Friday, September 20, 2024
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आखिर यूपी एसटीएफ ने असद का कैसे किया एनकाउंटर?

आज हम आपको बताएंगे यूपी एसटीएफ ने असद का एनकाउंटर कैसे किया! दोपहर के करीब 11 बजे थे, धूप भी काफी तेज थी। प्रयागराज कोर्ट में माफिया से नेता बने अतीक अहमद की पेशी का होने वाली थी। अदालत के बाहर से लेकर भीतर तक काफी गहमागहमी थी। वकीलों से लोगों की भीड़ परिसर में मौजूद थी। लोगों के हुजूम के बीच जैसे ही अतीक अदालत पहुंचा वहां मौजूद भीड़ ने उसे गालियां देना शुरू कर दिया। अतीक की बेइज्जती करने वालों में आम लोग से लेकर अदालत परिसर में मौजूद वकील भी शामिल थे। कोर्ट में पहली सुनवाई सुबह 11.25 बजे से शुरू होकर 12 बजे तक चली। एक तरफ अतीक कोर्ट में अपने भाई असद के साथ कोर्ट में मौजूद था तो दूसरी तरफ उसे जिदंगी का सबसे बड़ा सदमा लगने वाला था। असद अहमद जिसे अतीक अपना ‘शेर’ बच्चा कहता था उसकी अंतिम घड़ी करीब थी। प्रयागराज से करीब 400 किलोमीटर दूर झांसी में यूपी एसटीएफ को उमेश पाल मर्डर केस में बड़ा सुराग हाथ लग चुका था। उमेश पाल मर्डर केस में 47 दिन से फरार चल रहे अतीक के बेटे असद को लेकर एसटीएफ को महत्वपूर्ण जानकारी मिली। एक मुखबिर ने बताया कि असद और गुलाम को कस्बा चिरागांव, जनपद झांसी में देखा गया है। संभव है कि ये लोग अभी भी वहीं छुपे हों। दरअसल उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने के बाद कौशांबी से नोएडा होते हुए दिल्ली पहुंच गए थे। दिल्ली में लोकेशन ट्रेस होने के बाद यूपी एसटीएफ की नोएडा यूनिट को इन्हें पकड़ने की जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि, जब तक एसटीएफ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की मदद से जब तक संगम विहार पहुंचती तब तक ये लोग वहां से बस के जरिये अजमेर के लिए निकल गए थे।

लगातार असद और गुलाम के पीछे लगी एसटीएफ को जब बुधवार रात को इनके झांसी में दिखाई देने की खबर मिली तो टीम किसी भी कीमत पर इन्हें पकड़ने का मौका नहीं गंवाना चाहती थी। ये लोग मध्य प्रदेश के रास्ते झांसी पहुंच थे। झांसी से 30 किलोमीटर दूर परीछा डैम के पास छिपे हुए थे। इस दौरान एसटीएफ की 12 लोगों की टीम ने इन्हें घेर लिया। टीम में दो डिप्टी एसपी, दो इंस्पेक्टर के अलावा दो कमांडो भी शामिल थे। असद और गुलाम मोटरसाइकिल पर सवार होकर भागने की फिराक में थे। एसटीएफ ने असद और गुलाम का पीछा किया। कच्चे रास्ते पर पहुंचते ही उनकी बाइक फिसल गई। वह, वहीं, एक गड्ढे में गिर गए। यूपी एसटीएफ की एफआईआर के अनुसार एसटीएफ ने इन्हें सरेंडर करने के लिए कहा। बाइक से गिरने के बाद ही इन दोनों ने विदेशी पिस्टल से फायरिंग शुरू कर दी। एसटीएफ की जवाबी कार्रवाई में असद अहमद ढेर हो गया। खास बात रही की पूरे एनकाउंटर को लेकर झांसी पुलिस को भनक तक नहीं लगी। एसटीएफ ने एनकाउंटर के बाद लोकल पुलिस को इसकी जानकारी दी।

रिपोर्ट के अनुसार एसटीएफ ने जब असद और गुलाम को घेरा तब उन लोगों ने अपनी बाइक को पारीछा डैम की मुख्य सड़क की बचाए कच्ची सड़क की तरफ उतार लिया। खास बात यह है कि यह उबड़-खाबड़ रास्ता आगे जाकर बंद हो जाता है। रास्ते में आगे एक दीवार बनी हुई है। दीवार के दूसरी तरफ सिंचाई विभाग के कर्मचारी का आवास बना हुआ है। यहां पर गांव की तरफ जाने के लिए महज एक पगड़डी जैसा रास्ता है। यह रास्ता सिर्फ यहां के स्थानीय लोगों को ही पता है। इसके दोनों तरफ कंटीले पेड़ थे। ऐसे में दोनों ने पुलिस से बचने के लिए जो रास्ता चुना वह किसी मंजिल की तरफ नहीं बल्कि उनकी मौत की तरफ लेकर गया।

असद के एनकाउंटर के बाद उसकी बॉडी को महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। यहां मेडिकल जांच में पाया गया कि उसके शरीर में दो गोलियां धंसी हुई थी। एक गोली सीने में तो दूसरी गोली सीने और पेट के बीच में लगी थी। यह गोली फेफड़े को फाड़ते हुए गले में धंस गई थी। असद की मौत फेफड़े के फंटने से ही हुई। वहीं, गुलाम की पीठ की पीठ में गोली लगी जिससे वह ढेर हो गया। रिपोर्ट के अनुसार असद और गुलाम ने भागते समय पुलिस से बचने के लिए करीब 40 राउंड फायरिंग की।

यूपी एसटीएफ जब असद का एनकाउंटर कर रही थी तो उस समय गोलियों की आवाज गूंज रही थी। पास में ही सिंचाई भवन के कर्मचारी का आवास बना हुआ है। यहां रहने वाले सिंचाई विभाग के कर्मचारी अशोक ने बताया कि दोपहर में अचानक गोलियां चलने की आवाज से हम लोग सहम गए। पहले सोचा की सड़क पर कोई काम चल रहा होगा फिर कुछ देर बाद पुलिस की गाड़ियां आईं तो पता चला कि गोलियां चली हैं। इसके अलावा डैम के पास घूम रहे तीन युवकों ने भी गोलियां चलने की आवाज सुनी। युवकों ने घटनास्थल की तरफ पुलिस की गाड़ियां और एंबुलेंस को जाते हुए देखा।

बेटे के एनकाउंटर की खबर जब अतीक तक पहुंची तो वह उस समय कोर्ट में भी था। अतीक के साथ उसका भाई अशरफ भी पेशी पर आया था। खबर सुनते ही अतीक को चक्कर आ गया। उसने अपना माथा पकड़ लिया। इसके बाद वह फूट-फूट कर रोने लगा। अतीक उसका भाई अशरफ तो यह सुनकर बिल्कुल हैरान था। इसके बाद वह भी गमगीन हो गया। इसके बाद उसने अपने वकीलों से बात की। इसके बाद बीमारी का हवाला देते हुए बेंच पर बैठने की अनुमति मांगी।

कोर्ट में सुनवाई के बाद अतीक अहमद जब कोर्ट से बाहर निकला तो वकीलों की तरफ से अतीक पर वकीलों ने बोतलें और जूते भी फेंके। ऐसे में अतीक पर क्या गुजर रही होगी जब एक तरफ उसे बेटे की मौत की खबर मिली और दूसरी तरफ उस पर जूते फेंके जा रहे हों। एक बोतल तो अतीक के सिर पर भी लगी। पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स की टीम ने अतीक को जल्दी से घेरे में लेते हुए कैदी वाहन तक पहुंचाया। इससे पहले भी सुनवाई के दौरान अतीक और अशरफ को जमकर गालियां पड़ी थीं।

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