बॉलीवुड अब अपनी फ़िल्में रिलीज नहीं करना चाहता है! शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ सुपरहिट हुई, तो माना जा रहा था कि अब बॉलिवुड के अच्छे दिन लौट आए हैं। लेकिन कार्तिक आर्यन की ‘शहजादा’ के फ्लॉप होने से बॉलिवुडवालों की चिंता बढ़ गई है। यही वजह है कि इस साल के लिए अभी तक चुनिंदा बड़ी फिल्मों की रिलीज डेट ही घोषित हुई है। जबकि ज्यादातर महीनों का रिलीज कैलेंडर खाली पड़ा है। बीते साल बॉलिवुड फिल्में असफलता के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर चुकी हैं। इस साल रिपब्लिक डे वीकेंड पर रिलीज हुई शाहरुख खान की फिल्म पठान की बंपर सफलता के बाद कहा जा रहा था कि अब आगे भी बॉलिवुड फिल्में जोरदार प्रदर्शन करेंगी। लेकिन हाल ही में रिलीज हुई कार्तिक आर्यन की ‘शहजादा’ के बॉक्स ऑफिस पर नहीं चल पाने के बाद फिल्मी दुनिया के जानकार बॉलिवुड की वापसी के जश्न पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं फिल्म इंडस्ट्रीवाले भी अपनी फिल्मों की रिलीज डेट घोषित करने से हिचक रहे हैं। कोरोना से पहले जहां फिल्म निर्माता दो-दो सालों की एडवांस रिलीज डेट घोषित कर देते थे। लेकिन फिलहाल हिंदी फिल्म निर्माताओं ने इस साल के लिए चुनिंदा रिलीज डेट्स पर ही फिल्में घोषित की हैं। साल 2023 के रिलीज कैलेंडर पर नजर डालें, तो अप्रैल, मई, जुलाई, सिंतबर, अक्टूबर और नवंबर के महीनों के चारों वीकेंड में से महज एक-दो पर ही फिल्में घोषित हुई हैं। बाकी रिलीज डेट खाली पड़ी हैं। इस बारे में बात करने पर प्रोड्यूसर और फिल्म बिजनेस एनालिस्ट गिरीश जौहर कहते हैं, ‘अभी बिजनेस शुरू हो रहा है, तो धीरे-धीरे फिल्में आएंगी। तू झूठी मैं मक्कार, टाइगर 3, जवान और डंकी जैसी फिल्मों की रिलीज डेट घोषित है। साथ ही हॉलिवुड और साउथ की फिल्में भी आएंगी।’
माना जा रहा है कि बीते साल इतनी सारी फिल्मों के फ्लॉप होने के बाद फिल्म इंडस्ट्रीवालों में घबराहट का माहौल है। इसलिए वे फिलहाल वेट एंड वॉच के मोड में हैं। इस बारे में बात करने पर जाने-माने प्रोड्यूसर आनंद पंडित कहते हैं, ‘मुझे नहीं लगता कि इंडस्ट्री में किसी तरह का भय या घबराहट है। हालांकि यह सच है कि फिलहाल सब नए माहौल में ढलने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि कुछ पैच वर्क करके अपनी पहले शूट की गई फिल्म को आज के हिसाब से बदल दें। मेरे ख्याल से कुछ फिल्मों का कुछ हिस्सा दोबारा शूट हो रहा है। वहीं कुछ लोग वास्तव में डरे हुए हैं और सोच रहे हैं कि दूसरे लोग अपनी फिल्म की रिलीज डेट की घोषणा करें, तो मैं भी रिलीज की घोषणा कर दूं।’ ऐसे मुश्किल समय में इंडस्ट्रीवालों को क्या रणनीति अपनानी चाहिए? इसके जवाब में आनंद कहते हैं, ‘अगर आपने फिल्म को सोचकर बनाया है कि आपकी फिल्म ओटीटी के लिए है या ये थिएटर के लिए है, तो सही है। लेकिन अगर आपने दोनों का मिक्स करके बनाया है कि थिएटर पर भी चल जाए और ओटीटी पर भी हिट रहे, तो ऐसा नहीं हो पाएगा। आजकल ओटीटी की फिल्म, कॉन्टेंट, दर्शक, बजट, स्टार्स और उसकी स्टोरी लाइन अलग है। दूसरी तरफ थिएटर की फिल्म बड़े कलाकारों के साथ बड़े बजट में, पॉपुलर स्क्रिप्ट के साथ चलेगी।’
वहीं फिल्मी दुनिया के जानकारों का यह भी मानना है कि कोरोना के बाद बॉलिवुडवालों की चुनौतियां बढ़ गई हैं। कोरोना से पहले हॉलिवुड की फिल्मों ने बॉलिवुड को चुनौती देना शुरू कर दिया था, लेकिन अब उन्हें साउथ से भी तगड़ी चुनौती मिल रही है। इस साल हॉलिवुड के अलावा साउथ की भी कई फिल्में रिलीज के लिए तैयार हैं। इसलिए फिलहाल बॉलिवुडवाले वेट एंड वॉच मोड में हैं। गिरीश कहते हैं, ‘साउथ सिनेमा की इस साल सालार, आदिपुरुष, पीएस 2 और इंडियन 2 जैसी बड़ी फिल्में रिलीज होंगी। इस बीच कोई कांतारा या कार्तिकेय 2 जैसी कोई फिल्म भी निकल ही आएगी। इसलिए अब बॉलिवुडवालों की चुनौतियां बढ़ गई हैं।’
वहीं फिल्म डायरेक्टर हंसल मेहता से जब हमने पूछा कि हॉलिवुड तो पहले से ही बॉलिवुड के लिए चुनौती था, लेकिन अब इसमें साउथ फिल्म इंडस्ट्री भी जुड़ गई है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘फिल्म तो फिल्म ही होती है, उसकी कोई भाषा नहीं होती। बॉलिवुड, साउथ सिनेमा ये नाम लोगों ने दिए हैं। सिनेमा तो सिनेमा ही होता है। साउथ में भी बहुत सारी भाषाएं हैं। वहां की सारी फिल्मों को साउथ सिनेमा कहना सही नहीं है। हमारी देश में 22 आधिकारिक भाषाएं हैं, उन सब में फिल्में बनती हैं। उन्हें नॉर्थ साउथ में नहीं बांटना चाहिए। वहीं बार-बार यह भी कहा जा रहा है कि साउथ की फिल्में बहुत चलीं। जबकि सच्चाई यह है कि साउथ की सारी भाषाओं की मिलाकर कुछ ही फिल्में हिंदी में अच्छी चली हैं।’