कर्नाटक सरकार में हिजाब को लेकर विवाद की शुरुआत जनवरी 2022 के दौरान हुई थी। उस वक्त उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में छह छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज पहुंच गई थीं। कुछ दिन पहले ही कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मना किया था। इसके बावजूद छात्राएं हिजाब पहनकर पहुंचीं। उन्हें रोका गया तो दूसरे कॉलेजों में भी विवाद होने लगा कर्नाटक सरकार ने राज्य में कर्नाटक एजुकेशन एक्ट-1983 की धारा 133 लागू कर दी है। इसके तहत सभी स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म अनिवार्य कर दी गई है। ऐसे में सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में तय यूनिफॉर्म ही पहननी होगी। वहीं, प्राइवेट स्कूल भी अपनी यूनिफॉर्म चुन सकते हैं
कर्नाटक के स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पहनने की मांग को लेकर शुरू हुआ विवाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। दरअसल, इस मामले में गुरुवार कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अंतिम फैसला आने तक स्कूल और कॉलेजों में धार्मिक कपड़े पहनने का अंतरिम आदेश दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है कर्नाटक हाईकोर्ट के अतंरिम आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हाईकोर्ट के जिस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई है. उस फैसले में कहा गया है कि जब तक यह विवाद सुलझ नहीं जाता तब तक छात्राओं को शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब और ऐसी कोई धार्मिक पोशाक पहनने की इजाजत नहीं होगी, जिसके कारण यह विवाद तूल पकड़ ले.मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति जे एम काजी और न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि वह चाहती है कि इस मामले को जल्द से जल्द सुलझा लिया जाए. लेकिन तब तक शांति और सद्भावना बनाए रखें जब तक कोई फैसला नहीं आ जाता. हाईकोर्ट ने कहा, ‘इस विवाद के निपटारे तक छात्रों-छात्राओं को धार्मिक कपड़ों या चीजों को पहनने की जिद नहीं करनी चाहिए.सरकार के इस आदेश पर विवाद होने लगा, जिसके बाद कुछ छात्राओं ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर कीं। इस याचिका को एकल पीठ ने चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली बड़ी बेंच को भेज दिया, जिस पर गुरुवार को भी सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने स्कूल-कॉलेज खोलने का अंतरिम आदेश जारी किया। साथ ही, आखिर फैसला आने तक धार्मिक कपड़े पहनने पर रोक लगा दी