अब कुछ दिनों बाद ही कोरोनावायरस का कहर कम हो जाएगा! देश में चौबीस घंटों में कोविड के नए मामलों में 2000 से ज्यादा का उछाल दिखा, लेकिन अब भी अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या कम है। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जब भी केस बढ़ते हैं तो देखने में आया है कि वायरस एक महीने में अपने चरम पर होता है। इस हिसाब से 20 दिन का वक्त बीत चुका है और अनुमान है कि 8 से 10 दिन कोविड के मामलों में और इजाफा होगा, पर उसके बाद केस कम होने शुरू हो जाएंगे। कहा जा सकता है कि कोविड अभी एंडेमिक स्टेज की ओर बढ़ रहा है। इस चरण में बीमारी स्थानीय बनकर रह जाती है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि बीमारी का खात्मा हो गया है। बचाव के उपायों पर आगे भी ध्यान देना होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि एंडेमिक स्टेज में वायरस के वेरिएंट की संख्या बढ़ती है। यही ट्रेंड कोविड में दिख रहा है। कोविड के बढ़ते मामलों के पीछे ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट XBB.1.16 मूल रूप से जिम्मेदार है। इस वेरिएंट को आइसोलेट कर लिया गया है। इस पर टीके की क्षमता को भी परखा गया है। यह भी देखा गया है कि ओमिक्रॉन का यह सब वेरिएंट कितना घातक है। अभी तक की स्टडी में यह सामने आया है कि XBB.1.16 की गंभीरता औसत से कम है। क्योंकि अस्पतालों में मरीजों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है। बहुत से मामले बिना लक्षणों के भी हैं। जो बीमार हो रहे हैं, वे आसानी से ठीक हो रहे हैं।
भारत में वायरस के वेरिएंट पर नजर रखने वाली संस्था INSACOG के डेटा के अनुसार, इस साल जनवरी से मार्च के बीच ओमिक्रॉन के 12 सब वेरिएंट एक्टिव रहे। बचाव के उपायों पर आगे भी ध्यान देना होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि एंडेमिक स्टेज में वायरस के वेरिएंट की संख्या बढ़ती है। यही ट्रेंड कोविड में दिख रहा है। कोविड के बढ़ते मामलों के पीछे ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट XBB.1.16 मूल रूप से जिम्मेदार है। इस वेरिएंट को आइसोलेट कर लिया गया है। इस पर टीके की क्षमता को भी परखा गया है। यह भी देखा गया है कि ओमिक्रॉन का यह सब वेरिएंट कितना घातक है। अभी तक की स्टडी में यह सामने आया है कि XBB.1.16 की गंभीरता औसत से कम है। क्योंकि अस्पतालों में मरीजों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है। बहुत से मामले बिना लक्षणों के भी हैं। जो बीमार हो रहे हैं, वे आसानी से ठीक हो रहे हैं।फरवरी में ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट XBB.1.16 की मौजूदगी 21.6% थी, जो मार्च में 35.8% और अब 40% के करीब हो गई। इस समय ओमिक्रॉन के XBB.2, XBB.1, XBB.2.4, XBB.1.9.1 समेत कई सब वेरिएंट एक्टिव हैं। इससे पहले ओमिक्रॉन के ही BA.1, BA.2, BQ.1, BA.4, XBB, BA.2.75 जैसे वेरिएंट आ चुके हैं।
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के CEO अडार पूनावाला ने बुधवार को कहा कि बढ़ते मामलों को देखते हुए हमने इससे बचाव वाले कोविशील्ड टीके का उत्पादन फिर शुरू कर दिया है। हमारे पास कोवावैक्स टीके की 60 लाख ‘बूस्टर’ खुराक पहले से हैं। वयस्कों को ‘बूस्टर’ प्रिकॉशन डोज लेनी चाहिए। टीकों की कमी से जुड़ी खबरों पर उन्होंने कहा कि हम तैयार हैं, लेकिन इसकी मांग नहीं है। कोविशील्ड के फिर से उत्पादन पर उन्होंने कहा कि हमने एहतियात के तौर पर यह जोखिम मोल लिया है, ताकि लोग अगर चाहें तो उनके पास कोविशील्ड के रूप में विकल्प हो। कंपनी ने दिसंबर 2021 में इस टीके को बनाना बंद कर दिया था।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने बुधवार को राज्यों से कहा है कि वे जरूरत के हिसाब से मार्केट से वैक्सीन खरीद सकते हैं। वैक्सीन की कमी नहीं है।बचाव के उपायों पर आगे भी ध्यान देना होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि एंडेमिक स्टेज में वायरस के वेरिएंट की संख्या बढ़ती है। यही ट्रेंड कोविड में दिख रहा है। कोविड के बढ़ते मामलों के पीछे ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट XBB.1.16 मूल रूप से जिम्मेदार है। इस वेरिएंट को आइसोलेट कर लिया गया है। इस पर टीके की क्षमता को भी परखा गया है। यह भी देखा गया है कि ओमिक्रॉन का यह सब वेरिएंट कितना घातक है। अभी तक की स्टडी में यह सामने आया है कि XBB.1.16 की गंभीरता औसत से कम है। क्योंकि अस्पतालों में मरीजों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है। बहुत से मामले बिना लक्षणों के भी हैं। जो बीमार हो रहे हैं, वे आसानी से ठीक हो रहे हैं। केंद्र सरकार ने अभी तक वैक्सीन राज्यों को मुहैया करवाई है और देश में वैक्सीन की 220.66 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। भारत में बड़ी संख्या में लोगों का टीकाकरण हुआ है लेकिन वक्त के साथ टीके से बनी इम्यूनिटी कम होने लगती है। जिन लोगों को पहले से गंभीर बीमारी है, उन्हें प्रिकॉशन डोज लेने की सलाह दी गई है।