अब 15000 से सस्ता लैपटॉप मिल सकता है! आपने कभी देखा है, 15 हजार रुपये का लैपटॉप? जो एंड्रॉयड की तरह काम करे और फायदा लैपटॉप का दे! प्रीमियर इंस्टीच्यूट IIT दिल्ली से पढ़कर निकले दो छात्रों ने ऐसा ही कमाल किया है। इन्होंने प्राइमबुक नाम से डिवाइस निकाली है। ताकि, हर स्टूडेंट को पढ़ाई के लिए लैपटॉप मिल सके। क्या है यह कंपनी और यह आइडिया? उनकी जर्नी शुरू होती है 2015 में। जब वह और उनके को-फाउंडर अमन वर्मा, IIT दिल्ली के फाइनल ईयर में थे। वे लोग NSS से जुड़े थे और बच्चों को पढ़ाने जाते थे। कई बार वह लैपटॉप लेकर भी जाते थे। उन्हें लगा कि लैपटॉप बच्चों की लाइफ में क्या कुछ कमाल कर सकता है। लैपटॉप जो कर सकता है, वह न स्मार्टफोन और न टैबलेट कर सकती है। बच्चों को एजुकेशन में सिर्फ कंटेंट कंज्यूम नहीं करना है, क्रिएट भी करना है। कंज्मप्शन के लिए टैबलेट काफी है, विडियो देखते रहो, लेकिन जब बात कंटेंट क्रिएट करने में असाइनमेंट करना, नोट्स बनाना, गूगल सर्च करना, होमवर्क, प्रोजेक्ट प्रजेंटेशन, इस तरह के काम के लिए लैपटॉप जरूरी डिवाइस है। वह बताते हैं “साल 2015 में हमारे अंदर ये बात घर कर गई कि डिजिटल एजुकेशन के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम करना है। फिर हम अपने जॉब पर चले गए। अमन पेटीएम में, मैंने एक एजुकेशन स्टार्टअप जॉइन किया जिसे आईआईटी दिल्ली के ही लोगों ने शुरू किया था। दो ढाई साल काम करने के बाद हमने रिग्रुप किया, डिवाइस बनाने का सोचा, बच्चों के लिए। इस बिजनेस में आते ही पता चला कि ऐप इकोसिस्टम है जो भी हैं एप्स, कंटेंट आदि, ये सब एंड्रॉयड फर्स्ट हैं। हमने बेस्ट ऑफ बोथ वर्ल्ड्स बनाने का सोचा, लैपटॉप की प्रॉडक्टिविटी और एंड्रॉयड एप्स का इकोसिस्टम। यहां से शुरूआत हुई प्राइम ऑपरेटिंग सिस्टम की, जो लैपटॉप पर चले और एंड्रॉयड का फायदा दे। दो ही लोग थे टीम में। प्राइम ओएस का डेवपलपमेंट किया।”
हमारे पहले एंप्लॉई जो बने उमंग लेखा। वह अब हमारे CTO हैं। एक साल में हमने PrimeOS का वर्जन वन बना लिया था जो फ्री वर्जन है, ये टेस्ट करने के लिए कि लोगों को कैसा लगता है। मार्च 2019 में हमने इसे रिलीज किया, जिसे कोई भी ट्राई कर सकता है। रिलीज होते ही इसे जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला, बिना किसी मार्केटिंग के, महीने भर में एक लाख डाउनलोड हो गए। यूट्यब और ब्लॉग्स में हमारे बारे में बात होने लगी। फिर शुरुआत हुई प्राइम बुक की, हमने सप्लाई चेन बनानी शुरू की। लेकिन तभी कोविड आ गया नवंबर-दिसंबर से, और सप्लाई चेन पूरी तरह खराब हो गई और हम अपनी प्राइम बुक नहीं ला पाए। मार्च 2020 तक कंपनी की हालत खराब हो गई। कोविड बहुत बुरा वक्त था हमारे लिए निजी तौर पर भी। लेकिन हम डटे रहे। मोबाइल डिवाइस मैनेजमेंट MDM नाम से हमने एक टेक्नॉलजी बनाई। जिसमें एडमिन या पैरेंट रिमोट से डिवाइस मैनेज कर सकता है। हमने ये टेक टैबलेट कंपनियों को बेची। एक डेढ़ साल बाद सप्लाई चेन खुलने पर सितंबर 2021 में हमने फिर रिग्रुप किया। सप्लाई चेन स्टेबल की और अक्टूबर नवंबर 2022 तक हमने प्राइमबुक लाइट को लॉन्च किया। इसे बाजार में जोरदार रिस्पॉन्स मिला। इसे हमने एडटेक कंपनियों, स्कूलों, एनजीओ आदि को बेचा। जनवरी में शार्क टैंक में आने के बाद हमे नाम मिला, मार्केटिंग हो गई।”
फिलहाल इसके दो मॉडल हैं। प्राइम बुक लाइट, रॉकचिप प्रोसेसर पर, वाई फाई पर, बी2बी और प्राइमबुक 4जी, सिम पर भी चलता है। इसे हम 10 मार्च को लॉन्च कर रहे हैं। 11.6 इंच स्क्रीन है, एचडी आईपीएस पैनल है, रबर कोटेड बॉडी है, 2 यूएसबी 3.0 पोर्ट, मिनी एचडीएमआई पोर्ट और 2 एमपी कैमरा है। फुल साइज की बोर्ड दिया गया है। सिम कार्ड से कॉलिंग भी कर सकते हैं।
वे बताते हैं कि करीब 23 करोड़ बच्चों ने आजतक कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं किया। उन्हें क्रोमबुक से कंपीटिशन का डर नहीं है क्योंकि उनका एंड्रॉयड बेस्ड ओएस है। भारतीय ऐप इकोसिस्टम पर पर उनका फोकस है। प्राइमबुक का खुद का ऐप स्टोर है। इसमें 50 हजार से ज्यादा ऐप्स हैं। उनका कहना है “हमने देसी, मेड इन इंडिया सॉल्यूशन दिया है। हम स्टूडेंट ओनली हैं। बच्चों को पढ़ाई से जुड़ें एप्स ही देना चाहते हैं। लैपटॉप फॉर लर्निंग के तौर पर इसे पेश करेंगे। प्रीलोडेड कंटेंट दे रहे हैं हम। क्लास 1 से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई का कंटेंट देंगे। पर्सनलाइज एजुकेशन पार्टनर भी देंगे। नोएडा में हमारी फैक्ट्री है। हम 50 हजार डिवाइस हर महीने बना सकते हैं।”