जानिए दिल्ली के दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्र के कत्ल की कहानी!

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आज हम आपको दिल्ली के दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्र के कत्ल की कहानी सुनाने जा रहे हैं! साल 2011 रात 9 बजकर 50 मिनट का वक्त। वसंत कुंज के C5 के गेट नंबर 3 में एक लड़का खून से लथपथ पहुंचता है। उसकी हालत इतनी खराब होती है कि वो मुश्किल से गेट तक पहुंच पाता है और फिर कार के बैरियर पर गिर जाता है। गार्ड दौड़ा-दौड़ा उसके पास आता है। तभी लड़के की जेब में रखा मोबाइल बजता है। गार्ड फोन उठाता है। सामने से एक लड़की होती है। ये लड़का था शोभित मोदी। डीपीएस आर के पुरम से बारहवीं पास करने के बाद शोभित ने मानव रचना यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था और वही से पढ़ाई कर रहा था। खैर घायल हालत में गेट पर पहुंचे शोभित को अस्पताल ले जाया जाता है। शोभित के परिवारवाले भी अस्पताल में पहुंच जाते हैं, लेकिन उसकी जान नहीं बच पाती। शोभित के पूरे शरीर में गहरे घाव के निशान होते हैं। उसके छाती, पेट और गले में चार वार किए गए थे। उसके अलावा उसकी शर्ट फटी हुई थी। चेहरे पर मारपीट के निशान थे। शोभित की 9 बजकर 10 मिनट पर अपने परिवार से बात हुई थी। उस वक्त वो डीएलएफ मॉल में था। वहां से उसे पैदल अपने घर आने में मुश्किल से 30 मिनट का वक्त लगता। यानी कत्ल बेहद कम अंतराल में यानी 9 बजकर 10 मिनट के बाद ही हुआ, जबकि 9 बजकर 50 मिनट पर वो गार्ड के सामने गेट पर था।

मामला हाइप्रोफाइल था पुलिस की टीम तुरंत जांच में जुट गई। तमाम पहलुओं पर छानबीन की गई। पुलिस के लिए ये केस सिरदर्द बन चुका था। हर एंगल से जांच की जा रही थी। परिवार ने जिन-जिन पर शक जताया सबसे पूछताछ की गई। आसपास के सभी अपराधियों से भी पूछताछ हुई। उस वक्त एक जांच ऑफिसर के मुताबिक इस मामले में छानबीन में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। परिवारवालों ने एक लड़की पर आरोप लगाए, जो शोभित की फ्रेंड थी। पुलिस ने इस एंगल से भी केस को खंगाला, लड़की से पूछताछ हुई, लेकिन उसका शोभित के कत्ल से कोई संबंध नहीं मिला। यहां तक उस लड़की को लेकर शोभित की कुछ और दोस्तों से बहस हुई थी उनसे भी पूछताछ हुई, लेकिन कुछ भी पता नहीं लग पाया।

पुलिस किसी भी कीमत पर इस केस को सॉल्व करना चाहती थी। पास ही एक पार्क था जिसे क्रिमिनल्स का अड्डा माना जाता था। उस पार्क में नशेड़ी और क्रिमिनल्स हमेशा मौजूद रहते थे। पुलिस ने इस एंगल से भी जांच की। पुलिस को कत्ल का हथियार तो नहीं मिला था, शोभित के शरीर में लगे घावों को देखकर ये लग रहा था कि शायद कत्ल बटन वाले चाकू से किया गया है और इसलिए पुलिस स्ट्रीट क्रिमिनल्स की भी जांच कर रही थी। हालांकि शोभित का मोबाइल, उसका पर्स और दूसरा सामान उसके पास ही था।

पुलिस के पास अब एक और एंगल बचा था जांच का और वो था मिस्टेकन आईडेंटिटी यानी कहीं कातिल ने कोई और समझकर शोभित को तो नहीं मार दिया। एरिया सर्विलांस की मदद से घटना के वक्त के तमाम फोन कॉल्स को जांचा गया। करीब 1000 फोन नंबर की जांच हुई। पुलिस को कत्ल का हथियार तो नहीं मिला था, शोभित के शरीर में लगे घावों को देखकर ये लग रहा था कि शायद कत्ल बटन वाले चाकू से किया गया है और इसलिए पुलिस स्ट्रीट क्रिमिनल्स की भी जांच कर रही थी। हालांकि शोभित का मोबाइल, उसका पर्स और दूसरा सामान उसके पास ही था।इसके अलवा आसपास मौजूद 75 सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी खंगाली गई, लेकिन कातिल का कोई सुराग नहीं मिला। पुलिस परेशान हो चुकी थी। आखिरकार कातिल का पता बताने वाले को 1 लाख के ईनाम की भी घोषणा की गई।

इस बीच शोभित के पिता ने हाइकोर्ट में केस दाखिल किया और मामले में सीबीआई जांच की मांग की। 5 नवंबर 2011 को केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया।पुलिस को कत्ल का हथियार तो नहीं मिला था, शोभित के शरीर में लगे घावों को देखकर ये लग रहा था कि शायद कत्ल बटन वाले चाकू से किया गया है और इसलिए पुलिस स्ट्रीट क्रिमिनल्स की भी जांच कर रही थी। हालांकि शोभित का मोबाइल, उसका पर्स और दूसरा सामान उसके पास ही था। सीबीआई ने अपने तरीके से जांच की, लेकिन कुछ भी पता नहीं चल पाया। आखिरकार साल 2018 में सीबीआई ने कोर्ट में केस की क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। 12 साल पहले हुई शोभित की हत्या पहेली बनकर रह गई। हालांकि शोभित के परिवारवालों को अब तक क्लोजर रिपोर्ट नहीं मिली है और उन्हें आज भी उम्मीद है कि उनके बेटे का हत्यारा जरूर पकड़ा जाएगा।