आज हम आपको भारत की प्रलय मिसाइल के बारे में सब कुछ बताने वाले हैं! चीन और पाकिस्तान भारत के दो ऐसे पड़ोसी देश हैं जो कहने को तो पड़ोसी हैं लेकिन, काम पड़ोसियों वाला बिल्कुल नहीं है। आजादी के बाद सबसे ज्यादा पाकिस्तान और अब चीन भारत पर हमला करने का कोई न कोई मौका खोजते रहते हैं। इतिहास में इसके कई उदाहरण मौजूद हैं। पाकिस्तान और चीन की इन्हीं करतूतों के चलते भारत ने भी अपने डिफेंस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। आज से 5 महीने पहले चीन और पाकिस्तान की सीमा पर प्रलय मिसाइल की तैनाती को ग्रीन सिग्नल देना इसका हालिया उदाहरण हैं। रक्षा मंत्रालय ने साल 2022 के दिसंबर महीने में 120 प्रलय मिसाइलों की खरीद की अनुमति दी थी। आज हम आपको बताएंगे कि प्रलय मिसाइल की ऐसी क्या खासियत है जिसके बाद पाकिस्तान और चीन भी भारत पर आंख उठाने से पहले 100 बार सोचेगा। रक्षा मंत्रालय ने जिस प्रलय मिसाइल की तैनाती के लिए हरी झंडी दी है, उसकी रेंज 150 से 500 किलोमीटर तक है। मतलब साफ है कि दुश्मन अगर सीमा के आस-पास भी फटका तो, उसका सफाया तय है। दिसंबर 2022 में इसकी दो बार टेस्टिंग की गई थी। भारत-चीन की सीमा LAC और भारत-पाकिस्तान वाली सीमा LOC के पास से अगर प्रलय मिसाइल को दागा जाए तो चीन और पाक का नुकसान तय है। सीमा के पास दोनों देशों के बंकरों, तोपों, मिलिट्री बेस या उनके कोई भी हथियार डिपो को खत्म करने में इस मिसाइल को ज्यादा समय नहीं लगेगा।
प्रलय मिसाइल की सटीकता को लेकर भी काफी चर्चा है। इसकी एक्योरेसी इसे सबसे ज्यादा घातक बनाती है। दिसंबर 2022 में इसकी दो बार टेस्टिंग की गई थी। भारत-चीन की सीमा LAC और भारत-पाकिस्तान वाली सीमा LOC के पास से अगर प्रलय मिसाइल को दागा जाए तो चीन और पाक का नुकसान तय है। सीमा के पास दोनों देशों के बंकरों, तोपों, मिलिट्री बेस या उनके कोई भी हथियार डिपो को खत्म करने में इस मिसाइल को ज्यादा समय नहीं लगेगा।असल में, प्रलय मिसाइल को जमीन से जमीन पर मार करने के लिए बनाया गया है। प्रलय मिसाइल का वजन 5 टन है और यह 500 से 1000 किलोग्राम वजन के पारंपरिक हथियार ले जा सकते हैं। प्रलय मिसाइल में एक और खास बात है। इसमें तीन मिसाइलों की तकनीक इस्तेमाल की गई है। मतलब ये कि इसमें पृथ्वी-2, प्रहार और पृथ्वी-3 की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। ऐसा भी बताया जाता है कि इस शक्तिशाली मिसाइल के अंदर रात में भी हमला करने की तकनीक लगाई गई है।दिसंबर 2022 में इसकी दो बार टेस्टिंग की गई थी। भारत-चीन की सीमा LAC और भारत-पाकिस्तान वाली सीमा LOC के पास से अगर प्रलय मिसाइल को दागा जाए तो चीन और पाक का नुकसान तय है। सीमा के पास दोनों देशों के बंकरों, तोपों, मिलिट्री बेस या उनके कोई भी हथियार डिपो को खत्म करने में इस मिसाइल को ज्यादा समय नहीं लगेगा। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि, इसके अंदर इंफ्रारेड या थर्मल स्कैनर लगा होगा जिसके बाद, यह रात में भी हमला करने में सक्षम होगी। प्रलय अपने टार्गेट को ध्वस्त करने में एकदम स्पष्ट है। टार्गेट को ध्वस्त करने की सटीकता 3 फीट तक है। प्रलय मिसाइल जितना इलाका नष्ट करना है, उतना ही करेगी। यह मिसाइल इनर्शियल गाइडेंस सिस्टम पर चलती है।
भारत की प्रलय मिसाइल को चीन की डोंगफोंग-12 और रूस के इस्कंदर मिसाइल से कंपेयर किया जा रहा है। इसे पाकिस्तान की गजनवी और एम-11 और शाहीन का जवाब है। रूस की इस्कंदर मिसाइल यूक्रेन में तबाही मचा चुकी है।दिसंबर 2022 में इसकी दो बार टेस्टिंग की गई थी। भारत-चीन की सीमा LAC और भारत-पाकिस्तान वाली सीमा LOC के पास से अगर प्रलय मिसाइल को दागा जाए तो चीन और पाक का नुकसान तय है। सीमा के पास दोनों देशों के बंकरों, तोपों, मिलिट्री बेस या उनके कोई भी हथियार डिपो को खत्म करने में इस मिसाइल को ज्यादा समय नहीं लगेगा। इस्कंदर को भी प्रलय की तरह 500 किलोमीटर तक की रेंज में मौजूद टार्गेट को तबाह करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है। वहीं भारत की प्रलय मिसाइल को चीन के डोंगफोंग से कमतर नहीं आंका जा सकता। चीन की डोंगफोंग की तरह प्रलय भी रोड मोबाइल है। इसे भी दुश्मन के रडार और कम्यूनिकेशन सिस्टमों को निशाना बनाने के लिए ही डिजाइन किया गया है।