जब राष्ट्रपति के संबोधन के दौरान चली गई बत्ती?

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हाल ही में राष्ट्रपति के संबोधन के दौरान बत्ती चली गई थी! महाराजा श्री रामचंद्र भंजदेव विश्वविद्यालय के 12वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन के दौरान लाइट चली गई। लाइट जाने के बाद पूरा कार्यक्रम स्थल अंधेरे में डूब गया। यह घटना शनिवार की है जहां राष्ट्रपति मुर्मू के संबोधन के दौरान ही चंद मिनटों के लिए लाइट चली गई थी। करीबन 11:56 से 12:05 तक समारोह में लाइट नहीं थी। हालांकि इसके बावजूद मुर्मू ने अपना संबोधन जारी रखा। दरअसल, कार्यक्रम स्थल पर माइक सिस्टम अप्रभावित था। एयर कंडीशनिंग सिस्टम भी काम कर रहा था।

संबोधन के दौरान मुर्मू ने कहा कि बिजली हमारे साथ लुका छिपी खेल रही है। बड़ी संख्या में मौजूद दर्शक भी धैर्यपूर्वक अंधेरे में मुर्मू की बातें सुनने के लिए बैठे रहें। यूनिवर्सिटी के उप कुलपति संतोष कुमार त्रिपाठी ने राष्ट्रपति मुर्मू के संबोधन के दौरान हुई लाइन जाने पर माफी मांगी। उन्होंने कहा- “मैं इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए खुद को दोषी मानता हूं। हम इसके लिए शर्मिंदा हैं। हम निश्चित रूप से घटना की जांच करेंगे और घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। राज्य के स्वामित्व वाली औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड ने इस आयोजन के लिए जनरेटर की आपूर्ति की थी। हम उनसे इसके बारे में बात करेंगे।”

मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर की रहने वाली है और लोग उन्हें यहां की माटी की बेटी बुलाते हैं। टाटा पावर, नॉर्थ ओडिशा पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के सीईओ भास्कर सरकार ने बताया कि बिजली की तारों में कुछ खराबी होने की वजह से यह गड़बड़ी हुई थी। यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति द्रैपदी मुर्मू ने छात्रों से केवल अपनी खुशी और रुची के बारे में नहीं बल्कि समाज और देश के कल्याण के बारे में भी सोचने की अपील की। उन्होंने कहा- सहयोग जीवन का एक बेहद ही सुंदर पक्ष है, जिसका अभ्यास हर छात्रों को करना चाहिए। लोगों में कॉम्पिटीशन करने की भावना स्वाभाविक है। यह जीवन का एक अनिवार्य भाग है। जब आप अपने जीवन में आगे बढ़ जाते है और फिर पीछे मुड़कर देखोगे तो ऐसा लगेगा कि समाज के कुछ लोग आपके साथ नहीं है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि छात्रों को सभी कॉम्पिटीशन में जीतने की कोशिश करना चाहिए। इसके लिए उन्हें बेहतर कौशल और अधिक दक्षता की तरफ बढ़ना होगा। यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति द्रैपदी मुर्मू ने छात्रों से केवल अपनी खुशी और रुची के बारे में नहीं बल्कि समाज और देश के कल्याण के बारे में भी सोचने की अपील की। उन्होंने कहा- सहयोग जीवन का एक बेहद ही सुंदर पक्ष है, जिसका अभ्यास हर छात्रों को करना चाहिए। लोगों में कॉम्पिटीशन करने की भावना स्वाभाविक है। यह जीवन का एक अनिवार्य भाग है। जब आप अपने जीवन में आगे बढ़ जाते है और फिर पीछे मुड़कर देखोगे तो ऐसा लगेगा कि समाज के कुछ लोग आपके साथ नहीं है।वे अपनी शक्तियों ने नामुमकिन कामों को भी मुमकिन बना सकते हैं। मुर्मू ने छात्रों से कहा कि शिक्षा हमारे जीवन की एक सतत प्रक्रिया है। केवल डिग्री लेने ये खत्म नहीं होता है। ग्रेडुएशन के बाद कुछ छात्र नौकरी करते हैं तो कुछ व्यापार करने लगते हैं। वहीं कुछ रिसर्च में जुट जाते हैं। उन्होंने कहा कि नौकरी देने के बारे में सोचना नौकरी करने के बारे में सोचने से बेहतर है।

जहां पूरी दुनिया ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी मुश्किलों से जूंझ रही है, वहीं भारत प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली को अपनाकर एक उदाहरण खड़ा किया है।  मुर्मू ने कहा- हमारी संस्कृति में यह माना गया है कि पेड़-पौधे, पर्वत, नदी में भी जीवन है।यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति द्रैपदी मुर्मू ने छात्रों से केवल अपनी खुशी और रुची के बारे में नहीं बल्कि समाज और देश के कल्याण के बारे में भी सोचने की अपील की। उन्होंने कहा- सहयोग जीवन का एक बेहद ही सुंदर पक्ष है, जिसका अभ्यास हर छात्रों को करना चाहिए। लोगों में कॉम्पिटीशन करने की भावना स्वाभाविक है। यह जीवन का एक अनिवार्य भाग है। जब आप अपने जीवन में आगे बढ़ जाते है और फिर पीछे मुड़कर देखोगे तो ऐसा लगेगा कि समाज के कुछ लोग आपके साथ नहीं है। केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि सभी सजीव चीजें प्रकृति की संतान हैं। यह सभी मनुष्यों का कर्तव्य है कि वे प्रकृति के साथ सद्भाव की भावना रखे। इस दीक्षांत समारोह के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने मयूरभंज की अपनी तीन दिवसीय यात्रा समाप्त की और पश्चिम बंगाल में कलाईकुंडा हवाई अड्डे के लिए रवाना हुईं। यहां से वह वापस दिल्ली के लिए रवाना हो गई।