंधन करते हैं तो कुशवाहा वोट दो धाराओं में बंट जाएंगे, क्योंकि बीजेपी के पास पहले से सम्राट चौधरी समेत कुछ नेताओं का चेहरा है। ऐसे में इसका नुकसान भी हो सकता है। नीतीश से गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी को ये बात कतई कबूल नहीं है कि उसके वोटर दो धाराओं में बहें।
उपेंद्र कुशवाहा के अभी बीजेपी में आने की बात ही कहां है।उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी में जाने की राह में एक पेंच आ गया है। उपेंद्र कुशवाहा ने ये तय कर लिया है कि वो अपनी अलग पार्टी बनाएंगे। सिंबल भी नया होगा। इसके बाद उनकी योजना बीजेपी से गठबंधन करने की है।उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी में जाने की राह में एक पेंच आ गया है। उपेंद्र कुशवाहा ने ये तय कर लिया है कि वो अपनी अलग पार्टी बनाएंगे। सिंबल भी नया होगा। इसके बाद उनकी योजना बीजेपी से गठबंधन करने की है। लेकिन यहीं एक पेंच है। हमारे एक विश्वस्त सूत्र के मुताबिक बीजेपी उपेंद्र कुशवाहा को गले तो लगा सकती है, लेकिन गठबंधन के सहयोगी के तौर पर नहीं बल्कि बीजेपी में शामिल होने की शर्त पर। लेकिन यहीं एक पेंच है। हमारे एक विश्वस्त सूत्र के मुताबिक बीजेपी उपेंद्र कुशवाहा को गले तो लगा सकती है, लेकिन गठबंधन के सहयोगी के तौर पर नहीं बल्कि बीजेपी में शामिल होने की शर्त पर। वो तो अभी अपनी पार्टी में पार्टी (JDU) की मजबूती के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। वो शुरू से लालू-राबड़ी के सुशासन के खिलाफ थे। आज भी उपेंद्र कुशवाहा नहीं चाहते कि किसी भी सूरत में JDU में RJD का विलय हो। बात अभी उनके बीजेपी में आने की नहीं बल्कि उनकी अपनी पार्टी JDU को बचाने की लड़ाई के बारे में है।’