क्या गिरफ्तार हो सकते हैं सीएम अरविंद केजरीवाल?

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सीएम अरविंद केजरीवाल अब गिरफ्तार हो सकते हैं! दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सीबीआई ने आबकारी मामले में पूछताछ के लिए 16 अप्रैल को बुलाया था । किसी भी मामले में पूछताछ के लिए बुलाया जाना एक सामान्य और शुरुआती प्रक्रिया है। कानूनी जानकार बताते हैं कि किसी मामले में अगर पूछताछ के लिए किसी को बुलाया जाता है तो इसका यह कतई मतलब नहीं निकाला जा सकता कि उस मामले में गिरफ्तारी होगी ही। पिछले दिनों एक मामले में राहुल गांधी को भी ईडी ने कई बार समन जारी कर कई दौर की पूछताछ की थी, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई थी। कानूनी जानकार बताते हैं कि जांच एजेंसी किसी मामले में जांच के दौरान आमतौर पर कई दौर की पूछताछ करती है या कर सकती है। सीबीआई को किसी भी मामले में गिरफ्तारी का अधिकार है और अगर किसी मामले में संज्ञेय अपराध हुआ हो तो वह गिरफ्तारी कर सकती है और उसके लिए उसे किसी अथॉरिटी से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है। जांच में किसी भी आरोपी के खिलाफ जांच एजेंसी को पुख्ता और ठोस सबूत मिलते हैं, तो वह गिरफ्तारी कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई 2014 को दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट डीएसपीईए की धारा-6ए को अवैध और असंवैधानिक करार दे दिया था। उस फैसले के बाद सीबीआई को बड़े से बड़े अधिकारी के खिलाफ जांच और पूछताछ के लिए किसी से भी अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। धारा-6ए के तहत प्रावधान था कि टॉप ब्यूरोक्रैट यानी जॉइंट सेक्रेटरी और उससे ऊपर लेवल के अधिकारियों के खिलाफ जांच व छानबीन के लिए पहले केंद्र सरकार से संबंधित विभाग के सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लेने की अनिवार्यता थी। लेकिन 2014 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह अनिवार्यता खत्म हो गई।

मौजूदा मामले में सीबीआई ने दिल्ली के सीएम को पूछताछ के लिए बुलाया है। कई बार जांच एजेंसी छानबीन आगे बढ़ाने के लिए तमाम पूछताछ करती है, लेकिन किसी मामले में अगर जांच एजेंसी को किसी भी शख्स के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले और उसे लगता है कि गिरफ्तारी जरूरी है तो वह गिरफ्तारी कर सकती है। पदासीन मुख्यमंत्री के खिलाफ सीबीआई ने लगभग ढाई दशक पहले कार्रवाई की थी। तब ’90 के दशक में बिहार के तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद ने सीबीआई की कार्रवाई से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का सीएम बनवा दिया था। हालांकि किसी भी मंत्री या सीएम की गिरफ्तारी के बाद उन्हें इस्तीफा देने की अनिवार्यता नहीं है।

अगर कोई सीएम गिरफ्तार हो जाए और वह अपने पद से इस्तीफा न दे तो भी वह सीएम बना रह सकता है, इस्तीफा देने की बाध्यता नहीं है। हालांकि कोई पदासीन सीएम, डिप्टी सीएम या मंत्री अगर गिरफ्तार हो जाए और वह पद पर बना रहे तो एक संवैधानिक संकट की स्थिति जरूर बन जाती है, लेकिन इस्तीफा देने की बाध्यता नहीं है। इस्तीफा देना एक व्यावहारिक परंपरा है, लेकिन ऐसा करने की अनिवार्यता नहीं है।

करप्शन को छोड़कर हत्या, रेप जैसे क्रिमिनल केस में सीबीआई सीधे एफआईआर दर्ज नहीं करती। इसके लिए जरूरी है कि जिस राज्य का मामला है उस राज्य सरकार की सिफारिश हो।हालांकि कोई पदासीन सीएम, डिप्टी सीएम या मंत्री अगर गिरफ्तार हो जाए और वह पद पर बना रहे तो एक संवैधानिक संकट की स्थिति जरूर बन जाती है, लेकिन इस्तीफा देने की बाध्यता नहीं है। इस्तीफा देना एक व्यावहारिक परंपरा है, लेकिन ऐसा करने की अनिवार्यता नहीं है। ये सिफारिश राज्य सरकार केंद्र के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग को भेजती है और फिर डीओपीटी केस सीबीआई को रेफर करता है और फिर सीबीआई से डीओपीटी पूछता है कि क्या वह अमुक मामले को अपने हाथ में लेने के लिए तैयार है? सीबीआई की सहमति से मामले की छानबीन उसे सौंपी जाती है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट भी सीबीआई को किसी मामले की छानबीन अपने हाथ में लेने के लिए कह सकता है। 19 नवंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई जांच के लिए संबंधित राज्य की अनुमति अनिवार्य है।हालांकि कोई पदासीन सीएम, डिप्टी सीएम या मंत्री अगर गिरफ्तार हो जाए और वह पद पर बना रहे तो एक संवैधानिक संकट की स्थिति जरूर बन जाती है, लेकिन इस्तीफा देने की बाध्यता नहीं है। इस्तीफा देना एक व्यावहारिक परंपरा है, लेकिन ऐसा करने की अनिवार्यता नहीं है। दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट का प्रावधान यही कहता है कि जांच एजेंसी राज्य की अनुमति के बिना छानबीन नहीं कर सकती। 1963 में सीबीआई को करप्शन से संबंधित मामलों की छानबीन का सीधे तौर पर अधिकार दिया गया था।