एक ऐसी घटना जिसमें मां के गर्भ में ही बच्चे की ब्रेन सर्जरी की गई! दुनिया में पहली बार डॉक्टरों ने मां के गर्भ में ही बच्चे के ब्रेन की सर्जरी की है। इस बच्चे के अल्ट्रासाउंड से पता चला था कि उसकी ब्रेन की नस में ऐसी परेशानी है, जिसके कारण जन्म के तुरंत बाद नवजात के हार्ट अटैक से मौत की आशंका थी। गर्भ जब 30 हफ्ते का था, तब गैलन मालफॉर्मेशन नाम की इस बीमारी का पता चला। इसमें 11 साल से कम उम्र में बच्चे की मौत की 30% आशंका थी। करीब 60 हजार बच्चों में से किसी एक में यह बीमारी पाई जाती है।
इसमें ब्रेन से हार्ट तक खून पहुंचाने वाली नलिकाओं का विकास नहीं हो पाता। ब्रेन की धमनियां खून को नसों के बजाय सीधे शिराओं में प्रवाहित करती हैं। इससे दिल खून से भर जाता है और खतरनाक रूप से हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है। अमेरिका के बोस्टन चिल्ड्रंस हॉस्पिटल और मेसाचूसिट्स जनरल हॉस्पिटल के 10 डॉक्टरों की टीम ने इस सर्जरी को अंजाम दिया। इसमें गर्भ में बच्चे की खोपड़ी को काटकर विकसित हो रहे दिमाग में यह सर्जरी की गई।
यह सर्जरी मार्च में हुई थी, जिसके बारे में पूरी रिपोर्ट गुरुवार को प्रकाशित हुई। सर्जरी से जुड़े बोस्टन चिल्ड्रंस हॉस्पिटल के डॉक्टर ओरबैक ने कहा कि आमतौर पर इस बीमारी का इलाज जन्म के बाद किया जाता है।यह सर्जरी मार्च में हुई थी, जिसके बारे में पूरी रिपोर्ट गुरुवार को प्रकाशित हुई। सर्जरी से जुड़े बोस्टन चिल्ड्रंस हॉस्पिटल के डॉक्टर ओरबैक ने कहा कि आमतौर पर इस बीमारी का इलाज जन्म के बाद किया जाता है। इसमें ब्रेन में कैथेटर डालकर खून की सप्लाई की रफ्तार को कम किया जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया में आधे से ज्यादा बच्चे बेहद कमजोर रहते हैं। इसमें ब्रेन में कैथेटर डालकर खून की सप्लाई की रफ्तार को कम किया जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया में आधे से ज्यादा बच्चे बेहद कमजोर रहते हैं।
अमेरिकी राज्य लुइजियाना के दंपती डेरेक और केन्याटा कोलमैन की बच्ची में यह सर्जरी हुई।अमेरिकी राज्य लुइजियाना के दंपती डेरेक और केन्याटा कोलमैन की बच्ची में यह सर्जरी हुई। डॉक्टरों ने गर्भावस्था के 34 हफ्ते बाद गर्भ में ही बच्ची की ब्रेन सर्जरी का फैसला लिया। यह सर्जरी सफल रही और कुछ ही दिनों बाद बच्ची का जन्म हो गया। सर्जरी को 7 सप्ताह हो चुके हैं और मां और बच्ची ठीक हैं। यह सर्जरी मार्च में हुई थी, जिसके बारे में पूरी रिपोर्ट गुरुवार को प्रकाशित हुई। सर्जरी से जुड़े बोस्टन चिल्ड्रंस हॉस्पिटल के डॉक्टर ओरबैक ने कहा कि आमतौर पर इस बीमारी का इलाज जन्म के बाद किया जाता है। इसमें ब्रेन में कैथेटर डालकर खून की सप्लाई की रफ्तार को कम किया जाता है।
लेकिन इस प्रक्रिया में आधे से ज्यादा बच्चे बेहद कमजोर रहते हैं। इसमें ब्रेन में कैथेटर डालकर खून की सप्लाई की रफ्तार को कम किया जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया में आधे से ज्यादा बच्चे बेहद कमजोर रहते हैं।बच्ची सामान्य तरीके से खा रही है और उसका वजन भी बढ़ रहा है।यह सर्जरी मार्च में हुई थी, जिसके बारे में पूरी रिपोर्ट गुरुवार को प्रकाशित हुई। सर्जरी से जुड़े बोस्टन चिल्ड्रंस हॉस्पिटल के डॉक्टर ओरबैक ने कहा कि आमतौर पर इस बीमारी का इलाज जन्म के बाद किया जाता है। इसमें ब्रेन में कैथेटर डालकर खून की सप्लाई की रफ्तार को कम किया जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया में आधे से ज्यादा बच्चे बेहद कमजोर रहते हैं। इसमें ब्रेन में कैथेटर डालकर खून की सप्लाई की रफ्तार को कम किया जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया में आधे से ज्यादा बच्चे बेहद कमजोर रहते हैं। दंपती का कहना है कि हम बोस्टन में अपने तीन अन्य बच्चों के साथ घर वापस आकर खुश हैं। सर्जरी की यह प्रक्रिया क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा थी।डॉक्टरों ने गर्भावस्था के 34 हफ्ते बाद गर्भ में ही बच्ची की ब्रेन सर्जरी का फैसला लिया। यह सर्जरी सफल रही और कुछ ही दिनों बाद बच्ची का जन्म हो गया। सर्जरी को 7 सप्ताह हो चुके हैं और मां और बच्ची ठीक हैं।
बच्ची सामान्य तरीके से खा रही है और उसका वजन भी बढ़ रहा है। दंपती का कहना है कि हम बोस्टन में अपने तीन अन्य बच्चों के साथ घर वापस आकर खुश हैं।यह सर्जरी मार्च में हुई थी, जिसके बारे में पूरी रिपोर्ट गुरुवार को प्रकाशित हुई। सर्जरी से जुड़े बोस्टन चिल्ड्रंस हॉस्पिटल के डॉक्टर ओरबैक ने कहा कि आमतौर पर इस बीमारी का इलाज जन्म के बाद किया जाता है। इसमें ब्रेन में कैथेटर डालकर खून की सप्लाई की रफ्तार को कम किया जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया में आधे से ज्यादा बच्चे बेहद कमजोर रहते हैं। इसमें ब्रेन में कैथेटर डालकर खून की सप्लाई की रफ्तार को कम किया जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया में आधे से ज्यादा बच्चे बेहद कमजोर रहते हैं। सर्जरी की यह प्रक्रिया क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा थी।