Friday, November 22, 2024
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राहुल गांधी की सजा के बाद बिहार के नेताओं में क्यों मची खलबली?

राहुल गांधी की सजा के बाद बिहार के नेताओं में खलबली मच चुकी है! राहुल गांधी को हुई दो साल की सजा के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द हो गयी है। इसके बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि उटपटांग बोलने वाले नेताओं की जुबान पर क्या अब लगाम लग जाएगी। यह सवाल इसलिए उठता है कि आजकल एक दूसरे के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणियों-संबोधनों का फैशन चल पड़ा है। जिसके मन में जो आ रहा है, वह बोले जा रहा है। न किसी को राष्ट्र के खिलाफ बोलने में शर्म आती है और न सेना पर सवाल उठाने में। हिन्दू धर्मग्रंथ और देवी-देवताओं के बारे में उटपटांग बातें करना तो ऐसे तथाकथित सेक्युलर नेताओं के लिए आम बात है। पुलवामा कांड के बाद भारतीय सेना ने जब पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की, तब भी राहुल गांधी बेढंगा बोलने से खुद को रोक नहीं पाए थे। उन्होंने तो सर्जिकल स्ट्राइक की सच्चाई पर ही सवाल उठा दिया था। बाद में यही काम कांग्रेस के कद्दावर नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने किया। उन्होंने भी राहुल की तरह ही सवाल दोहरा दिया था। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल तो आरंभ में ही सर्जिकल स्ट्राइक का ब्यौरा सरकार से मांग चुके थे। तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने भी सितंबर 2019 में सर्जिकल स्ट्राइक पर सेना और सरकार से सबूत की मांग कर दी थी। उनका कहना था कि सर्जिकल स्ट्राइक पर बीजेपी झूठा प्रचार करती है। भारत सरकार सबूत दिखाए। भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का झूठा प्रचार करती रही है।

बीजेपी के विरोध के बहाने सेना के बारे में भद्दी टिप्पणी विपक्षी दलों के नेता अक्सर करते रहते हैं। कुछ ही दिनों पहले बिहार के एक मंत्री सुरेंद्र यादव ने बीजेपी को लपेटने के लिए कहा था कि चुनाव के वक्त वह स्वयं सेना पर हमले कराती है। राहुल गांधी तो अक्सर उल्टी बयानबाजी करते ही रहे हैं। उन्होंने एक बार कहा था कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व एक नहीं हैं। भाजपा और आरएसएस नफरत फैलाते हैं। बंगाल के एक नेता हन्नान मोल्ला ने कहा था कि तालिबान (Taliban) जैसा काम ही आरएसएस (RSS) भारत में करता है। बिहार में सत्ताधारी दल के नेता तो कभी सवर्णों को अंग्रेजों का दलाल कहते हैं तो कभी बीजेपी पर आरोप मढ़ते हैं कि चुनाव के वक्त बीजेपी सेना पर हमले कराती है।

हिन्दू धर्म, हिन्दुओं के देवी-देवता, उनके धर्मग्रंथ ऐसे नेताओं के निशाने पर अक्सर आते रहते हैं। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर रामचरित मानस को नफरती ग्रंथ कहते हैं तो पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी इसे काल्पनिक ग्रंथ ठहराने में लगातार अपनी ऊर्जा का अपव्यय करते रहते हैं। यूपी में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरित मानस का न सिर्फ विरोध करते हैं, बल्कि उन्होंने इसकी प्रतियां जलाने का अभियान ही छेड़ रखा है। पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ बिना उनका नाम लिये बिहार के एक और मंत्री सुरेंद्र प्रसाद यादव ने हाल ही कहा था कि गुजरात के लोग सेना में भर्ती नहीं होते। राहुल गांधी की तर्ज पर ही उन्होंने कहा था कि चाय बेचने वाला अब देश को बेचने वाला है। सुरेंद्र यादव का पूरा बयान इस प्रकार था- ‘गुजराती नहीं चाहते हैं कि हम सेना में भर्ती हों और देश को रक्षा-सुरक्षा दें। चाय बेचने वाला इंसान देश को बेचने चला है। प्लेटफॉर्म बेच दिया है। प्लेटफॉर्म टिकट के लिए 50 रुपए लगता है। चाय बेचने वाले लोग हैं। ये देश को क्या सुरक्षा देंगे।

कांग्रेस के कद्दावर नेता सलमान खुर्शीद के बोल तो एक बार ऐसे निकले कि उन्होंने हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोकोहराम से कर दी थी। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है- ‘हिन्दुत्व का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए चुनाव प्रचार के दौरान किया जाता है। आरएसएस के हिन्दुत्व की अवधारणा ISIS और बोको हरम जैसे कट्टर मुस्लिम संगठनों जैसी है। कांग्रेस के ही एक और बड़े नेता राशिद अल्वी ने कहा था- जयश्री राम का नारा लगाने वाले लोग निशाचर होते हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रह चुके मार्कंडेय काटजू ने एक बार कहा था- महात्मा गांधी अंग्रेजों के एजेंट थे। उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा था कि महात्मा गांधी ने अंग्रेजों का एजेंट बन कर भारत को नुकसान पहुंचाया। बीजेपी से ताल्लुक रखने वाली कंगना रनौत ने तो यह कह कर विवाद ही खड़ा कर दिया था कि 1947 में भारत की आजादी की बात गलत है। असली आजादी तो 2014 में मिली। उन्होंने कहा था कि 1947 में मिली आजादी तो भीख थी।

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