Wednesday, December 18, 2024
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अतीक मामले में सूरजकली और पुष्पा की क्या है कहानी?

आज हम आपको अतीक मामले में सूरजकली और पुष्पा की कहानी सुनाने जा रहे हैं! प्रयागराज में माफिया अतीक के आतंक से पीड़ितों की लंबी फेहरिस्त है। ऐसे ही पीड़ितों में दो महिलाएं जयश्री उर्फ सूरजकली और पुष्पा सिंह भी हैं। ये दोनों अपनी जान की परवाह किए बगैर अतीक के आतंक के खिलाफ लड़ती रहीं। अपनी जमीन के लिए कोर्ट में लगातार गवाही देने भी जाती रहीं। उनकी जमीन की लड़ाई अब भी जारी है लेकिन फिलहाल अतीक के अंत के बाद उन्होंने राहत की सांस ली है। प्रयागराज के चकिया में सूरजकली के पति बृजमोहन की 6 बीघा जमीन थी। वहीं झलवा इलाके में 12.5 बीघा जमीन थी। यहीं पर उनका मकान था। बात 1989 की है, जब अतीक ने उनकी जमीन का बैनामा अपने नाम करवा लिया। इस बीच उनके पति बृजमोहन गायब हो गए और कुछ पता नहीं चला। जब झलवा की जमीन पर अतीक ने कब्जा किया तो सूरजकली को पूरी चाल समझ आई।

झलवा की जमीन पर शिवकोटी सहकारी आवास समिति के नाम से बैनामा करवाया गया। इस समिति में अतीक के करीबी शामिल थे। उन्होंने 1992-93 में गांव वालों के सहयोग से विरोध शुरू किया। इस पर अतीक ने एक बार सूरजकली को अपने घर पर बुलाया। कहा कि तुम्हारा पति अब नहीं रहा। तुम लोगों की देखभाल की जिम्मेदारी हमारी है। तुम ये जमीन हमारे नाम कर दो। इनकार करने पर उसने पति के पास पहुंचाने की धमकी दी। अतीक का नाम सामने आने पर गांव वालों का भी उतना सहयोग नहीं मिला। फिर भी वह मुकदमा लड़ती रहीं। इस दौरान कई बार हमले भी हुए।

दूसरी कहानी प्रयागराज की पुष्पा सिंह की है। उन्होंने कसारी-मसारी इलाके में 22 वर्ग फुट जमीन पर एक कमरा बनवाया था। उनके पति यूपी एग्रो में नौकरी करते थे। इस समिति में अतीक के करीबी शामिल थे। उन्होंने 1992-93 में गांव वालों के सहयोग से विरोध शुरू किया। इस पर अतीक ने एक बार सूरजकली को अपने घर पर बुलाया। कहा कि तुम्हारा पति अब नहीं रहा। तुम लोगों की देखभाल की जिम्मेदारी हमारी है। तुम ये जमीन हमारे नाम कर दो। इनकार करने पर उसने पति के पास पहुंचाने की धमकी दी। अतीक का नाम सामने आने पर गांव वालों का भी उतना सहयोग नहीं मिला। फिर भी वह मुकदमा लड़ती रहीं। इस दौरान कई बार हमले भी हुए।उनका तबादला कानपुर हो गया। पूरा परिवार कानपुर चला गया। जब सपरिवार 2007 में लौटकर आए तो पता चला कि मकान तुड़वाकर कब्जा कर लिया गया है।

पता चला कि यह कब्जा अतीक अहमद ने करवाया है। उसके बाद वह धूमनगंज थाने गईं। कई चक्कर लगाए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।इस समिति में अतीक के करीबी शामिल थे। उन्होंने 1992-93 में गांव वालों के सहयोग से विरोध शुरू किया। इस पर अतीक ने एक बार सूरजकली को अपने घर पर बुलाया। कहा कि तुम्हारा पति अब नहीं रहा। तुम लोगों की देखभाल की जिम्मेदारी हमारी है। तुम ये जमीन हमारे नाम कर दो। इनकार करने पर उसने पति के पास पहुंचाने की धमकी दी। अतीक का नाम सामने आने पर गांव वालों का भी उतना सहयोग नहीं मिला। फिर भी वह मुकदमा लड़ती रहीं। इस दौरान कई बार हमले भी हुए। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की। बाद में मौके पर एसडीएम और पुलिस अधीक्षक जांच करने आए। उसके बाद जैसे-तैसे एफआईआर हुई लेकिन मामला दबा रहा। अभी 2021 में कोर्ट से समन आया। तब से वह तीन बार गवाही हो चुकी है।

दूसरे पक्ष से अतीक एक बार ही आए। एमपी-एमएलए कोर्ट में मुकदमा चल रहा है।इस समिति में अतीक के करीबी शामिल थे। उन्होंने 1992-93 में गांव वालों के सहयोग से विरोध शुरू किया। इस पर अतीक ने एक बार सूरजकली को अपने घर पर बुलाया। कहा कि तुम्हारा पति अब नहीं रहा। तुम लोगों की देखभाल की जिम्मेदारी हमारी है।इस समिति में अतीक के करीबी शामिल थे। उन्होंने 1992-93 में गांव वालों के सहयोग से विरोध शुरू किया। इस पर अतीक ने एक बार सूरजकली को अपने घर पर बुलाया। कहा कि तुम्हारा पति अब नहीं रहा। तुम लोगों की देखभाल की जिम्मेदारी हमारी है। तुम ये जमीन हमारे नाम कर दो। इनकार करने पर उसने पति के पास पहुंचाने की धमकी दी। अतीक का नाम सामने आने पर गांव वालों का भी उतना सहयोग नहीं मिला। फिर भी वह मुकदमा लड़ती रहीं। इस दौरान कई बार हमले भी हुए। तुम ये जमीन हमारे नाम कर दो। इनकार करने पर उसने पति के पास पहुंचाने की धमकी दी। अतीक का नाम सामने आने पर गांव वालों का भी उतना सहयोग नहीं मिला। फिर भी वह मुकदमा लड़ती रहीं। इस दौरान कई बार हमले भी हुए। मुकदमे का हल कब तक होता है, इसका इंतजार है। पुष्पा सिंह का कहना है कि फिलहाल अतीक के साथ जो हुआ, वह लोगों की बददुआओं का ही नतीजा है। दूसरों के साथ जैसा किया, उसका फल उसे मिला।

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