आज हम आपको मुख्तार अंसारी के खास आदमी मुन्ना बजरंगी की कहानी सुनाने जा रहे हैं! उत्तर प्रदेश में माफियाओं पर पिछले कुछ सालों में बड़ी कार्रवाई हुई हैं। अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी की करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति के खिलाफ सरकार ने मोर्चा खोल दिया है। सालों तक उत्तर प्रदेश माफिया राज चलता रहा। अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी की ताकत बढ़ती रही। अपने गुर्गों के दम और सियासी संरक्षण के चलते यूपी के माफिया करोड़ों की संपत्ति के मालिक बन गए। न सिर्फ ये माफिया बल्कि इनके गुर्गे भी कोई कम ताकतवर नहीं थे। साल 2002 में कृष्णानंद राय हत्या मामले में मुख्तार अंसारी पर 15 अप्रैल को गाजिपुर की अदालत में फैसला आना है। आज बात इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले उस शार्प शूटर की जिसने अपने काले कारनामों से पूरे देशभर में 250 करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा कर लिया था। जो कभी मुख्तार अंसारी का राइट हैंड हुआ करता था। सियासी हत्याओं को अंजाम देने के लिए मुख्तार अंसारी जिसका इस्तेमाल करता था वो था मुन्ना बजरंगी!
मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। उत्तर प्रदेश के जौनपुर का रहने वाला प्रेम प्रकाश बेहद छोटी उम्र से ही गैंगस्टर बनने के सपने देखता था। उसे बचपन से ही हथियारों को खरीदने का शौक था। सिर्फ 14 साल की उम्र में उसने 250 रुपये से एक देसी तमंचा खरीद लिया। बस ये तो शुरूआत थी, इसके बाद इसने गुंडागर्दी में वो नाम बनाया कि उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी खासमखास बन गया।
अब प्रेम प्रकाश ने अपना नाम बदलकर मुन्ना बजरंगी कर लिया। शुरूआत की लोकल डॉन गजराज सिंह के साथ। 1984 में मुन्ना पर एक व्यापारी के हत्या का केस दर्ज हुआ। लूट के इरादे से इस व्यापारी को मौत के घाट उतारा गया था। जौनपुर के बीजेपी नेता रामचन्द्र सिंह की हत्या भी मुन्ना बजरंगी ने ही करवाई। इसके बाद उत्तर प्रदेश में इस गुंडे का दबदबा दिखने लगा। मुन्ना पर लूटपाट, हत्या के कई केस दर्ज हो चुके थे और उसे अब सियासी संरक्षण की जरूरत थी। बस इसके बाद तो मुन्ना बजरंगी ने मुख्तार अंसारी का दामन थाम लिया। बीजेपी नेता और ब्लाक प्रमुख कैलाश दूबे की हत्या कर मुन्ना ने मुख्तार अंसारी का दिल जीत लिया था।
मुख्तार अंसारी के लिए जितनी भी सियासी हत्याएं, किडैनपिंग, रंगदारी वसूलना, रेलवे के ठेके, शराब के ठेके लेना ये सब काम मुन्ना बजरंगी ही करने लगा। नब्बे के दशक में वो मुख्तार का सबसे भरोसेमंद शार्प शूटर था। उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक पुलिस मुन्ना बजरंगी को तलाश रही थी। उसपर दर्जनों मामले दर्ज हो चुके थे। 1998 में दिल्ली पुलिस ने एक एनकाउंटर में मुन्ना बजरंगी को मारने का दावा किया। उसे 9 गोलियां लगी थी। वो जमीन पर गिर गया, पुलिस कन्फर्म थी कि मुन्ना की मौत हो चुकी है। उसकी लाश को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचते ही उसने अपनी आंखें खोल दी। हर कोई हैरान था, जिसे मरा हुआ मान लिया गया था वो जिंदा था।
इसके बाद वो सालों तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद रहा, लेकिन साल 2002 में वो जब बाहर आया तो उसके तुरंत बाद उसने जो किया उससे पूरा देश हिल गया। जेल से निकलने के बाद मुख्तार अंसारी ने अपने इस शार्प शूटर को मुंबई भेज दिया और वो मुंबई में ही रहने लगा। मुंबई में रहकर इसने वहां के लोकल गुंडों के अलावा अंडरवर्ल्ड से भी अपने रिश्ते बनाने शुरू किए। मुन्ना बजरंगी बेशक मुंबई में रह रहा था लेकिन उत्तर प्रदेश में मुख्तार के गैंग के सरकारी ठेकों का काम था वही देखता था। उस दौर में सरकारी ठेकों से वसूली माफियाओं की कमाई का सबसे बड़ा जरिया हुआ करता था। मुख्तार का पूर्वांचल में तकरीबन सभी रेलवे, सड़क, शराब जैसी सरकारी ठेकेदारियों पर कब्जा हुआ करता और वसूली का काम मुन्ना बजरंगी ही करता था।
इस घटना के बाद पूरे देश की पुलिस इस शार्प शूटर की तलाश में जुट गई। मुन्ना बजरंगी मोस्ट वांटेड अपराधी बन चुका था। उसके ऊपर 7 लाख का ईनाम घोषित कर दिया गया। वो पुलिस से भागता फिर रहा था। सालों तक वो इसमें कामयाब भी हो गया। अंडरवर्ल्ड से लेकर नेताओं तक उसने अपने रिश्ते बना लिए थे। मुख्तार अंसारी के सरकारी ठेकों से उसने खुद भी करोड़ों रुपये कमा लिए थे। ये बात मुख्तार अंसारी को भी पता थी। अब मुन्ना बजरंगी मुख्तार के खिलाफ ही खेल खेलने लगा था। कहा जाता है कि उसने कांग्रेस से संबंध बनाने की कोशिश की थी और गाजिपुर विधासभा सीट से एक लड़की को सीट दिलवाई थी। इस घटना के बाद उसके रिश्ते मुख्तार अंसारी से बिगड़ने लगे थे।
साल 2009 में दिल्ली पुलिस ने मुंबई के मलाड से मुन्ना बजरंगी को गिरफ्तार कर लिया। कहा जाता है कि ये गिरफ्तारी खुद मुन्ना बजरंगी ने ही करवाई थी क्योंकि उसे डर था कि उसका एनकाउंटर हो सकता है। साल 2012 में मुन्ना ने जेल में रहकर ही जौनपुर के मड़ियाहूं से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली। मुन्ना बजरंगी के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी। कहते हैं उसके पास 250 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति थी। देश के अलग-अलग हिस्सों में उसने प्रॉपर्टी खरीदी हुई थी। उसकी पत्नी सीमा सिंह और साला उसके काम को देखते थे। मुन्ना बजरंगी की एक बेटी भी थी।
साल 2018 में मुन्ना के साले की हत्या करवा दी गई। मुन्ना की पत्नी सीमा सिंह ने अपने भाई की हत्या के बाद पति की हत्या की भी आशंका जताई। उस वक्त मुन्ना झांसी जेल में बंद था। इस घटना के बाद उसे झांसी जेल से बागपत जेल में शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन बागपत जेल में आए हुए मुन्ना को अभी एक दिन ही हुआ था कि 18 जुलाई 2018 के दिन जेल के अंदर से उसका हत्या की खबर सामने सामने आई। जेल में ही बंद सुनील राठी पर हत्या के आरोप लगे। जेल के अंदर गोली मारकर मुन्ना बजरंगी का कत्ल हो गया था। अपने आपाराधिक जीवन में 40 से ज्यादा हत्याएं करने का दावा करने वाले मुन्ना बजरंगी को उसी अंदाज में मौत मिली जैसे उसने लोगों को दी थी।