आज हम आपको रानी रूपमती की कहानी सुनाने जा रहे हैं! तवायफ’ शब्द सुनकर अक्सर लोग गलतफहमी में आ जाते हैं। एक तवायफ का जिस्मफरोशी से कोई लेना-देना नहीं। तवायफ तो अपने नाच-गाने के हुनर और अदाओं से शोहरत पाती है। मुगलों के दौर की कई तवायफों ने खूब शोहरत बटोरी लेकिन रानी रूपमती जैसा यशगान किसी और का नहीं होता। हो भी क्यों न! रूपमती का सौंदर्य ‘चांद को भी धता बताता था।’ उसकी खूबसूरती ‘वसंत की किसी सुबह’ जैसी थी। रूपमती की नृत्य और गायन की प्रतिभा ने बस एक झलक में ही मालवा के शासक, बाज बहादुर को मंत्रमुग्ध कर दिया। वह रूपमती पर जान न्योछावर करने को तैयार था। प्रेम में डूबे बाज बहादुर को देख रूपमती उसकी हो गई। बाज बहादुर उसे अपने महल में ले आया। रानी बनाया। मगर रूपमती की खूबसूरती और उसकी शोहरत मुगल बादशाह अकबर के कानों तक भी पहुंचती थी। अकबर रूपमती को अपने हरम में रखना चाहता था। उसने मालवा पर हमला बोल दिया। बाज बहादुर की सेना मुगलों के आगे भला कहां ठहरती। उसे बंदी बना लिया गया। रानी रूपमती ने अपना प्रेम और आत्मसम्मान छीने जाने से मर जाना बेहतर समझा। उसने जहर खा लिया।
रानी रूपमती और बाज बहादुर की प्रेमगाथा मालवा में सदियों बाद भी खूब सुनी-सुनाई जाती है। रानी रूपमती का जीवन एक तवायफ के राजमहल पहुंचने और फिर प्रेम के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की कहानी है। मुगल बादशाह अकबर के दौर में सहारनपुर की रूपमती के चर्चे दूर-दूर तक होते थे। रूपमती के नृत्य के दीवानों की संख्या बढ़ती जा रही थी। बाज बहादुर उसे अपने महल में ले आया। रानी बनाया। मगर रूपमती की खूबसूरती और उसकी शोहरत मुगल बादशाह अकबर के कानों तक भी पहुंचती थी। अकबर रूपमती को अपने हरम में रखना चाहता था। उसने मालवा पर हमला बोल दिया। बाज बहादुर की सेना मुगलों के आगे भला कहां ठहरती। उसे बंदी बना लिया गया।उत्तर भारत में रूपमती जैसा सौंदर्य किसी दूसरी नारी का न था।
उज्जैन के एक कार्यक्रम में रूपमती की प्रस्तुति देख मालवा नरेश बाज बहादुर मोहित हो गए। दोनों के प्रेम के किस्से फिजाओं में तैरने लगे। बात अकबर तक पहुंची। प्रेमगाथा मालवा में सदियों बाद भी खूब सुनी-सुनाई जाती है। रानी रूपमती का जीवन एक तवायफ के राजमहल पहुंचने और फिर प्रेम के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की कहानी है। मुगल बादशाह अकबर के दौर में सहारनपुर की रूपमती के चर्चे दूर-दूर तक होते थे। रूपमती के नृत्य के दीवानों की संख्या बढ़ती जा रही थी। उत्तर भारत में रूपमती जैसा सौंदर्य किसी दूसरी नारी का न था।अकबर भी रूपमती पर मरता था। वह किसी भी कीमत पर रूपमती को हासिल कर लेना चाहता था। बाज बहादुर को संदेश भिजवाया गया कि रूपमती को अकबर के हरम में भिजवा दे। उसने अपनी रानी को सौंपने से इनकार कर दिया। आगबबूला अकबर ने अपनी सेना को मालवा की तरफ कूच करने का फरमान सुनाया। रूपमती और बाज बहादुर मिलकर लड़े लेकिन मुगलों की सेना के आगे वह कितने दिन टिकते। मालवा पर मुगलों का कब्जा हो गया और बाज बहादुर भाग गया। रूपमती ने पकड़े जाने से कहीं बेहतर मर जाना समझा। उसने जहर पीकर जान दे दी।
पूर्व IFS अधिकारी प्राण नेविल ने अपनी किताब ‘नाच गर्ल्स ऑफ द राज’ में रानी रूपमती के बारे में विस्तार से लिखा है।प्रेमगाथा मालवा में सदियों बाद भी खूब सुनी-सुनाई जाती है। रानी रूपमती का जीवन एक तवायफ के राजमहल पहुंचने और फिर प्रेम के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की कहानी है। मुगल बादशाह अकबर के दौर में सहारनपुर की रूपमती के चर्चे दूर-दूर तक होते थे।
रूपमती के नृत्य के दीवानों की संख्या बढ़ती जा रही थी। उत्तर भारत में रूपमती जैसा सौंदर्य किसी दूसरी नारी का न था।प्रेमगाथा मालवा में सदियों बाद भी खूब सुनी-सुनाई जाती है। रानी रूपमती का जीवन एक तवायफ के राजमहल पहुंचने और फिर प्रेम के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की कहानी है। मुगल बादशाह अकबर के दौर में सहारनपुर की रूपमती के चर्चे दूर-दूर तक होते थे। रूपमती के नृत्य के दीवानों की संख्या बढ़ती जा रही थी। उत्तर भारत में रूपमती जैसा सौंदर्य किसी दूसरी नारी का न था। वह लिखते हैं कि 18वीं सदी तक भारत में तवायफें तहजीब का प्रतीक थीं। नेविल अपनी किताब में कहते हैं कि भारत में पश्चिमी शिक्षा ने जोर पकड़ा तो नाचने वाली लड़कियों, महिलाओं को बुरी नजर से दखा जाने लगा। तवायफों के कद्रदान कतराने लगे। रोजी-रोटी के लिए तवायफों को जिस्मफरोशी पर मजबूर होना पड़ा।