आखिर पढ़ाई का कैसा पैटर्न करना चाहती है सरकार?

0
140

सरकार अब पढ़ाई का पैटर्न बेहतर करना चाहती है! स्कूली शिक्षा के लिए तैयार किए गए नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क NCF ड्राफ्ट में गणित की पढ़ाई में बदलावों को लेकर कई अहम सुझाव दिए गए हैं। जिन छात्रों की गणित विषय में रुचि नहीं होती या फिर जो छात्र गणित से डरते हैं, उनकी सोच में बदलाव लाने के लिए गणित को कला, खेल और भाषा के साथ जोड़ने की सिफारिश की गई है। इस प्रयोग से स्कूली छात्रों के लिए इस विषय को अधिक रचनात्मक बनाने की बात कही गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कहा गया है कि गणित और गणितीय सोच देश के भविष्य के लिए बहुत अहम है। ऐसे में गणित की शिक्षा में जरूरी बदलाव किए जाने की जरूरत है। शिक्षकों को भी गणित पढ़ाने के तरीके में नए प्रयोगों को महत्व देना होगा। साथ ही गणित विषय में प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट वर्क को भी अहमियत मिलेगी। गणित में लिखित परीक्षा को 80 प्रतिशत और प्रैक्टिकल परीक्षा को 20 प्रतिशत वेटेज दिए जाने की सिफारिश की गई है।

नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क में कहा गया है कि बच्चों को शुरुआती कक्षाओं से ही रोचक तरीके से गणित पढ़ाया जाना चाहिए। इससे जब बच्चा बड़ी कक्षा में जाएगा तो यह रुचि बरकरार रहेगी। गणित को कला के साथ जोड़ा जा सकता है, जैसे रंगोली पैटर्न के जरिए बच्चे को काफी कुछ सिखाया जा सकता है। रंगोली बनाने में गणित का कैसे प्रयोग किया जाता है, इसके बारे में बच्चों को बताया जा सकता है। पेंटिंग में कलर पैटर्न की जानकारी भी बच्चों को दी जाए। इसी तरह से गणित को खेल से जोड़ा जा सकता है। स्पोर्ट्स में आंकड़ों का काफी महत्व होता है। ऐसे में जब बच्चों को गणित के फॉर्म्युले के बारे में सिखाया जाए तो स्पोर्ट्स में आंकड़ों के प्रयोग के बारे में बताया जा सकता है। NCF कहता है कि गणित की शिक्षा में नई तकनीकों का प्रयोग जरूरी है ताकि इस विषय में छात्रों की रुचि बढ़ाई जा सके।

NCF कहता है कि मूल्यांकन के तरीके में भी बदलाव करना होगा। जिस तरह से दूसरे विषयों में प्रैक्टिकल या प्रोजेक्ट वर्क का प्रावधान है, उसी तरह से गणित में भी प्रोजेक्ट वर्क होना चाहिए। छात्रों को तरह-तरह के प्रोजेक्ट करने को दिए जा सकते हैं, जिसमें गणित का प्रयोग हो। राष्ट्रीय संचालन समिति ने समेटिव और फॉर्मेटिव दोनों तरह के असेसमेंट का सुझाव दिया है। जूनियर स्तर पर हर महीने असेसमेंट का सुझाव दिया गया है, जबकि माध्यमिक स्तर के लिए त्रैमासिक मूल्यांकन (मौखिक, लिखित, ऐक्टिविटीज, प्रोजेक्ट) का फॉर्म्युला दिया गया है। लिखित को 80 प्रतिशत और प्रायोगिक/परियोजनाओं को 20 प्रतिशत की वेटेज देने की बात कही गई है।

आपने कई लोगों को ये कहते हुए सुना होगा कि अगर गणित को अच्छी तरह पढ़ाया जाए तो ये बेहद रोचक और मजेदार लगता है। ये एक ऐसा विषय है, जो स्टेप बाइज पढ़ाया जाता है और हर स्टेप को सीख कर ही स्पष्ट किया जा सकता है। गणित की शुरुआत ‘संख्या पद्धति यानी नंबर सिस्टम से होती है। इसके बाद धीरे-धीरे जोड़, घटाव, गुणा, भाग सिखाया जाता है। इसके अगले स्टेप में आकार और माप सिखाया जाता है। इसी तरह अगले स्टेप में कुछ थ्योरम, अवधारणाएं और सूत्रों का अध्ययन कराया जाता है। स्कूल में सेकेंडरी स्तर पर जाकर गणित के तार्किक चीजें सिखाई जाती हैं।

स्कूल स्तर गणित शिक्षा के बारे में NCF ड्राफ्ट में काफी ध्यान दिया गया है। ड्राफ्ट में पैटर्न खोजने, अनुमान लगाने, तर्क के साथ सिद्ध करना, गणितीय समस्याओं का समाधान, कम्प्यूटेशनल थिंकिंग, संख्याओं का अर्थ और ज्ञान, ज्यामिति, बीजगणित, प्रायिकता और सांख्यिकी जैसी क्षमताओं को डेवलेप करने पर जोर देने के लिए कहा गया है।

कई गणित एक्सपर्ट्स इस विषय की तुलना आर्ट से करते हैं। इसे देखते हुए NCF ड्राफ्ट में कहा गया है कि गणित एजुकेशन का उद्देश्य बच्चों में क्रिएटिविटी, सुंदरता और गणित के असली मतलब को समझने के लिए तैयार करना है। NCF में पैटर्न में जो बदलाव किया गया है वो भी इसे ही दर्शाता है। जैसे इसमें गणित को खेल और भाषा जैसे विषयों के साथ पढ़ाए जाने की सिफारिश की गई है। गणित विषय के डर के दो प्रमुख पहलुओं को लेकर ड्राफ्ट में कहा गया है कि विषय के प्रति डर इसकी प्रकृति और पढ़ाने के तरीके की वजह से है। साथ ही सामाजिक धारणाओं और अपेक्षाओं से भी इसे बल मिलता है।

एनसीएफ के ड्राफ्ट में सीखने की प्रक्रिया के लिए मॉड्यूल और शिक्षण के पांच तरीके सुझाए गए हैं। इसमें गतिविधि आधारित, खोज आधारित, समस्या समाधान, इंडक्टिव और डिडक्टिव तरीके शामिल हैं। ड्राफ्ट में रेमेडियल टीचिंग का भी सुझाव दिया गया है। जूनियर लेवल पर गणित के शिक्षण के लिए हर महीने मूल्यांकन का सुझाव दिया है। जबकि सेकेंडरी लेवल पर तीन महीने में परीक्षा कराने का सुझाव दिया है। इसमें लिखित और मौखिक दोनों तरह की परीक्षाओं की बात कही गई है।