क्या भारत को स्मार्ट सिटी मिशन से होगा फायदा?

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भारत को स्मार्ट सिटी मिशन से फायदा हो सकता है! 10 साल बाद एक नए प्रधानमंत्री के रूप में एनडीए ने एक साल पहले यानी 2014 में बंपर जीत के साथ वापसी की थी। लोगों को भी इस सरकार से काफी अपेक्षाएं थीं। उसपर खरा उतरने के लिए 25 जून को प्रधानमंत्री मोदी ने एक मिशन लॉन्च किया था। नाम रखा गया स्मार्ट सिटी मिशन। लोगों ने पहली बार यह नाम सुना था सो उत्सुकता भी बढ़ गई। जब यह मिशन लॉन्च हुआ तो इसका मुख्य उद्देश्य देश के 100 शहरो को स्मार्ट शहरों में बदलना था। अब इस योजना को इस साल 9 साल हो जाएंगे। आप भी जानना चाहेंगे कि यह मिशन कहां तक पहुंचा। कितने शहर अब तक स्मार्ट हो चुके वगैरह- वगैरह। केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्रालय ने बता दिया है कि इस साल मार्च तक पहले 22 शहर अपनी सभी परियोजनाओं का काम पूरा कर लेंगे। बाकी 78 शहरों का काम भी 3 से 4 महीने में पूरा हो जाएगा।

सबसे पहले हम आपको समझाते हैं कि आखिर स्मार्ट सिटी योजना है क्या। स्मार्ट सिटी मिशन मोदी सरकार की एक पहल है। इसकी मदद से शहरों में सूचना एवं डिजिटल टेक्नालॉजी, सार्वजनिक निजी भागीदारी के जरिए शहरों को बेहतर बनाना है। इस मिशन की मदद से विशेष ध्यान टिकाऊ और समावेशी विकास पर है। स्मार्ट सिटी मिशन ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए हैं जिसे स्मार्ट सिटी के भीतर और बाहर दोहराया जा सके। स्मार्ट सिटी लोगों की सबसे अहम जरूरतों एवं जीवन में सुधार करने के लिए सबसे बड़े अवसरों पर ध्यान केंद्रित करता है। इस मिशन को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून 2015 में लॉन्च किया था। इस मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की है। मिशन को सफल बनाने के लिए 7,20, 0000 करोड़ रुपये की फंडिंग दी गई है।

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 100 शहरों को शामिल किया गया है। इन शहरों को क्षेत्र विकास योजना के तहत अपग्रेड किया जाएगा। इस मिशन में देश के सभी राज्य शामिल हैं लेकिन पश्चिम बंगाल का नाम शामिल नहीं है। असल में पश्चिम बंगाल ने केंद्र और राज्य के बीच राजनीतिक मतभेद के चलते बाग नहीं लिया। वहीं 100 शहरों कि लिस्ट से महाराष्ट्र की मुंबई और नवी मुंबई ने भी नाम वापस ले लिया था।

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 100 में से पहले 22 शहर अपनी परियोजनाओं से जुड़े सभी काम पूरे कर लेंगे। शहरों को क्षेत्र विकास योजना के तहत अपग्रेड किया जाएगा। इस मिशन में देश के सभी राज्य शामिल हैं लेकिन पश्चिम बंगाल का नाम शामिल नहीं है। असल में पश्चिम बंगाल ने केंद्र और राज्य के बीच राजनीतिक मतभेद के चलते बाग नहीं लिया। वहीं 100 शहरों कि लिस्ट से महाराष्ट्र की मुंबई और नवी मुंबई ने भी नाम वापस ले लिया था।वहीं बाकी 78 शहरों का काम भी अगले 3-4 महीने में पूरा कर लिया जाएगा। इन 22 शहरों में भोपाल, इंदौर, आगरा, वाराणसी, भुवनेश्वर, चेन्नई, कोयम्बटूर, इरोड, रांची, सलेम, सूरत, उदयपुर, विशाखापत्तनम, अहमदाबाद, काकीनाडा, पुणे, वेल्लोर, पिंपरी-चिंचवड़, मदुरै, अमरावती, तिरुचिरापल्ली और तंजावुर शामिल हैं। आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय से जुड़े अधिकारी ने बताया कि हम मार्च तक 22 स्मार्ट शहरों का काम पूरा कर लेंगे। क्योंकि इन शहरों में काम अंतिम चरण में है।शहरों को क्षेत्र विकास योजना के तहत अपग्रेड किया जाएगा। इस मिशन में देश के सभी राज्य शामिल हैं लेकिन पश्चिम बंगाल का नाम शामिल नहीं है। असल में पश्चिम बंगाल ने केंद्र और राज्य के बीच राजनीतिक मतभेद के चलते बाग नहीं लिया। वहीं 100 शहरों कि लिस्ट से महाराष्ट्र की मुंबई और नवी मुंबई ने भी नाम वापस ले लिया था। अगले तीन-चार महीनों में हम शेष शहरों में परियोजना कार्य पूरा कर लेंगे। शेष शहरों कि लिस्ट में 78 शहर शामिल हैं।

स्मार्ट सिटी योजना 50:50 मॉडल पर केंद्र प्रायोजित योजना है।शहरों को क्षेत्र विकास योजना के तहत अपग्रेड किया जाएगा। इस मिशन में देश के सभी राज्य शामिल हैं लेकिन पश्चिम बंगाल का नाम शामिल नहीं है। असल में पश्चिम बंगाल ने केंद्र और राज्य के बीच राजनीतिक मतभेद के चलते बाग नहीं लिया। वहीं 100 शहरों कि लिस्ट से महाराष्ट्र की मुंबई और नवी मुंबई ने भी नाम वापस ले लिया था। केंद्र सरकार ने जो राशि जारी की है उसके तहत हर शहर को औसतन 100 करोड़ वित्तीय सहायता के रूप में दिए जाएंगे। इसमें 50 करोड़ केंद्र तो वहीं बाकी 50 करोड़ राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश योगदान के रूप में देगा। हालांकि नवंबर 2021 के आंकड़ों के अनुसार, केंद्र ने जहां 27,282 करोड़ रुपये जारी किए तो वहीं राज्यों ने केवल 20,124 करोड़ ही जारी किए।