क्या गृहमंत्री अमित शाह को है अडानी पर भरोसा?

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गृहमंत्री अमित शाह को अडानी पर भरोसा हो चुका है! केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, संसद सत्र खत्म होने के बाद अदाणी मामले पर खुलकर बोले हैं। एक साक्षात्कार के दौरान वे अदाणी के मसले पर आश्वस्त नजर आए। बीबीसी डॉक्यूमेंट्री और अदाणी मामले में विपक्ष द्वारा पीएम मोदी पर लगाए गए आरोपों को लेकर शाह ने कहा, सत्य पर ‘एक हजार साजिश’ कर लो, तो कुछ नहीं होता है, वो करोड़ों सूर्य की भांति तेजस्वी बनकर बाहर आता है। मोदी जी के खिलाफ 2002 से साजिश हो रही है, मगर हर बार वे और अधिक मजबूत होकर, सच्चे बनकर और जनता की ज्यादा लोकप्रियता हासिल कर उभरे हैं। शाह ने साफतौर पर कहा, अदाणी मामले में विपक्ष केवल शोर मचाना जानता है। अगर उनके पास गड़बड़ी के सबूत हैं तो उन्हें कोर्ट जाना चाहिए। दूसरी ओर, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शाह के इस बयान पर कहा, ‘भाजपा को छिपाने या डरने की जरूरत नहीं’ तो उसके नेता अब जेपीसी की मांग से क्यों भाग रहे हैं।

अदाणी मामले को लेकर संसद सत्र के दौरान खूब हंगामा मचा था। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल, इस मामले की जांच के लिए जेपीसी के गठन की मांग कर रहे थे। अब संसद सत्र खत्म होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। अदाणी को लेकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जो कुछ भी सामने आया, उस पर शाह ने कहा, इस मामले में कुछ भी छिपाने जैसा या डरने जैसा नहीं है। इस मामले से जुड़े एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। कैबिनेट का सदस्य होने के नाते मेरे लिए इस वक्त कुछ भी बोलना ठीक नहीं होगा। कोर्ट हमारे कब्जे में नहीं हैं, विपक्षी दल कोर्ट क्यों नहीं जाते। पेगासस जासूसी मामले में शाह ने कहा, पेगासस का मुद्दा जब उठाया गया था, तो भी मैंने कहा था कि कोर्ट में सबूतों के साथ जाओ। वे केवल शोर मचाना जानते हैं। पेगासस मामले में लोग अदालत में भी गए थे। अदालत ने संज्ञान लिया और अपना निर्णय भी दिया। वहां जांच भी हुई थी। लोकसभा चुनाव से पहले राफेल मामले में खूब बवाल मचा था। वह मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जहां से केंद्र सरकार को क्लीन चिट मिल गई थी।

अमित शाह के बयान के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, अदाणी मामले में भाजपा को कुछ छिपाने या डरने की जरूरत नहीं है, तो उसके नेता जेपीसी की मांग से क्यों भाग रहे हैं। यहां तक कि लोकसभा और राज्यसभा में इस मुद्दे का जिक्र तक नहीं करने दिया गया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में यह मामला उठाया, तो उन्हें चुप कराने का प्रयास हुआ। आखिर भाजपा को जेपीएस से इतना डर क्यों लग रहा है। इस पार्टी को जेपीसी से क्या परेशानी है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच कराने के लिए सरकार तैयार हो जाती है, लेकिन अदाणी पर चर्चा करने को भी तैयार नहीं। अदाणी और पीएम मोदी के बीच क्या रिश्ता है, यह जांच होनी चाहिए। एक दशक में सरकार ने अदाणी को क्या फायदा पहुंचाया है। इन सभी बातों की जांच होनी चाहिए।

जयराम रमेश ने कहा कि हमें धमकी दी जा रही है कि जो कुछ आप सदन के अंदर बोलेंगे, उसको हम एक्सपंज करेंगे। हमें बोलने ही नहीं दिया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष को नहीं बोलने दिया जा रहा है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में यह मामला उठाया, तो उन्हें चुप कराने का प्रयास हुआ। आखिर भाजपा को जेपीएस से इतना डर क्यों लग रहा है। इस पार्टी को जेपीसी से क्या परेशानी है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच कराने के लिए सरकार तैयार हो जाती है, लेकिन अदाणी पर चर्चा करने को भी तैयार नहीं। अदाणी और पीएम मोदी के बीच क्या रिश्ता है, यह जांच होनी चाहिए। एक दशक में सरकार ने अदाणी को क्या फायदा पहुंचाया है। इन सभी बातों की जांच होनी चाहिए।ऐसी धमकियां आ रही हैं कि अगर आप माफी नहीं मांगोगे, तो आप लोकसभा से सस्पेंड हो जाओगे। आखिर ये सांसद हैं कौन, जो धमकी दे रहे हैं। बतौर जयराम, धमकी देने वाले सांसद जिनके लोकसभा क्षेत्र में अदाणी का एक पावर प्लांट है। आप जानते हैं कि मैं झारखंड के एक सांसद का ज़िक्र कर रहा हूं। 13 मार्च के बाद क्या होगा, इस पर रमेश ने कहा, हम अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे। 1992 में हर्षद मेहता के मामले में जब जेपीसी की मांग उठी, तो सरकार ने उस मांग को स्वीकार कर लिया था। इसके बाद 2001 में केतन पारेख के मामले में भी जेपीसी का गठन हुआ। ऐसा तो नहीं है कि पहले जेपीसी का गठन ही नहीं हुआ है। ऐसे घोटाले के संबंध में तो हम जेपीसी की मांग को बरकरार रखेंगे।